प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार (5 मई 2025) को सीबीआई के नए डायरेक्टर की नियुक्ति को लेकर गठित समिति की बैठक हुई. इसमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और सीजेआई संजीव खन्ना भी शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक CBI डायरेक्टर की नियुक्ति के मामले में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार की तरफ से रखे नाम के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं. उन्होंने इसे लेकर डिसेंट नोट दिया है.
सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर वर्तमान सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद के कार्यकाल को ही बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था. हालांकि, राहुल गांधी इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं हुए. सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति तीन-सदस्यीय समिति करती है, जिमें प्रधानमंत्री लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के चीफ जस्टिस शामिल होते हैं.
प्रवीण सूद का कार्यकाल बढ़ाना चाहती है केंद्र सरकार
सूत्रों के मुताबिक सरकार प्रवीण सूद के ही कार्यकाल को बढ़ाने की तैयारी में है. प्रवीण सूद कर्नाटक कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. इससे पहले वह कर्नाटक के डीजीपी थे. उन्होंने 25 मई 2023 को सीबीआई डायरेक्टर का पदभार संभाला था. इसी महीने की 25 मई को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है.
CBI डायरेक्टर प्रवीण सूद करियर हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने प्रवीण सूद पर सवाल खड़े किए थे. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने उनके कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
नियुक्ति पर क्यों फंसा है पेंच?
प्रवीण सूद का कार्यकाल खत्म होने से पहले नए निदेशक की नियुक्ति की जानी है. इसी के चलते सोमवार को पीएमओ में बैठक बुलाई गई थी. 2019 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक ऐसे सीनियर अधिकारी, जिनके रिटायरमेंट में छह महीने से कम बचे हैं, CBI डायरेक्टर के पद के लिए उनके नाम पर विचार नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई निदेशक का कार्यकाल 2 साल से कम नहीं हो सकता है. इसी के साथ नियुक्ति समिति की सहमति से ही उनका तबादला किया जा सकता है.
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