Bihar Assembly Election: नीतीश-BJP से ज्यादा तेजस्वी-लालू को भारी पड़ेंगे राहुल के वो 24 मिनट!

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Bihar Assembly Election: नीतीश-BJP से ज्यादा तेजस्वी-लालू को भारी पड़ेंगे राहुल के वो 24 मिनट!

यूं तो राहुल गांधी के बिहार पहुंचने की वजह से सबसे ज्यादा असहज नीतीश कुमार और बीजेपी को होना चाहिए था, लेकिन हुआ इसका उल्टा. राहुल गांधी के बिहार पहुंचने, बेगुसराय में कन्हैया कुमार के साथ पदयात्रा में शामिल होने और महज 24 मिनट तक इस यात्रा में मौजूद रहने के बावजूद जिस तरह से बीजेपी ने राहुल गांधी पर निशाना साधा है, उसने ये जता दिया है कि राहुल की इस यात्रा से न तो नीतीश को कोई फर्क पड़ रहा है और न ही बीजेपी को. फर्क पड़ रहा है तेजस्वी यादव और लालू यादव को जिन्हें राहुल की इस यात्रा में दिल्ली वाली तैयारी दिख रही है.
बिहार के बेगुसराय पहुंचे राहुल गांधी ने कन्हैया कुमार के साथ पदयात्रा की और करीब 24 मिनट तक यात्रा करने के बाद राहुल पटना के लिए रवाना हो गए अब जाहिर है कि बात बेगुसराय की थी तो वहां के सांसद गिरिराज सिंह का बयान आना ही था. तो बयान आया. और बिल्कुल चिरपरिचित अंदाज में गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी पर निशाना साधा.
अब गिरिराज सिंह राहुल का पलायन रोकने की बात कर रहे हैं, क्योंकि राहुल जिस यात्रा में शामिल हुए थे वो पलायन रोको यात्रा ही थी, जिसकी अगुवाई कन्हैया कुमार कर रहे हैं. कन्हैया कुमार को लोकसभा चुनाव में गिरिराज सिंह मात दे चुके हैं तो गिरिराज को अभी कन्हैया से कोई खतरा नजर नहीं आ रहा होग, लेकिन जिस तरह से कन्हैया कुमार की यात्रा में कांग्रेस के कार्यकर्ता जुड़ते जा रहे हैं और जिनकी संख्या राहुल गांधी के पहुंचने की वजह से बेतहाशा बढ़ गई है, उसने तेजस्वी यादव को तो परेशानी में डाल ही दिया होगा. याद करिए 2019 का लोकसभा चुनाव. तेजस्वी हर हाल में कन्हैया कुमार को बिहार में स्थापित होने से रोकना चाहते थे और तभी तो गठबंधन के बावजूद बेगुसराय में तेजस्वी ने कन्हैया के खिलाफ उम्मीदवार देकर उनकी हार पर अपनी भी मुहर लगाई थी.
तब गठबंधन लेफ्ट के साथ था और कन्हैया भी लेफ्ट के साथ थे. लेफ्ट के छिटकने की वजह से तेजस्वी की सेहत पर कोई असर पड़ना नहीं था तो तेजस्वी ने वो रिस्क ले लिया, लेकिन अब कन्हैया कांग्रेस के नेता हैं. कांग्रेस उन्हें तवज्जो भी दे रही है और राहुल गांधी की कन्हैया की पदयात्रा में मौजूदगी इस बात का सबूत भी है. बाकी बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस कितनी तैयार है, ये उसके हालिया दिनों में लिए गए फैसले से भी जाहिर हो गया है. दलित प्रदेश अध्यक्ष, बिहार के लिए नए प्रभारी, राहुल गांधी का लगातार बिहार दौरा और अब कन्हैया की पदयात्रा इस बात की गवाही देने लगे हैं कि अब बिहार में कांग्रेस वो कांग्रेस नहीं रह गई है, जिसे आरजेडी के इशारे की जरूरत थी. अब बिहार में कांग्रेस को चाहिए फुल इज्जत और उसी इज्जत की खातिर राहुल गांधी ने दिल्ली-पटना एक कर दिया है.
ऐसे में मुश्किल तेजस्वी और लालू के सामने है. लालू-तेजस्वी कांग्रेस को अभी अपने सहयोगी के तौर पर ही देख रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि वो जो कहेंगे, कांग्रेस मान लेगी, लेकिन पहले हरियाणा और फिर दिल्ली में जो हुआ है, उसे देखकर तो लगता नहीं है कि कांग्रेस 2019 लोकसभा या 2020 विधानसभा या 2024 लोकसभा वाले मूड में है. अब कांग्रेस उस मूड में है कि जिसे गरज होगी, वो खुद उसके पास आएगा, कांग्रेस अब किसी के पास नहीं जाएगी. तब परेशानी तेजस्वी को होगी, क्योंकि अभी तक के गठबंधन में तेजस्वी या लालू जो चाहे, जितनी चाहे सीटें कांग्रेस को दे देते थे और कांग्रेस उसे प्रसाद समझकर रख भी लेती थी, लेकिन अब शायद ही ऐसा हो. कन्हैया की मेहनत, राहुल गांधी के दौरे और जातिगत समीकरणों के आधार पर कांग्रेस संगठन में हुए बदलाव कांग्रेस को उस दिशा में लेकर जाते हुए दिख रहे हैं, जहां उसके गठबंधन के सहयोगियों के लिए दिल्ली के चुनावी नतीजों को बार-बार देखने की जरूरत पड़ सकती है. 
 
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