AISPLB Meeting: इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (AISPLB) की बैठक 19 दिसंबर को लखनऊ में आयोजित की गई. AISPLB की बैठक में देश और दुनिया के विभिन्न गंभीर मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ. इनमें भारत में मस्जिदों के अनादर, वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा, मध्य-पूर्व के इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध और सीरिया में राजनीतिक अस्थिरता जैसे मुद्दे प्रमुख रहे.
बैठक में मस्जिदों के अनादर पर गहरी चिंता कहा गया “मस्जिदें सिर्फ इबादतगाह ही नहीं हैं, बल्कि हमारे धर्म और संस्कृति का प्रतीक भी हैं. इनके साथ होने वाला अनादर हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है. हाल के दिनों में मस्जिदों को निशाना बनाने के मामले बढ़े हैं, जो देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए ख़तरा हैं. प्रशासन को ऐसी घटनाओं के प्रति सख़्त रवैया अपनाना चाहिए. कानून का पालन कराते हुए मस्जिदों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकारों की जिम्मेदारी है, जुलूस निकालने की स्वतंत्रता सबको है, लेकिन किसी भी धार्मिक स्थल का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
बोर्ड के अध्यक्ष ने क्या कहा?Board के अध्यक्ष मौलाना सायम मेहदी ने कहा “इधर एक दशक में असामाजिक तत्वों द्वारा मस्जिदों की दीवारों पर पत्थरबाज,भड़काऊ नारेबाजी और अपमानजनक टिप्पणियां, मस्जिदों पर धार्मिक झंडे या प्रतीक लगाना और लाउडस्पीकर का दुरुपयोग कर मस्जिद के सामने भड़काऊ भाषण देने का चलन बढ़ा है. बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा ऐसी हरकते करने वाले संगठनों और कट्टरपंथी की पहचान कर उनके खिलाफ़ सख़्त कारवाई होना चाहिए है.
वक्फ संपत्तियों पर बोर्ड का रूखबोर्ड ने कहा “वक्फ संपत्तियों का संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है. यह हमारी आने वाली पीढ़ियों की अमानत है, जिसे हमें हर हाल में सुरक्षित रखना होगा.” बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर जेपीसी की कार्यवाही पर भी गहरी नाराज़गी जाहिर की. मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, “जेपीसी को उन संगठनों की राय लेनी चाहिए जो वक्फ से सीधे जुड़े हैं, न कि उन संस्थाओं की, जिनका इससे कोई लेना-देना नहीं.”
सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप का स्वागतबोर्ड ने मस्जिदों के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का स्वागत किया. “सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला मस्जिदों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे सांप्रदायिक सौहार्द्र को बल मिलेगा और अल्पसंख्यक समुदाय का भरोसा बढ़ेगा.”
मध्य-पूर्व और सीरिया के हालात पर जताई गई चिंताबोर्ड की बैठक में मध्य-पूर्व में चल रहे इजरायल और फिलिस्तीन युद्ध और सीरिया में हुए राजनीतिक बदलाव पर भी चर्चा हुई. बोर्ड ने कहा कि गाजा में इजरायल द्वारा किए जा रहे नरसंहार को तुरंत रोका जाना चाहिए. सीरिया में आतंकी संगठन हयात तहरीर अल शाम (HTS) की सरकार बनी है. इस सरकार का नेतृत्व अबू मोहम्मद अल जुलानी कर रहा है, जो एक आतंकवादी है.” ऐसे में सीरिया में अल्पसंख्यकों, विशेषकर शिया समुदाय की जानों और पवित्र स्थलों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है.” बोर्ड ने संयुक्त राष्ट्र संघ और मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे सीरिया के पवित्र स्थलों जैसे हज़रत ज़ैनब और हज़रत सकीना आदि के रोज़ों और वहां के शिया समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करें.
बोर्ड ने मस्जिदों की सुरक्षा के लिए प्रशासन से निम्नलिखित कदम उठाने की अपील की
1. धार्मिक जुलूसों के दौरान सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए जाएं.2. मस्जिदों के अनादर करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए.3. वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए विशेष निगरानी तंत्र बनाया जाए.
बैठक में कहा गया कि सरकार, न्यायपालिका और समाज के सभी वर्ग मिलकर इन मुद्दों को हल करें ताकि देश में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे और वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए.
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