घोटाले में 21 साल बाद बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी को मिली सजा, 80 लाख का किया था गबन

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Bank Of India Scam: सीबीआई की विशेष अदालत ने बैंक घोटाले के मामले में बैंक ऑफ इंडिया, अहमदाबाद की एसएम रोड ब्रांच के पूर्व चीफ मैनेजर जीवन श्रीनिवास राव को 3 साल की कैद और 1.5 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.
क्या है पूरा मामला?
सीबीआई ने 30 अक्टूबर, 2003 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी. आरोप था कि पूर्व बैंक अधिकारी और अन्य आरोपियों ने मिलकर धोखाधड़ी की साजिश रची और बैंक से कर्ज लेने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया. इस साजिश में जाली कोलेटरल सिक्योरिटी (गिरवी संपत्ति) पेश करना, मशीनरी सप्लायर के नाम पर फर्जी खाता खोलना और उसमें बैंक से जारी चेक जमा करना शामिल था.
फर्जी संपत्ति दिखा कर लिया था लोन
आरोपियों ने फर्जी संपत्ति के दस्तावेज दिखाकर लोन लिया, जबकि बैंक अधिकारी ने बिना जांच-पड़ताल के कर्ज को मंजूरी दी. इतना ही नहीं, जब यह घोटाला उजागर होने लगा तो बैंक अधिकारी ने फर्जी कोलेटरल सिक्योरिटी से जुड़े दस्तावेजों को नष्ट कर दिया.
कैसे हुआ घोटाला?
जांच में सामने आया कि आरोपी बैंक मैनेजर जे. एस. राव ने निजी आरोपियों के साथ मिलकर 30 लाख रुपये का वर्किंग कैपिटल लोन, 25 लाख रुपये का लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) और 25 लाख रुपये का टर्म लोन स्वीकृत किया. कुल मिलाकर 80 लाख रुपये का फर्जी लोन स्वीकृत किया गया, जिससे बैंक को भारी नुकसान हुआ और निजी आरोपियों को फायदा पहुंचा.
बैंक ने भी नहींं की थी जांच
बैंक अधिकारी ने कर्ज देने से पहले जरूरी जांच-पड़ताल नहीं की और न ही कर्ज देने के बाद निगरानी रखी, जबकि उसे पता था कि जिस निजी कंपनी को लोन दिया जा रहा है. वह पहले भी फर्जी कोलेटरल सिक्योरिटी के आधार पर कर्ज ले चुकी थी. इसके बावजूद आरोपी अधिकारी ने गांधीनगर जिले के कलोल तालुका के वायना गांव में स्थित एक जाली संपत्ति को गिरवी रखकर लोन दे दिया.
सीबीआई ने 2005 में दाखिल की थी चार्जशीट
सीबीआई ने 23 दिसंबर, 2005 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने आरोपी जे. एस. राव को दोषी मानते हुए 3 साल की सजा और 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
बैंक घोटालों में सख्ती जरूरी
बैंक घोटाले देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं. पिछले कुछ वर्षों में नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चौकसी जैसे बड़े बैंक घोटाले सामने आए हैं, जिनमें बैंकों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. ऐसे मामलों में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. बैंक धोखाधड़ी के इस मामले में भी सीबीआई की जांच के बाद दोषी को सजा मिली, जिससे यह साफ हो जाता है कि सरकारी एजेंसियां अब ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई कर रही हैं.
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