कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने गुरुवार (10 जुलाई, 2025) को अपनी एकल पीठ के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) को 2016 की चयन प्रक्रिया के चिह्नित दागी अभ्यर्थियों को 2025 की भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने से रोकने का निर्देश दिया गया था.
एसएससी ने हाल में 2025 की भर्ती प्रक्रिया की अधिसूचना जारी की. जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की एकल पीठ ने बीते सोमवार को यह भी आदेश दिया था कि अगर पाया जाता है कि कोई दागी अभ्यर्थी पहले ही नौकरी के लिए आवेदन कर चुका है, तो एसएससी ऐसे आवेदन को रद्द माने. एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार और एसएससी ने खंडपीठ का रुख किया था, जिसने उनकी अपील खारिज कर दी और पिछली अदालती निर्देश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
अपील पर सुनवाई के दौरान, जस्टिस सौमेन सेन और जस्टिस स्मिता दास डे की खंडपीठ ने राज्य और एसएससी से सवाल किया था कि वे 2016 की प्रक्रिया के दागी अभ्यर्थियों के साथ खड़े होने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं, जिन्होंने फर्जी तरीकों से नियुक्तियां हासिल कीं.
सुप्रीम कोर्ट ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आधार पर पूरे पैनल को रद्द कर दिया था. 3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से संचालित और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,753 शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध करार देते हुए पूरी चयन प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताया था. सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि बेदाग पाए गए बर्खास्त शिक्षकों की सेवा अवधि बढ़ाने का 17 अप्रैल को आदेश दिया था.
पीड़ित शिक्षकों के एक वर्ग ने एसएससी के 2025 भर्ती दिशानिर्देशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसके तहत दागी शिक्षकों को नए सिरे से आवेदन करने की अनुमति दी गई है और वास्तव में अनुभव के लिए अधिकतम 10 अतिरिक्त अंक दिए गए हैं.
राज्य और एसएससी दोनों ने दलील दी कि अयोग्य अभ्यर्थियों को दोबारा परीक्षा देने की अनुमति देने वाले नए दिशानिर्देश जनहित में बनाए गए हैं ताकि सभी को समान अवसर उपलब्ध हो सकें.
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