Parliament Session: संसद में सोमवार (17 मार्च, 2025) को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे फाइनेंस बिल पर हुई चर्चा के जवाब में पहले राज्य सभा और फिर लोकसभा में चर्चा का जवाब दिया. रेल मंत्री ने अपने जवाब में जनता से जुड़े कई महत्वपूर्ण मामलों के संबंध में आंकड़े भी दिए.
‘विश्व में भारतीय रेल की ओर से निर्यात’
रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे विभिन्न देशों को मेट्रो कोच, बोगी, प्रोपल्शन, पैसेंजर कोच और लोकोमोटिव का निर्यात कर रही है. ऑस्ट्रेलिया को मेट्रो कोच और यूके, सऊदी अरब और फ्रांस को बोगी, मैक्सिको, रोमानिया, स्पेन, जर्मनी और इटली को प्रोपल्शन निर्यात किया जा रहा है. मोजाम्बिक, बांग्लादेश, श्री लंका को पैसेंजर कोच और मोजाम्बिक, सेनेगल, श्री लंका, म्यांमार और बांग्लादेश को लोकोमोटिव का निर्यात किया जा रहा है.
‘दुनिया भर में दिखेंगे बिहार में बने रेल इंजन’
जल्द ही मेड इन बिहार लोकोमोटिव विश्व भर में देखे जाएंगे. फिलहाल सारण जिले के मढ़ौरा से बने 100 लोको का निर्यात जल्द ही किया जाएगा. इसके अलावा हाई स्पीड ट्रेनों में लगने वाले फोर्ज्ड व्हील को अब तक यूक्रेन से मंगाया जाता था लेकिन अब इसे तमिलनाडु में बनाया जा रहा है. जल्द ही इसका निर्यात भी किया जाएगा. इस साल 1400 लोकोमोटिव बनाए जा रहे हैं जो कि एक रिकॉर्ड होगा, ये अमेरिका और यूरोप को मिलाकर भी उनसे ज्यादा हैं. इसके अलावा इस साल करीब दो लाख नए वैगन भारतीय रेल में जुड़े हैं.
‘आर्थिक रूप से आत्म निर्भर हो चुका है रेलवे’
रेल मंत्री ने सदन को बताया कि कोविड के कारण रेलवे को जो फाइनेंस की समस्या आई थी उससे अब रेलवे उबर चुकी है. रेलवे का करीब दो लाख अठहत्तर हजार करोड़ रुपए का रेवन्यू है और दो लाख पिछत्तर हजार करोड़ के खर्चे हैं. आज रेलवे अपने सभी खर्चे खुद से कर रहा है. स्टाफ का खर्च एक लाख सोलह हजार करोड़ रुपए है. पेंशन बिल का खर्च करीब सोलह हजार करोड़ रुपए है. एनर्जी की कॉस्ट बत्तीस हजार करोड़ रुपए है.
‘टॉप थ्री देशों में भारतीय रेल’
कार्गो ढुलाई के क्षेत्र में 31 मार्च 25 तक भारतीय रेलवे विश्व के टॉप थ्री देशों में शामिल हो जाएगा. इस साल रेलवे ने 1.6 बिलियन टन कार्गो ढुलाई की है. भारत और यूएस का आंकड़ा बराबर है जबकि चीन का कुछ अधिक है. तीनों ही देश टॉप टेन में शामिल होंगे.
‘2029 तक सभी यात्री ट्रेनों में लग जाएंगे एलएचबी कोच’
पुराने आईसीएफ कोच की तुलना में नए एलएचबी कोच अधिक सुरक्षित हैं. अब तक 41000 एलएचबी कोच बन गए हैं. मोदी सरकार के मौजूदा टर्म में सभी आईसीएफ कोच को नए एलएचबी कोच से रिप्लेस कर दिया जाएगा.
‘लाभ में है भारतीय रेल’
एक पैसेंजर को एक किलोमीटर तक ले जाने में रेलवे को 1.38 रुपए का खर्च आता है. जबकि किराया लिया जाता है सिर्फ 73 पैसे. यानी करीब 47 प्रतिशत की सब्सिडी यात्रियों को दी जाती है. साल 22-23 में 57 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई थी, जबकि साल 2023-24 में ये सब्सिडी करीब 60 हजार करोड़ की है. बता दें कि रेलवे फ्रेट से ही कमाई करती है और इससे कुछ हिस्सा यात्री सब्सिडी में दे देती है.
‘रेलवे का नेट जीरो का लक्ष्य’
रेलवे ने कार्बन उत्सर्जन के मामले में नेट जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 2030 तक का लक्ष्य रखा है. इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा. अभी रेलवे फॉसिल फ्यूल का भी इस्तेमाल कर रहा है लेकिन 2030 तक इसका इस्तेमाल पूरी तरह बंद हो जाएगा. ये लक्ष्य स्कोप 2 के अंतर्गत है. स्कोप 1 का लक्ष्य इस साल पूरा कर लिया जाएगा. जिसके अंतर्गत रेलवे जितना कार्बन उत्सर्जन करता है उतना ही पर्यावरण में योगदान भी करता है.
‘एक लाख रोजगार की चल रही है प्रक्रिया’
पिछले दस सालों में रेलवे ने पांच लाख लोगों को रोजगार दिया है, जबकि यूपीए में चार लाख लोगों को रोजगार दिया गया था. इस समय एक लाख लोगों को रोजगार देने की प्रक्रिया चल रही है.
‘बच्चों के लिए भी चाहिए रेलवे फ्री यात्रा पास’
इटावा से समाजवादी पार्टी के सांसद जितेंद्र दोहरे ने आज सदन में कहा कि सांसद और उसकी पत्नी को तो रेलवे यात्रा का फ्री पास मिलता है लेकिन उनके बच्चे कहां जाएं.
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