पश्चिम मेदिनीपुर: अगर आपने बहुत साल नौकरी कर ली तो है अब कुछ अपना करने के बारे में सोचिए. कई लोग नौकरी के दायरे से बाहर जाकर खुद का बिजनेस करने का साहस नहीं जुटा पाते, तो चलिए आपको एक ऐसा बिजनेस आइडिया के बारे में बताते हैं जिससे कम समय में ही सफलता की ऊंचाई पर पहुंचा जा सकता है. गुलाब के फूल सबको पसंद होते हैं. हम आमतौर पर लाल, पीले, सफेद रंग के गुलाब देखते हैं. बहुत से लोग छत के गार्डन या घर के बगीचे में अलग-अलग तरह के गुलाब के पेड़ लगाना पसंद करते हैं. सामान्यतः गुलाब के फूल के सात से आठ रंग होते हैं, लेकिन एक व्यक्ति ने इन सात रंगों से अलग-अलग रंग के गुलाब बनाकर एक नए बिजनेस का रास्ता खोज निकाला है.
गुलाब से हर महीने बंपर कमाई यह व्यक्ति कई वर्षों से गुलाब की खेती कर रहा है. देश-विदेश में अलग-अलग प्रजातियों के गुलाब के फूल बेचे जा रहे हैं. वह न केवल आत्मनिर्भर हैं बल्कि अपने क्षेत्र में एक सफल व्यवसायी के रूप में स्थापित हो चुके हैं. उन्होंने अपने घर के कई एकड़ जमीन पर गुलाब की खेती की है. उनके गार्डन में कई प्रकार के गुलाब उगाए जाते हैं. पिछले कुछ सालों से यह उनका पेशा बन गया है. एक दूरस्थ गांव से ताल्लुक रखने वाले इस व्यक्ति ने गुलाब का बगीचा लगाकर हर महीने अच्छी कमाई कर रहे हैं, बिना किसी नौकरी के पीछे भागे.
सैकड़ों किस्मों के गुलाब के पेड़ दरअसल, पश्चिम मिदनापुर के जकपुर के अशोक कुमार मैती पिछले कई दशकों से गुलाब की खेती कर रहे हैं. पेड़-पौधों के प्रति प्रेम के चलते उन्होंने एक दिन गार्डन बनाना शुरू किया. आज उनके पास लगभग 10 एकड़ जमीन में सैकड़ों किस्मों के गुलाब के पेड़ हैं. कुल मिलाकर यहां लाखों गुलाब के पौधे हैं. गुलाब के पौधे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यमों से बेचे जाते हैं. कई लोग अशोक बाबू के साथ काम करते हैं. उन्होंने गुलाब के बगीचे से रोजगार का रास्ता दिखाया है. उनके गार्डन में लाल, नीले, पीले, भूरे, गुलाबी और खुद बनाए हुए एप्रिकॉट, सिल्वर, गोल्डन जैसे रंग-बिरंगे गुलाब की किस्में उपलब्ध हैं.
विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैंउनके गुलाब के पौधे अब देश के अलग-अलग हिस्सों में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निर्यात किए जाते हैं. हैरानी की बात यह है कि उन्होंने कई रंगों के गुलाब की किस्मों से लगभग सौ नई किस्में तैयार की हैं. उनकी नर्सरी में गुलाब की अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिलती हैं, कुछ बहुत चमकदार हैं, कुछ छोटे हैं, और कुछ की फूल छोटी होती है. जकपुर में स्थित अशोक बाबू की नर्सरी को लोग स्वाभाविक रूप से ‘रोज़ एम्पायर’ कहते हैं.
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जहां तक नज़र जाती है, वहां सिर्फ गुलाब ही गुलाब हैं. वे रोज़ाना गुलाब और उनकी प्रजातियों पर शोध करते रहते हैं. वर्तमान में उनके गार्डन में कई मज़दूर काम करते हैं. उनका लक्ष्य हर साल लगभग तीन लाख पौधे लगाना है. अशोक बाबू पूरे साल गुलाब के साथ रहते हैं. उन्होंने नौकरी के पीछे भागने के बजाय अपने शौक को करियर चुना. आज वह खुद एक स्थापित व्यवसायी हैं और दूसरों को आत्मनिर्भरता का आइडिया दे रहे हैं.
Tags: Local18, Special ProjectFIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 15:45 IST
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