क्या होता है मोस्ट फेवर्ड नेशन, स्विट्जरलैंड ने भारत का यह दर्जा क्यों छीना

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हाइलाइट्सस्विट्जरलैंड ने यह कदम भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उठायासुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सीधा असर नेस्ले सहित अन्य कंपनियों पर पड़ेगाभारतीय कंपनियों को भी स्विट्जरलैंड में कमाई पर ज्यादा टैक्स देना पड़ेगाIndo-Swiss Trade Relation: स्विट्जरलैंड ने भारत का मौजूदा मोस्ट-फेवर्ड-नेशन (MFN) का दर्जा खत्म कर दिया है. स्विट्जरलैंड ने यह कदम भारत के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उठाया है. इस फैसले में कहा गया था कि डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) तब तक लागू नहीं होगा जब तक इसे इनकम टैक्स एक्ट के तहत अधिसूचित नहीं किया जाता. इस फैसले का सीधा असर नेस्ले जैसी अन्य स्विस कंपनियों पर पड़ेगा, जिन्हें अब डिविडेंड पर अधिक टैक्स चुकाना होगा. वहीं अब भारतीय कंपनियों को भी स्विट्जरलैंड में की गई इनकम पर ज्यादा टैक्स कटौती का सामना करना पड़ेगा. यह फैसला एक जनवरी, 2025 से लागू होगा. इसका असर भारत में स्विस निवेश पर असर पड़ने की भी आशंका है. 

क्या होता है मोस्ट-फेवर्ड-नेशन?मोस्ट फेवर्ड नेशन यानी MFN एक खास दर्जा होता है. टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT), 1994 के अनुच्छेद 1 के अनुसार, प्रत्येक डब्ल्यूटीओ (World Trade Organization) सदस्य देश को अन्य सभी सदस्य देशों को एमएफएन का दर्जा (या टैरिफ और व्यापार बाधाओं के संबंध में तरजीही व्यापार शर्तें) प्रदान करना आवश्यक है. इसमें एमएफएन राष्ट्र को भरोसा दिलाया जाता है कि उसके साथ भेदभाव रहित व्यापार किया जाएगा. डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार ऐसे दो देश एक-दूसरे से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते. इसमें यह भी कहा गया है कि अगर व्यापार सहयोगी को खास दर्जा दिया जाता है तो डब्ल्यूटीओ के सभी सदस्य राष्ट्रों को भी वैसा ही दर्जा दिया जाना चाहिए.

164 देश हैं डब्ल्यूटीओ के सदस्यडब्ल्यूटीओ एकमात्र वैश्विक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के बीच व्यापार के नियमों से निपटता है. डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य देश विश्व व्यापार का 98 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं. केवल मुट्ठी भर बहुत छोटे देश ही डब्ल्यूटीओ से बाहर हैं. डब्ल्यूटीओ का प्राथमिक उद्देश्य सभी के लाभ के लिए व्यापार को खोलना है. इस अर्थ में, ‘मोस्ट फेवर्ड या सबसे पसंदीदा’ शब्द विरोधाभास जैसा लगता है. लेकिन भले ही यह विशेष व्यवहार का सुझाव देता है, लेकिन डब्ल्यूटीओ में इसका वास्तव में गैर-भेदभाव का अर्थ है, यानी लगभग सभी के साथ समान व्यवहार करना. वास्तव में, तब, प्रत्येक डब्ल्यूटीओ सदस्य को अन्य सभी डब्ल्यूटीओ सदस्यों के लिए ‘मोस्ट फेवर्ड’ माना जाता है.

एमएफएन का दर्जा मिलने के फायदेमोस्ट फेवर्ड नेशन का मतलब केवल इतना है कि व्यापार में कोई भी देश जिसे ये दर्जा मिला हो वो किसी दूसरे देश की तुलना में घाटे में नही रहेगा. जब किसी देश को यह दर्जा दिया जाता है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह शुल्कों में कटौती करेगा. अलावा उन दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं का आयात और निर्यात भी बिना किसी शुल्क के होता है. मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा जिस किसी भी देश को दिया जाता है, उस देश को व्यापार में अधिक प्राथमिकता दी जाती है. विकासशील देशों के लिए एमएफएन फायदे का सौदा है.  इससे इन देशों को एक बड़ा बाजार मिलता है. जिससे वे अपने सामान को वैश्विक बाजार में आसानी से पहुंचा सकते हैं.

क्या वापस ले सकते हैं एमएफएन का दर्जा? डब्ल्यूटीओ के आर्टिकल 21बी के तहत कोई भी देश उस सूरत में किसी देश से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले सकता है जब दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर विवाद उठ गया हो. हालांकि इसके लिए तमाम शर्तें पूरी करनी होती हैं. लेकिन भारत और स्विट्जरलैंड के बीच मामला कुछ अलग है. स्विस सरकार के बयान के मुताबिक नेस्ले मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 2021 में डबल टैक्स अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) में मोस्ट फेवर्ड दर्जे को ध्यान में रखते हुए बकाया टैक्स रेट के कंप्लाइंस को बरकरार रखा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 19 अक्टूबर, 2023 के एक फैसले में इस आदेश को पलट दिया था. पैकेज्ड फूड के कारोबार में लगी नेस्ले का हैडक्वार्टर स्विट्जरलैंड के वेवे शहर में है. स्विस वित्त विभाग ने अपने बयान में इनकम पर डबल टैक्सेशन से बचने के लिए दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत एमएफएन दर्जे को निलंबित करने की घोषणा की है.

Tags: Income tax exemption, Income tax implications, Supreme court of india, Switzerland NewsFIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 12:53 IST

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