75 बार हुआ र‍िजेक्‍ट, फ‍िर भी नहीं मानी हार; बना दी 6,700,000,000 रुपये की कंपनी, नाम है…

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75 बार हुआ र‍िजेक्‍ट, फ‍िर भी नहीं मानी हार; बना दी 6,700,000,000 रुपये की कंपनी, नाम है…

Pavan Guntupalli Success Story: यह कहानी पवन गुंटुपल्ली की है, जो आईआईटी ग्रेजुएट हैं और जिन्होंने कई बार निराशा का सामना किया, लेकिन कभी भी उम्मीद नहीं छोड़ी और खुद पर भरोसा बनाए रखा. पवन के पास एक ब‍िजनेस आइड‍िया था, ज‍िसे उन्‍होंने 75 से ज्यादा निवेशकों को सुनाया और उनके आइड‍िया पर भरोसा करके न‍िवेश करने को कहा. लेक‍िन क‍िसी ने भी व‍िश्‍वास नहीं क‍िया.

हालांक‍ि पवन ने कभी हार नहीं मानी और इसी का नतीजा है क‍ि आज वो व्यापार जगत में एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं. उनकी कंपनी ‘रैपिडो’ की कीमत आज 6,700 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है. पवन की यात्रा ने उन युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है जो व्यापार की दुनिया में अपनी छाप छोड़ना चाहते हैं. आइए उनकी कहानी जानें.

बचपन से कंप्‍यूटर प्रोग्रामि‍ंग पसंदपवन गुंटुपल्ली, तेलंगाना के रहने वाले हैं. उन्‍हें ट्रेडिंग और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग बचपन से पसंद था. पढने में अच्‍छे थे पवन इसल‍िए उन्‍होंने IIT खड़गपुर में सीट हास‍िल कर ली. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने सैमसंग के साथ काम किया. वहां सॉफ्टवेयर डेवलप करने वाली टीम में थे पवन. हालांकि, उन्हें हमेशा कुछ और करने की तीव्र इच्छा महसूस होती थी. उन्‍होंने अपने दोस्‍त अरव‍िंद संका के साथ एक स्‍टार्टअप शुरू क‍िया ‘theKarrier’.

फेल हुए और फ‍िर रैप‍िडो शुरू क‍ियादुर्भाग्य से, ‘theKarrier’ का ब‍िजनसे सफल नहीं हो पाया और दोनों को झटके से निपटना पड़ा. फिर भी, पवन ने दृढ़ता से काम किया और अपनी असफलता की मूल वजह को जानने की कोश‍िश की. पवन इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कंपनी के लिए लाभ कमाने के लिए उन्हें खर्च कम करने और ग्राहकों से सीधे संवाद करने की जरूरत थी. तब उन्हें बाइक टैक्सी का आइ‍ड‍िया आया और साल 2014 में रैपिडो की स्थापना हुई. इस ब‍िजनेस को शुरू करना भी आसान नहीं था. क्‍योंक‍ि 75 से ज्‍यादा इंवेस्‍टर्स ने न‍िवेश करने से मना कर द‍िया था. लेक‍िन पवन ने फ‍िर भी कंपनी बना ली. लेक‍िन ये भी आसान नहीं था, क्‍योंक‍ि उनके सामने Ola और Uber जैसी कंपन‍ियां थीं, ज‍ो पहले से मार्केट में पैर जमा चुकी थीं.

टर्निंग पॉइंटबाइक टैक्सी सेवा का बेस किराया 15 रुपये रखने की रणनीति का इस्तेमाल करते हुए पवन ने 3 रुपये प्रति किलोमीटर का शुल्क लिया. हालांकि, रैपिडो को शुरुआत में ज्‍याद सफलता नहीं मिली, लेकिन गुंटुपल्लीम दृढ़ निश्चयी रहे और अपने प्रयास जारी रखे. साल 2016 में, रैपिडो को हीरो मोटोकॉर्प के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पवन मुंजाल से अपना पहला फंडिंग मिला. यह निवेश कंपनी के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हुआ और इसने निवेशकों और अपने ग्राहकों दोनों का विश्वास हासिल किया.

रैपिडो ने 100 से ज्‍यादा शहरों में अपनी सेवाओं का तेजी से विस्तार करते हुए ज्‍यादा फंडिंग हासिल की. ​​कंपनी ने चुनौतीपूर्ण पहाड़ी क्षेत्रों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज की, जहां कार-आधारित सेवाएं कम सुलभ हैं.

रैपिडो की मार्केट वैल्‍यू700,000 से ज्‍यादा यूजर्स और 50,000 ड्राइवरों वाली कंपनी रैपिडो का मूल्यांकन ट्रैक्सन के अनुसार 825 मिलियन अमरीकी डॉलर (लगभग 6,700 करोड़ रुपये) से ज्‍यादा है.

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