‘अंतिम फैसला मैं ही लूंगी’ TMC में अंदरूनी कलह बढ़ने पर ममता ने दिए बड़े संकेत

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<p style="text-align: justify;"><strong>Internal Discord in TMC:</strong> पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भीतर नए और पुराने नेतृत्व के बीच बढ़ते विवाद ने पार्टी के भीतर का कलह उजागर कर दिया है. मुख्यमंत्री और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने हाल ही में कई कड़े और बड़े कदम उठाकर यह साफ कर दिया है कि टीएमसी में अंतिम निर्णय और नेतृत्व उनका ही रहेगा. राज्य विधानसभा में विधायक दल की बैठक में बोलते हुए ममता ने कहा कि जब तक वह प्रभारी हैं, तृणमूल कांग्रेस में सभी महत्वपूर्ण निर्णय वही लेंगे.</p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, ममता ने सीआईडी प्रमुख आर राजशेखरन को हटाकर एडीजी (आईजीपी प्रशिक्षण) पद पर भेज दिया है. इससे पहले, उन्होंने सीआईडी में "पूरी तरह से फेरबदल" का संकेत दिया था. उन्होंने कहा कि "राजनीतिक रंग चाहे जो भी हो," भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 21 नवंबर को अधिकारियों की बैठक में उन्होंने राज्य पुलिस में बड़े बदलावों का संकेत दिया है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>टीएमसी विधायकों को निर्देश</strong><br />ममता बनर्जी की ओर से पार्टी विधायकों को निर्देश दिया गया कि पार्टी के अंदर की जानकारी सीधे उन्हीं तक पहुंचे. संगठन के लिए एक नया व्हाट्सएप ग्रुप बनाने और सीधे संवाद स्थापित करने का सुझाव दिया. टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में नए गार्ड का उदय, पार्टी के पुराने नेताओं के साथ टकराव का कारण बन रहा है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पार्टी में फेरबदल की मांग</strong><br />भरतपुर विधायक हुमायूं कबीर ने अभिषेक को उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री बनाने की मांग की. इस प्रस्ताव को ममता समर्थक पुराने नेताओं ने खारिज कर दिया. ममता ने आई-पीएसी और अभिषेक के करीबी कानूनी फर्म की भूमिका सीमित कर दी है, साथ ही विधायकों को बाहरी संगठनों को कुछ बताने से मना किया है. अभिषेक ने प्रदर्शन के आधार पर जिलों में टीएमसी इकाई प्रमुखों के बदलाव की सिफारिश की थी.जिसको लेकर पुराने नेताओं ने इसे पार्टी में वफादारी के खिलाफ बताया. वहीं, पुराने नेताओं को प्रमुख पदों पर प्रमोट किया गया. सौगत रॉय, कल्याण बनर्जी और माला रॉय जैसे वरिष्ठ नेताओं को प्रमुख भूमिकाएं सौंपी गईं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पार्टी में अनुशासन समिति का गठन</strong><br />विधानसभा,संसद और संगठन के लिए अलग-अलग अनुशासन समितियां बनाई गईं. हुमायूं कबीर को "पार्टी विरोधी" बयान के लिए कारण बताओ नोटिस दिया गया. ममता ने यह स्पष्ट किया कि पार्टी के संसदीय फैसले वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिए जाएंगे. उन्होंने अभिषेक को राष्ट्रीय प्रवक्ता की अतिरिक्त जिम्मेदारी देकर संतुलन साधने की कोशिश की.</p>
<p style="text-align: justify;">बता दें कि ममता के हालिया फैसलों से यही लगता है कि वह पार्टी की सत्ता और निर्णय लेने की प्रक्रिया को पुराने नेताओं के नियंत्रण में रखना चाहती हैं. ममता ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी में उनके फैसले ही अंतिम होंगे. इससे पार्टी में एकता का संदेश देने की कोशिश की गई है, हालांकि आंतरिक विवाद जारी रहने की संभावना है.</p>
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