Success Story: कोई भी छात्र अगर 12वीं क्लास में फेल हो जाए या उसके अच्छे अंक ना हों तो पूरी दुनिया उसे यही कहती है कि अब ताे इसका कोई भविष्य नहीं है. लेकिन इस ताने को कई लोगों ने गलत साबित किया और सफल बनकर उन्होंने ये बताया कि जिसमें सफल होने का जुनून है, वह उसे हासिल कर ही लेता है. आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी बता रहे हैं, जो 12वीं फेल हुआ और घर वालों के साथ रिश्तेदारों के भी खूब ताने सुने, लेकिन उसने हार नहीं मानी और आज वह एक सफल बिजनेसमैन बन गया है, जिसकी कंपनी अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड है.
जी हां, हम यहां गिरीश माथरूबूथम की बात कर रहे हैं. गिरीज जब 12वीं की परीक्षा में फेल हो गए, तो उनके रिश्तेदारों और दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया और मजाक में कहा कि वह रिक्शा चलाने वाला बनेगा. तानों के बावजूद गिरीश ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और आखिरकार एचसीएल में नौकरी पाने में कामयाब हो गए. बाद में वह सॉफ्टवेयर कंपनी जोहो में लीड इंजीनियर के तौर पर जुड़े.
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53,000 करोड़ की कंपनी का मालिकआज वह लड़का जो कभी 12वीं कक्षा में फेल होने के कारण ताने सुनता था, आज 53,000 करोड़ रुपये की कंपनी ‘फ्रेशवर्क्स’ का मालिक है. भले ही आपने गिरीश माथरूबूथम या उनकी कंपनी के बारे में न सुना हो, लेकिन जिस बिजनेस मॉडल ने इस शख्स को अरबों डॉलर का बिजनेस खड़ा करने में मदद की, उसे जानना जरूरी है.
एक हफ्ते में कमाए 340 करोड़ रुपये गिरीश ने फ्रेशवर्क्स के साथ SaaS (सॉफ्टवेयर ऐज अ सर्विस) कारोबार में कदम रखा, जो SaaS इंडस्ट्री में एक दिग्गज नाम बन गया है. फ्रेशवर्क्स अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज नैस्डैक में लिस्टेड है और टाइगर ग्लोबल और अल्फाबेट जैसी ग्लोबल फर्मों ने इसमें निवेश किया है. हाल ही में, गिरीश ने अपनी कंपनी के 2.5 मिलियन शेयर बेचे, जिससे महज 7 दिनों में 39.6 मिलियन डॉलर (336.41 करोड़ रुपये) की कमाई हुई.
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फ्रेशवर्क्स को साल 2010 में गिरीश ने शुरू किया. तब उन्होंने जोहो से नौकरी छोड़ी ही थी. साल 2018 तक कंपनी के 125 देशों में 100,000 से ज्यादा क्लाइंट बन गए थे. गिरीश के पास फिलहाल फ्रेशवर्क्स में 5.229 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसकी कुल संपत्ति लगभग 2,369 करोड़ रुपये है.
क्या है SaaS बिजनेस?SaaS कंपनियां अपने ग्राहकों को ऑनलाइन सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन देती हैं. सॉफ्टवेयर खरीदने और इंस्टॉल करने के बजाय, कस्टमर इन सॉल्यूशन का इस्तेमाल करने के लिए सब्सक्रिप्शन लेते हैं.
ये कंपनियां ‘रेडी-टू-गो’ सॉफ्टवेयर डेवलप करती हैं जो यूजर्स के अनुकूल होता है, जिससे ग्राहकों को अलग से हार्डवेयर इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होती. SaaS कंपनियां यूजर्स के सवालों का समाधान करने के लिए चौबीसों घंटे ग्राहक सहायता भी प्रदान करती हैं. यूजर्स को ये सस्ता लगता है और प्रभावशाली भी, इसलिए ये बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है.
Tags: Success StoryFIRST PUBLISHED : December 25, 2024, 17:16 IST
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