5 साल में 11 बड़े अस्पतालों में आग, 107 लोगों की मौत, लेकिन आरोपी बाहर, कार्रवाई और सेफ्टी सिर

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Hospital Fire Incidents in Last Five Years: पिछले महीने झांसी में एक सरकारी अस्पताल में आग लगने से 18 नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी. तब कई तरह के सवाल उठे थे, लेकिन धीरे-धीरे हर बार की तरह इस बार भी मामला शांत हो गया है. जो नेता और अधिकारी जिम्मेदारी तय करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कह रहे थे, अब वे अपने कामों में व्यस्त हैं.
इन सबके बीच कुछ आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 5 साल में 11 प्रमुख अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं के कारण और उसके बाद करीब 107 लोगों की जान जा चुकी है. इस साल के शुरुआत में हुए एक हादसे को छोड़कर बाकी सभी में आरोपी अस्पताल के मालिक या चीफ ज़मानत पर बाहर हैं. वहीं 7 मामले अब भी अदालत में चल रहे हैं.
2020 से 2024 के बीच 105 घटनाएं
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में उन अस्पताल में आग लगने की घटनाओं पर नज़र डाली, जिनमें पांच या उससे ज़्यादा लोगों की जान चली गई. निश्चित रूप से, यह पिछले आधे दशक में अस्पताल या क्लिनिक में आग लगने की कुल घटनाओं का एक छोटा सा हिस्सा भर है. जनवरी 2020 और अक्टूबर 2024 के बीच, कम से कम 105 ऐसी घटनाएं हुई हैं.
अधिकतर मामलों में आग की वजह शॉर्ट सर्किट
इंडियन एक्सप्रेस ने जिन 11 घटनाओं पर गौर किया, उनमें से नौ 2020, 2021 और 2022 में हुईं. 5 घटनाएं 2021 में हुईं, जब कोरोना महामारी अपने चरम पर थी और हेल्थ सिस्टम पर बहुत ज्यादा दबाव था. इस रिपोर्ट में कई अन्य चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 11 में से कम से कम आठ में आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई गई, जिसके लिए बिजली की लाइनों और उपकरणों का अनुचित रखरखाव जिम्मेदार है; कई अस्पतालों ने बुनियादी सुरक्षा उपायों की अनदेखी की और अग्निशामक यंत्र, स्प्रिंकलर और वेल ट्रेंड कर्मचारियों की अनदेखी की. दूसरी तरफ सरकारी एजेंसियां एक्सपायर हो चुके फायर सर्टिफिकेट पर चल रहे अस्पतालों, कंस्ट्रक्शन रूल्स का उल्लंघन करने पर किसी भी तरह की कार्रवाई करने और ऐसे अस्पतालों पर नजर रखने में विफल रही. 
लगभग सभी केस में आरोपियों को मिल चुकी है जमानत
इस साल दिल्ली में हुई आग की घटना को छोड़कर, अन्य सभी मामलों में आरोपियों को ज़मानत मिल गई है. इन मामलों में एफआईआर 304 (गैर इरादतन हत्या), 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण बनना), 336 (दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा या जीवन को खतरे में डालने वाले कार्य), 337 (उतावलेपन या लापरवाही से काम करके किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुँचाना) और 34 (सामान्य इरादे) जैसी धाराओं के तहत दर्ज की गई थी. इसके अलावा कम से कम 11 में से सात अदालती मामले अभी भी चल रहे हैं जो यह दर्शाता है कि न्यायिक प्रक्रिया कितनी लंबी खिंच सकती है.
कई केस में डॉक्टरों ने दूसरी जगह शुरू की प्रैक्टिस
11 में से सात मामलों में, मालिक या डॉक्टर जिनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे, उन्होंने या तो कहीं और प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया है या अस्पताल प्रबंधन के हिस्से के रूप में काम कर रहे हैं. एक मामले में, अहमदनगर सिविल अस्पताल में, आरोपी एक सरकारी कर्मचारी है, और 2022 में सरकारी स्वास्थ्य विभाग से मांगी गई प्रोसिक्यूशन सेक्शन अभी भी लंबित है. एक अन्य मामले में, धनबाद में आरसी हाजरा मेमोरियल अस्पताल, अस्पताल के मालिक डॉक्टर भी आग में मर गए. भंडारा जिला अस्पताल में आग लगने के मामले में कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की गई.
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