बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट जांच-सुधार (SIR) को रोकने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि हम संवैधानिक संस्था को वह कार्य करने से नहीं रोक सकते, जो उन्हें करना चाहिए. हालांकि कोर्ट ने चुनाव आयोग को 11 दस्तावेजों में आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को शामिल करने का सुझाव दिया.
आधार केवल पहचान पत्र है- चुनाव आयोग
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि आधार भी तो मतदाता की पहचान के लिए इस्तेमाल होता है. इस पर इलेक्शन कमीशन के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, “जिन 11 दस्तावेजों को मांगा गया है, उनके पीछे एक उद्देश्य है. आधार कार्ड को आधार कार्ड एक्ट के तहत लाया गया है. आधार कार्ड कभी भी नागरिकता का आधार नहीं हो सकता. ये केवल एक पहचान पत्र है. जाति प्रमाण पत्र आधार कार्ड पर निर्भर नहीं है. आधार केवल पहचान पत्र है, उससे ज्यादा कुछ नहीं.”
‘वोटर आईडी और आधार नंबर भरने के बाद होगा सत्यापन’
सूत्रों के मुताबिक SIR अधिसूचना के पेज नंबर 16 में आधार नंबर डालने का प्रावधान है. 16 नंबर के फॉर्म में ऊपर नाम पता और वोटर आईडी कार्ड नंबर भरना होता है. उसके नीचे जन्मतिथि, आधार नंबर और मोबाइल नंबर भरने का स्थान है. चुनाव आयोग के अनुसार वोटर इस फॉर्म में जो भी जानकारी देगा उसका सत्यापन किया जाएगा. ECI के मुताबिक ऐसे में इस सवाल का कोई मतलब ही नहीं बनता है कि आधार और वोटर कार्ड क्यों नहीं शामिल किया गया.
चुनाव आयोग के मुताबिक 60 फीसदी लोगों ने अब तक फॉर्म भर दिया है और आधे से अधिक फॉर्म को अपलोड भी कर दिया गया है. आयोग ने आगे कहा, हमें प्रक्रिया पूरी करने दीजिए और फिर कोई फैसला लेंगे। नवंबर में चुनाव हैं और हमें अभी क्यों रोका जाए? आप हमें बाद में भी रोक सकते हैं।इस पर जस्टिस बागची ने कहा, “हम चुनाव आयोग के काम में दखल देने के पक्ष में नहीं हैं. हम चुनाव आयोग को एसआईआर करने से रोक नहीं सकते.”
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