जौनपुर: जौनपुर के निवासी रत्नेश शर्मा जो कभी टीवीएस कंपनी में प्रोडक्शन इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे, जिन्होंने जीवन में एक बड़ा और साहसिक कदम उठाते हुए अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया. उन्होंने अपने भीतर छिपे व्यापारी को पहचाना और ‘जौनपुर बेकर्स’ नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की. आज यह नाम न केवल जौनपुर में बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी एक पहचान बन चुका है.नौकरी से व्यवसाय तक का सफर कई वर्षों तक कॉर्पोरेट जीवन का अनुभव लेने के बाद रत्नेश ने महसूस किया कि उनका असली उद्देश्य सिर्फ एक कंपनी के लिए काम करना नहीं, बल्कि कुछ ऐसा करना है जिससे समाज को सीधा लाभ हो. इसी सोच के साथ उन्होंने अपने व्यवसाय की नींव रखी. शुरुआत में चुनौतियां बहुत थीं – संसाधनों की कमी, अनुभव की कमी, और समाजिक दबाव, लेकिन उनका आत्मविश्वास और संकल्प अडिग रहा.
जौनपुर बेकर्स एक ऐसा बेकरी ब्रांड है जो गुणवत्तापूर्ण उत्पादों और ग्राहकों की संतुष्टि के लिए जाना जाता है. रत्नेश का मानना है कि अपने ग्राहकों को संतुष्ट करना हम लोगों की जिम्मेदारी होती है. वह कहते हैं कि यदि आप इस जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं तो आप कभी असफल नहीं होंगे. इसी सोच के साथ उन्होंने अपने उत्पादों की गुणवत्ता और सेवा पर विशेष ध्यान दिया. उन्होंने बताया कि आज मेरी जो भी सफलता है पिता और भाई का सबसे बड़ा योगदान है.
रोज़गार सृजन और समाज सेवा
रत्नेश शर्मा केवल एक व्यापारी नहीं हैं, बल्कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भी बखूबी समझते हैं. उनका उद्देश्य सिर्फ मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर देना है. आज उनकी बेकरी में दर्जनों लोग काम कर रहे हैं, जिनमें से कई आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों से आते हैं. इस तरह वह सामाजिक बदलाव के वाहक बन चुके हैं.
जोखिम लेने की प्रेरणा अपने अनुभवों को साझा करते हुए रत्नेश कहते हैं कि जीवन में एक बार रिस्क जरूर लेनी चाहिए. उनका मानना है कि यदि आप अपनी क्षमता पर विश्वास रखते हैं और ईमानदारी से मेहनत करते हैं, तो सफलता जरूर मिलेगी. उन्होंने युवाओं को भी संदेश दिया कि नौकरी एक विकल्प है, लेकिन खुद का व्यवसाय शुरू करना आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम हो सकता है.
भविष्य की योजनाएं
रत्नेश शर्मा अब जौनपुर बेकर्स को और भी विस्तार देना चाहते हैं. उनकी नई ब्रांच जौनपुर रेस्टोरेंट भी है, उनकी योजना है कि जिले के अन्य हिस्सों में भी इसकी शाखाएं खोली जाएं, ताकि और लोगों को रोजगार मिले और स्थानीय लोगों को गुणवत्तापूर्ण बेकरी उत्पाद मिल सके. इसके साथ ही वे युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें भी स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना चाहते हैं.
रत्नेश शर्मा की कहानी यह दिखाती है कि अगर हिम्मत हो, तो हर सपना साकार हो सकता है. नौकरी छोड़कर स्टार्टअप की राह चुनना आसान नहीं था, लेकिन आज उनकी सफलता इस बात का प्रमाण है कि रिस्क लेने वाले ही इतिहास रचते हैं.
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