कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार (18 जून, 2025) को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार की तरफ से पेश की गई नई ओबीसी आरक्षण सूची पर रोक लगा दी है. इस फैसले का बीजेपी नेताओं ने स्वागत करते हुए विधानसभा में मिठाई बांटी. वहीं, सीपीआई (एम) ने भी इस मामले पर ममता सरकार को घेरा है.
बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट कर कहा कि ममता बनर्जी सरकार की तरफ से तैयार की गई नई ओबीसी सूची में 76 मुस्लिम वर्गों को शामिल करने पर रोक लगाने के अपने ऐतिहासिक फैसले के लिए मैं माननीय कलकत्ता हाई कोर्ट के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं. यह एक अहंकारी राज्य सरकार के खिलाफ न्यायपालिका की एक शानदार जीत है.
‘ममता सरकार ने योग्य हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों को किया दरकिनार’उन्होंने कहा कि टीएमसी सरकार की जबरदस्त तुष्टिकरण की राजनीति, अपडेट की गई नई ओबीसी सूची में लगभग 90 प्रतिशत मुस्लिम समुदायों को शामिल करने से साफ है. 2010 में टीएमसी के सत्ता में आने से पहले ओबीसी समुदायों में केवल 20 प्रतिशत मुस्लिम थे. ममता बनर्जी के शासन में यह संख्या आसमान छू गई है, जिससे योग्य हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों को दरकिनार कर दिया गया है.
सीपीआई (एम) नेता ने सुजन चक्रवर्ती ने भी साधा निशानासीपीआई (एम) केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ममता सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लगातार ओबीसी आरक्षण पर लोगों को गुमराह कर रही है. हाईकोर्ट ने पहले ओबीसी सूची को रद्द कर दिया था. प्रक्रिया को सुधारने के बजाय सरकार ने वही गलतियां दोहराई हैं. यह बंगाल के लोगों को गुमराह करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है.
टीएमसी नेता ने बीजेपी को बताया ओबीसी विरोधी पार्टीहाईकोर्ट के इस फैसले के बाद विधानसभा में बीजेपी नेताओं ने मिठाई बांटी. इसे लेकर टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि बीजेपी ओबीसी विरोधी पार्टी है. यहां विपक्षी नेताओं की साजिश को देखना चाहिए. हमें न्यायपालिका पर भरोसा है, लेकिन हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि इसके पीछे कौन लोग थे. हमने देखा है कि इस हाईकोर्ट में भर्ती पर बड़े-बड़े बयान देने वाले लोग बीजेपी के सांसद बनने के लिए अलग हो गए. अब वे ओबीसी को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं और अशांति पैदा करना चाहते हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तरफ से विधानसभा के समक्ष संशोधित सूची रखे जाने के कुछ दिनों बाद हाईकोर्ट का ये आदेश आया है. न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि 31 जुलाई तक सूची के आधार पर कोई कार्रवाई ना करें. सरकार को अगली सुनवाई होने तक इस पर अमल न करने को कहा गया है.
इस महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल सरकार ने 76 अतिरिक्त उप-जातियों को शामिल करने के लिए ओबीसी सूची का विस्तार करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी, जिससे समुदायों की कुल संख्या 140 हो गई. इनमें 80 मुस्लिम समुदाय हैं, जबकि 60 गैर मुस्लिम हैं.
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