West Bengal Latest News: पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को 10 वर्षीय बच्ची के साथ रेप और हत्या के मामले में कड़ा फैसला सुनाया. अदालत ने 19 वर्षीय दोषी को मौत की सजा सुनाई. इसमें सबसे बड़ी बात ये है कि यह फैसला अपराध के 62 दिन बाद ही आया है. बच्ची का शव 5 अक्टूबर को एक तालाब में मिला था. आरोपी को उसी दिन कुछ घंटों बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. 4 अक्टूबर को ट्यूशन क्लास से घर लौटते समय वह लापता हो गई थी.
अदालत ने अपने फैसले में यह भी निर्देश दिया है कि पीड़िता के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए. वहीं, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले की सराहना करते हुए इसे राज्य के इतिहास में अभूतपूर्व बताया है.
शुक्रवार को अदालत ने किया सजा का ऐलान
इससे पहले शुक्रवार (6 दिसंबर 2024) को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुब्रत चट्टोपाध्याय की POCSO अदालत ने दोषी – मुस्तकिन सरदार को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 65 (बलात्कार), 66 (पीड़िता की मृत्यु या उसे लगातार अचेत अवस्था में रखने की सजा) और 103 (हत्या) के अलावा पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया.
5 नवंबर से शुरू हुआ था मुकदमा
इस केस में पुलिस ने 30 अक्टूबर 2024 को आरोपपत्र दाखिल किया और 5 नवंबर से शुरू हुआ मुकदमा महज 21 दिनों में पूरा हो गया. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध के बीच हुई इस घटना के कारण इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुए थे. प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग लगा दी थी, एक पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की गई थी और सड़कें भी जाम कर दीं गईं थीं.
देश में मिसाल कायम कर सकता है यह फैसला
इस केस को लड़ने वाले विशेष सरकारी वकील बिवास चटर्जी ने कहा कि यह फैसला देश के आपराधिक न्यायशास्त्र के इतिहास में एक मिसाल कायम कर सकता है, क्योंकि जांच और सुनवाई बहुत तेजी से की गई.
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