छेनी और हथौड़ी का ऐसा कमाल, खींचे चले आते हैं खरीददार, पीढ़ियों से चला आ रहा..

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Last Updated:March 03, 2025, 18:37 ISTफर्रुखाबाद की रिंकू शर्मा पारंपरिक बर्तन बनाने का काम करती हैं. वे स्टील की चादरों से चलनी, खुरपा आदि बनाती हैं. उनकी मेहनत और हुनर की सराहना होती है.X

लकड़ी और टीन से चलनी बनाते कारीगर.हाइलाइट्सफर्रुखाबाद की महिला पारंपरिक बर्तन बनाती हैं.छेनी और हथौड़ी से स्टील की चादरों पर निशान बनाती हैं.बर्तन की डिमांड हमेशा बनी रहती है.फर्रुखाबाद: हालात चाहे जैसे भी हों, समय हर किसी को किसी न किसी हुनर में पारंगत कर ही देता है, जिससे जीवन यापन किया जा सके और कमाई भी हो. फर्रुखाबाद की एक मेहनती महिला अपने पारंपरिक कार्य को आगे बढ़ाते हुए इस तरह काम कर रही हैं कि आज हर कोई उनकी सराहना कर रहा है.बढ़ई समाज से ताल्लुक रखने वाली ये कारीगर स्टील की चादरों को बाजार से लाने के बाद छेनी और हथौड़ी से उन पर निशान बनाती हैं. कई घंटे की मेहनत के बाद वे ऐसे बर्तन तैयार करती हैं, जो घरों में उपयोग किए जाते हैं और जिनकी हर समय मांग बनी रहती है. उनका कहना है कि पहले के समय में इन बर्तनों का अधिक उपयोग होता था, हालांकि अब इसका प्रचलन कुछ कम हो गया है, लेकिन फिर भी वे इन्हें बनाना जारी रखे हुए हैं. आसपास के क्षेत्रों में जब भी कोई मेला लगता है, तो वहां भी वे अपनी वस्तुएं बेचने जाती हैं.

पूर्वजों से मिला हुनर, आज बना प्रेरणालोकल18 से बातचीत में रिंकू शर्मा ने बताया कि उनका यह कार्य पीढ़ियों से चला आ रहा है. आज के आधुनिक दौर में जहां लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, ऐसे समय में वे सभी के लिए एक मिसाल बन गई हैं. रिंकू कहती हैं, “यह हमारा पारंपरिक कारोबार है, जिसमें पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम कर रही हूं.”रिंकू कमालगंज मुख्य मार्ग के पास अपने परिवार के साथ रहती हैं और वहीं घरेलू सामान तैयार करती हैं.बर्तन बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले टीन की चादर पर छेनी से छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं. पूरी चादर पर छेद करने के बाद हथौड़े से लगातार चोट करके उसे आकार दिया जाता है. फिर उसमें लकड़ी का हैंडल लगाकर इसे कृषि कार्यों और अनाज छानने में उपयोगी बनाया जाता है.

इन सामानों की है डिमांडरिंकू चलनी, खुरपा, हंसिया, हथौड़ी, कुल्हाड़ी, फावड़ा, छलना, चमचा जैसे कई सामान तैयार करती हैं. उनकी बनाई वस्तुएं ग्रामीण इलाकों और बाजारों में खूब बिकती हैं. वे प्रतिदिन लगभग 20 से 25 पीस बेच लेती हैं, जिनकी कीमत आमतौर पर 50 रुपये तक होती है.

ऐसे तैयार होते हैं ये सामानबर्तन बनाने के लिए सबसे पहले टीन की चादर पर छेनी से छोटे-छोटे छेद किए जाते हैं. पूरी चादर पर छेद करने के बाद उस पर हथौड़े से लगातार चोट कर उसे आकार दिया जाता है. फिर उसमें लकड़ी का हैंडल लगाया जाता है, जिससे इसे कृषि कार्यों और अनाज छानने में उपयोग किया जा सके.रिंकू शर्मा का यह हुनर सिर्फ उनकी आजीविका का साधन नहीं बल्कि परंपरा और मेहनत का अनूठा उदाहरण भी है.
Location :Farrukhabad,Uttar PradeshFirst Published :March 03, 2025, 18:37 ISThomebusinessछेनी और हथौड़ी का ऐसा कमाल, खींचे चले आते हैं खरीददार, पीढ़ियों से चला आ रहा..

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