<p style="text-align: justify;">महिलाओं एवं बच्चों की यौन अपराधों से सुरक्षा को सरकार की प्राथमिकता बताते हुए महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने बुधवार (12 मार्च, 2025) को कहा कि देश में ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए 404 विशेष पॉक्सो अदालतों सहित 745 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें कार्यरत हैं जिनमें 3,06,000 से अधिक मामलों को निपटाया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;">महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने राज्यसभा को बताया कि यौन अपराधों से पीड़ित महिलाओं और बच्चों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने 2019 में राज्यवार फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें शुरु कीं जो तीस राज्यों में काम कर रही हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि अब तक 790 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों को मंजूरी दी गई है. इनमें से 404 विशेष पॉक्सो अदालतों सहित 745 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतें 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में काम कर रही हैं. इनमें बलात्कार और पॉक्सो (बच्चों का यौन शोषण से संरक्षण) अधिनियम के तहत अपराधों के 3,06,000 से अधिक मामलों को निपटाया गया है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न से पीड़ित बच्चों को निर्भया कोष के तहत मदद की जाती है और उनकी काउंसलिंग भी की जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;">एक अन्य पूरक प्रश्न के उत्तर में सावित्री ठाकुर ने बताया कि कम उम्र में बालिकाओं का यौन उत्पीड़न होने पर उनकी मदद के लिए हर जिले में ‘वन स्टॉप सेंटर’ खोले गए हैं. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल को छोड़ कर सभी राज्यों में ‘वन स्टॉप सेंटर’ हैं जहां पीड़िता को चिकित्सा सहायता, कानूनी सहायता, पुलिस सहायता, काउंसलिंग आदि की सुविधा दी जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने बताया कि पीड़िता की मदद के लिए हेल्प लाइन नंबर उपलब्ध है जिस पर फोन आने पर बीस मिनट के अंदर उसे मदद दी जाती है. उन्होंने बताया कि पीड़िता के लिए वाहनों की व्यवस्था है और उनकी काउंसेलिंग भी की जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने बताया कि वन स्टॉप सेंटर में आ कर पीड़िता पांच दिन रह सकती है और अगर वह आगे भी रहना चाहे तो उसे स्थिति के मुताबिक अन्य केंद्रों में रखा जाता है. उन्होंने बताया कि देश भर में 802 वन स्टॉप केंद्र हैं जिनमें 31 जनवरी 2025 तक 10.80 लाख से अधिक पीड़िताओं को मदद की गई है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने बताया कि उन्होंने बताया कि पुलिस थानों को महिलाओं के लिए अधिक अनुकूल और सुलभ बनाने के वास्ते 14,658 महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए हैं जिनमें से 13,743 की प्रमुख महिला पुलिस अधिकारी हैं. उनके अनुसार, जरूरतमंद और संकटग्रस्त महिलाओं की मदद के लिए विभिन्न आपात स्थिति में सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ईआरएसएस) की स्थापना की गई है.</p>
<p style="text-align: justify;">उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल को छोड़ कर 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पूरी तरह कार्यशील विशिष्ट महिला हेल्पलाइन कार्यरत है. इसे ईआरएसएस के साथ भी एकीकृत किया गया है.</p>
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महिलाओं, बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों की सुनवाई के लिए 745 विशेष अदालतें

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