नई दिल्ली. कुछ कर गुजरने का जज्बा, कठिन मेहनत और भविष्य को पहचानने की नजर हो, तो कोई भी मुश्किल आपकी राह नहीं रोक सकती. ऐसा ही कर दिखाया क्विक हील (Quick Heal) के संस्थापक कैलाश काटकर ने. कभी 10वीं में पढ़ाई छोड़कर रेडियो रिपेयर करने वाले कैलाश काटकर आज 3425 करोड बाजार पूंजीकरण वाली कंपनी के मालिक हैं. उनकी कंपनी दुनियाभर के करोड़ों कंप्यूटर और मोबाइल को वायरस से बचाती है. आज यह कंपनी जापान, अमेरिका, अफ्रीका और यूएई सहित कई देशों में काम कर रही है और कैलाश काटकर अरबपति हैं.
महाराष्ट्र के रहीमतपुर गांव में जन्मे कैलाश को पारिवारिक समस्याओं के चलते 10वीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी. इसके बाद वे पुणे चले गए, जहां उन्होंने एक रेडियो और कैलकुलेटर रिपेयरिंग शॉप में नौकरी की. इस काम के लिए उन्हें महीने के सिर्फ 400 रुपये मिलते थे. वे जल्द ही रेडियो रिपेयरिंग में निपुण हो गए. साल 1991 में उन्होंने 15 हजार रुपये लगाकर अपनी दुकान खोल ली. घर का खर्च चलाने के साथ ही कैलाश अपने भाई संजय काटकर की पढाई का खर्च भी जैसे-तैसे उठा रहे थे. उनका छोटा भाई कंप्यूटर साइंस की पढाई उस वक्त कर रहा था.
खुद की दुकान और कंप्यूटर की ओर कदम1991 में कैलाश ने 15,000 रुपये की पूंजी से अपनी रेडियो रिपेयरिंग दुकान शुरू की. इसी दौरान, एक बैंक में पहली बार कंप्यूटर देखा और उससे प्रभावित होकर कंप्यूटर का शॉर्ट टर्म कोर्स कर लिया. धीरे-धीरे उन्होंने कंप्यूटर की हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की अच्छी जानकारी हासिल कर ली.
ऐसे आया एंटीवायरस बनाने का ख्यालकंप्यूटर रिपेयरिंग के दौरान कैलाश ने महसूस किया कि अधिकतर कंप्यूटर वायरस के कारण खराब होते हैं. यहीं से उनके मन में एंटीवायरस बनाने का विचार आया. कैलाश ने अपने छोटे भाई संजय काटकर, जो कंप्यूटर साइंस के छात्र थे, के साथ मिलकर एंटीवायरस डेवलप किया. 1995 में उन्होंने पहला एंटीवायरस 700 रुपये में बेचा। इस सफलता के बाद उन्होंने एंटीवायरस बिजनेस पर ही ध्यान केंद्रित किया.
क्विक हील की स्थापना और वैश्विक पहचानपहले एंटी वायरस को बाजार से खूब रिस्पॉन्स मिलने के बाद दोनों भाईयों ने अपना पूरा फोकस एंटी वायरस पर ही कर दिया. साल 2007 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम सीएटी कंप्यूटर सर्विसेज लिमिटेड से बदलकर क्विक हील टेक्नोलॉजीज कर दिया. आज क्विक हील कई देशों में काम कर रही है. इसके ऑफिस जापान, अमेरिका, अफ्रीका और यूएई में है. साल 2016 में कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई.
Tags: Success Story, Successful business leadersFIRST PUBLISHED : December 10, 2024, 07:53 IST
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