भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने देश के सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्थित 17 ऐतिहासिक स्मारकों को ‘राष्ट्रीय महत्व’ की सूची से हटा दिया है, क्योंकि ये 17 स्मारक दशको से गायब थे और ढूंढने के प्रयासों के बाद भी इन्हें ढूंढा नहीं जा सकता था. ASI के गैजेट नोटिफिकेशन के मुताबिक, यह निर्णय प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 35 के तहत लिया गया है.
संस्कृति मंत्रालय की तरफ से 8 मार्च 2024 को इन स्मारकों को सूची से हटाने के लिए मसौदा अधिसूचना जारी की गई थी. साथ ही आम जनता से 60 दिनों के भीतर सुझाव या आपत्तियां मांगी गई थी. अब क्यूंकि तय समयसीमा तक कोई आपत्ति प्राप्त नहीं हुई, इसलिए मंत्रालय ने अब इन स्मारकों को आधिकारिक रूप से डीलिस्ट कर दिया है.
डीलिस्ट में यहां के स्मारक शामिल
डीलिस्ट किए गए स्मारकों में हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कई छोटे ऐतिहासिक महत्व वाले स्थल शामिल हैं. इनमें गुरुग्राम और करनाल के दो कोस मीनार, दिल्ली का बाराखंभा कब्रिस्तान और कोटला मुबारकपुर की इंचला वाली गुंबद, राजस्थान के बारां और जयपुर के दो स्थल, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, वाराणसी, मिर्जापुर, झांसी, गाजीपुर और बांदा स्थित 10 से अधिक कब्रगाहें, शिलालेख और मंदिरों के अवशेष शामिल हैं.
राष्ट्रीय महत्व के दो प्रमुख स्मारकदूसरी ओर, ASI ने दो नए स्थलों को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया है. इनमें पहला है ‘इस्को चित्रित शैल आश्रय’, जो झारखंड के हजारीबाग जिले के बरकागांव क्षेत्र में स्थित है. यह स्थल आज से 12 हजार साल पुराना है और मध्य पाषाण काल की गुफा चित्रकारी और शैलकला के लिए जाना जाता है. दूसरा स्मारक ओडिशा के खोरधा जिले के बनापुर स्थित ‘स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर’ है, जो एक मध्यकालीन भगवान शिव का मंदिर है, जिसके निर्माण का समय 10वीं से 13वीं शताब्दी के बीच का माना जाता है.
‘स्वप्नेश्वर महादेव मंदिर में ओडिशा की पारंपरिक कलिंग शैली की वास्तुकला दिखाई देती है. यह मंदिर भले ही कोणार्क या लिंगराज मंदिर जितना भव्य न हो, लेकिन इसकी स्थानीय धार्मिक महत्ता और संरचनात्मक स्थिति इसे ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाती है.
केरल का एक प्रमुख मंदिर भी शामिलइसके साथ ही, ASI ने केरल के पलक्कड़ जिले में स्थित ‘मंजलुंगल ताली महादेव मंदिर’ को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए लोगों से सुझाव भी आमंत्रित किए हैं. यह मंदिर ओंगल्लूर के पट्टांबी क्षेत्र में स्थित है और यह शिव मंदिर स्थानीय धार्मिक परंपराओं और सामाजिक मान्यताओं से गहराई से जुड़ा हुआ है. मंदिर की स्थापत्य शैली केरल की पारंपरिक वास्तुकला पर आधारित है, जिसमें लकड़ी की संरचनाएं, टाइल वाली छतें शामिल हैं.ये भी पढ़ें:- ‘ना पैसा गया, ना संपत्ति बदली, फिर…’, नेशनल हेराल्ड मामले पर सोनिया गांधी के वकील का ED से सवाल
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