वक्फ (संशोधन) विधेयक पर नवीन पटनाक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) केंद्र सरकार से अलग राह पर है. उनका आरोप है कि विधेयक लाने से पहले मुस्लिमों से इस बारे में विचार-विमर्श नहीं किया गया. पार्टी ने विधेयक वापस लेने की मांग करते हुए रविवार (24 नवंबर, 2024) को ओडिशा में एक रैली भी निकाली, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने विधेयक वापस लेने की मांग में नारे लगाए. उनका दावा है कि इससे (विधेयक से) समुदाय के बीच सद्भाव प्रभावित होगा.
बीजद की ओर से यह मांग ऐसे समय पर उठाई गई है, जब वक्फ संशोधन वियधक के लिए बनाई गई जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी में शामिल विपक्षी सदस्य विधेयक पर विचार-विमर्श के लिए और समय की मांग कर रहे हैं, जबकि शीतकालीन सत्र में जेपीसी की रिपोर्ट पेश की जानी है. उधर, जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल का कहना है कि रिपोर्ट तैयार है. बीजद के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने राजभवन के पास रविवार को रैली का आयोजन किया था.
प्रदर्शनकारियों ने खुर्दा के जिला कलेक्टर के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें उन्होंने कुछ सुझाव दिए और वक्फ अधिनियम, 1995 में प्रस्तावित संशोधनों के बारे में चिंता व्यक्त की. ज्ञापन में कहा गया है, ‘हम आग्रह करते हैं कि इस प्रस्तावित विधेयक को वापस लिया जाए और संसद में कोई भी संशोधन पेश किए जाने से पहले हितधारकों के साथ उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए व्यापक परामर्श किया जाए. हम अपने राष्ट्र के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं, इस मामले में न्याय और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए आपके कार्यालय पर भरोसा करते हैं.’
बीजेडी के राज्यसभा सांसद मुजिबुल्ला खान ने प्रस्तावित वक्फ (संशोधन) विधेयक के उन प्रावधानों पर चिंता व्यक्त की, जिसमें मजिस्ट्रेट निर्धारित करते हैं कि कोई संपत्ति सरकार की है या वक्फ की. उन्होंने कहा कि यह वक्फ की स्वायत्ता के लिए हानिकारक है और इस तरह के प्रावधान पूर्वाग्रह, पक्षपात और वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कमजोर करते हैं. उन्होंने कहा कि वक्फ कानून में इन बदलावों का वक्फ संपत्तियों की स्वायत्ता, सुरक्षा और शासन पर दूरगामी असर पड़ेगा. मुजिबुल्ला खान ने मांग की कि जिन वक्फ संपत्तियों का विभिन्न सर्वे कमिश्नर ने सर्वेक्षण किया और सरकार राजपत्र में उन्हें प्रकाशित किया गया, ऐसी संपत्तियों को वक्फ प्रॉपर्टी के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए और संरक्षित किया जाना चाहिए.
बीजेडी के नेाओं ने कहा कि वह संशोधन विधेयक के विरोध पर फोकस कर रही है और धर्म निरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने के लिए एनडीए सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष बनना चाहती है. उन्होंने यह भी कहा कि वह बिल का विरोध राजनीतिक या चुनावी फायदे के लिए नहीं कर रही है. 2011 की जनगणना के अनुसार ओडिशा में 2.17 फीसदी मुस्लिम आबादी है. ओडिशा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेडी को करारी शिकस्त मिली और दो दशक बाद बीजेडी सत्ता से बाहर हो गई. लोकसभा चुनाव में भी पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई और एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी. अब सिर्फ राज्यसभा में बीजेडी के सात सांसद हैं.
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