रांची. हौसला हो तो व्यक्ति क्या कुछ नहीं कर सकता, बस धैर्य, हार्ड वर्क और भरोसे की जरूरत है. इन तीन चीजों के दम पर झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले कपिल ने कमाल कर दिया. कभी प्राइवेट कंपनी में अच्छे खासे पैकेज में नौकरी करते थे, लेकिन उनके दिल में आदिवासी संस्कृति बसी हुई थी. अपने ट्रेडीशन से इतना लगाव था कि उन्होंने इसी को आगे बढ़ने का फैसला किया और नौकरी को छोड़ दी.
कपिल बताते हैं, मैंने फ्लिपकार्ट व अमेजॉन जैसी कंपनी में काम किया है. करीबन 10 साल तक प्राइवेट नौकरी की. मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, लेकिन मुझे सुकून नहीं मिलता था. मुझे हमेशा से अपने आदिवासी कल्चर को आगे बढ़ाने के लिए कुछ करने का विचार आता था. दुनिया को दिखाना चाहता था कि आदिवासी खाने कितने पौष्टिक हैं. इसे मुझे हर घर में पहुंचाना है और आज के यूथ को इन खानों से जोड़ना है.
आज चार कैफे के मालिककपिल ने बताया, आज रांची में हमारे 4 कैफे हैं. इसका नाम ‘कैफे द आर्ट’ है. यहां पर आपको आदिवासियों वाला खाना चखने को मिलेगा. धान खेत इस तरह का टच कैफे को दिया गया है. ढोल-नगाड़े और यहां पर आपको हर तरह के आदिवासी व्यंजन भी खाने को मिलेंगे. जैसे चिल्का, बाजरे की रोटी, माड़-भात, कई तरह का साग. इस तरह की यूनिक चीज देखने को मिलती है.
पहले लोगों को समझ नहीं आया…आगे बताया, रांची के लालपुर में एक कैफे, एसएन यादव रोड में कैफे और उसके अलावा खूंटी-चाइबासा रोड में दो कैफे ऑपरेट हो रहे हैं. लेकिन, इन चार कैफे को खोलना हमारे लिए इतना आसान नहीं था. सबसे पहले एक ही खोला और लोगों को हमारा खाना पहले समझ नहीं आता था. लेकिन, धीरे-धीरे उन्हें हमारा टेस्ट समझ में आया और आज आलम यह है कि हमारे रेस्टोरेंट में हर दिन 100 से 200 लोग आते हैं.
30 लोगों को रोजगारकपिल बताते हैं, पहले मैं नौकरी करता था, लेकिन अब मैं लोगों को रोजगार देता हूं और सबसे खास बात ये कि कि मैं 90% महिला कर्मचारी को ही रखता हूं.क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि जो मां का हाथ का स्वाद व महिला के हाथ का जो खाने का स्वाद है वह कहीं और से नहीं आ सकता और महिलाएं बड़ा मन से खाना बनाती है.तो हमारे पास 27 महिला ही है और महीने की लाख रुपए से ऊपर तक की अच्छी खासी कमाई हो जाती है.
आसान नहीं था नौकरी छोड़ना…उन्होंने आगे बताया, नौकरी छोड़ना इतना आसान नहीं था. क्योंकि, अच्छी-खासी नौकरी थी, 50 लाख का पैकेज था. बीवी बच्चे भी हैं, ऐसे में उनके मन में एक संदेह था. लेकिन, मैं अपनी तरफ से पूरी तरह कॉन्फिडेंट था. मुझे पता था कि लोगों को यह देर सबेर पसंद जरूर आएगा. क्योंकि, यह बहुत ही पौष्टिक खाना है. हमने मड़वा के मोमो जैसी चीज भी युवाओं को देखते हुए निकाला है और यह काफी हिट हुआ.
FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 15:36 IST
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