दादा-पिता का सपना! पीसीएस की तैयारी कर शिक्षक से बने तहसीलदार, जानें कहानी

Must Read

Last Updated:January 12, 2025, 07:26 ISTSuccess Story: यूपी में मऊ जनपद के तहसीलदार आलोक रंजन सिंह की कहानी बहुती ही रोचक है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, बीएयू से पढ़ाने कर शिक्षक बने आलोक को उनके दादा और पिता ने अधिकारी बनने के लिए कहा. जहां वह पीसीएस की तैयारी कर तहसीलदार बन…और पढ़ेंमऊ: लोग अपने माता-पिता का सपना पूरा करने के लिए क्या से क्या कर जाते हैं. क्या आपने सुना है कि पिता का सपना पूरा करने के लिए कोई शिक्षक तहसीलदार बन सकता है. अगर नहीं तो आज हम आपको ऐसी कहानी बताने रहे हैं. जौनपुर जनपद के बिशनपुर मेवरूवा गांव में सुरेंद्र कुमार सिंह के घर 1 जनवरी 1981 को जन्मे आलोक रंजन सिंह की कहानी बहुत ही अनोखी है.

शिक्षक से बने तहसीलदार

आलोक रंजन सिंह कभी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक हुआ करते थे, लेकिन अपने दादा और पिता का सपना पूरा करने के लिए वह तैयारी कर तहसीलदार बन गए. फिलहाल वह मऊ में तहसीलदार पद पर कार्यरत हैं. तहसीलदार आलोक रंजन सिंह ने लोकल 18 को बताया कि वह अपने दादा और पिता सुरेंद्र कुमार सिंह का सपना पूरा करने के लिए शिक्षक का पद छोड़कर आज तहसीलदार बन गए हैं.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हुई पढ़ाई

उनके दादा और पिता का सपना था कि उनका लड़का कोई अधिकारी बने, जिनका सपना पूरा करने के लिए वह शिक्षा विभाग में नौकरी करते हुए अपनी पीसीएस की तैयारी शुरू कर दी. वह बताते हैं कि सन 1995  में श्री गिरिजा शरण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जौनपुर से हाई स्कूल की पढ़ाई किया. फिर 1997 में श्री गणेश राय इंटर कॉलेज जौनपुर से इंटर पास किया. इंटर पास करने के बाद वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी किए.

बीएचयू से किया पीजी

वहीं, परास्नातक के लिए वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी आ गए. यहां से वह परास्नातक की पढ़ाई पूरी किया. फिर उनका 2004 में ही शिक्षक पद पर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में नियुक्ति हो गई. जब वह विद्यालय पढाने जाने लगे तो उनके पिता ने कहा कि उनका सपना है कि उनका बेटा एक अधिकारी बने. इस बात से प्रेरित होकर वह अपनी पीसीएस की तैयारी शुरू कर दिए.

2008 में बने थे मार्केटिंग इंस्पेक्टर

इसी बीच 2008 में उनका मार्केटिंग इंस्पेक्टर के पद पर तैनाती हो गई. 2008 से ही उनका सिलसिला जारी हो गया. 2009 में वह सप्लाई इंस्पेक्टर बनाकर चंदौली भेजे गए. इसके बाद 2014 में वाराणसी में नायब तहसीलदार बनकर उन्होंने अपना कार्य शुरू कर दिया. 2020 में अंबेडकर नगर में तहसीलदार बनकर गए. इसके बाद वह लखनऊ, मऊ समेत कई जिलों में तहसीलदार पद पर कार्य किया.

पिता का सपना पूरा करने के लिए बने तहसीलदार

वर्तमान में उनकी तैनाती मऊ में तहसीलदार के पद है. यहां से वह जनता की सेवा कर रहे हैं. हालांकि तहसीलदार आलोक रंजन सिंह का कहना है कि आज वह तहसीलदार अपने पिता के सपना को पूरा करने के लिए बने हैं. यहां तक पहुंचने में उनके पिता का सबसे बड़ा योगदान है. यदि पिता का सपना नहीं होता, तो शायद आज वह विद्यालय में पढा रहे होते. आज वह अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए तहसीलदार बने हैं.

stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news

English News

- Advertisement -

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -

Latest Article

- Advertisement -