मशहूरी पर खर्च ज़ीरो, फिर कैसे अरबों का ब्रांड बन गई एक कैंडी? Eclairs, Alpenliebe को आए पसीने

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Success Story: पान मसाला रजनीगंधा (Rajnigandha) को भला कौन नहीं जानता. इसे डीएस ग्रुप (DS Group) बनाता है. पास पास (Pass Pass) कैंडी भी इसी ग्रुप का एक प्रोडक्ट है. इन दोनों प्रोडक्ट्स को लोगों तक पहुंचाने के लिए कंपनी ने करोड़ों रुपये विज्ञापनों पर खर्च किए होंगे. मगर इसी ग्रुप का एक और प्रोडक्ट है, जिसके लिए मार्केटिंग और विज्ञापन पर कंपनी ने एक धेला भी खर्च नहीं किया. फिर भी वह प्रोडक्ट इतना फेमस हुआ कि लोग उसके नाम से मांगने लगे. हम जिस एफएमसीजी (FMCG) उत्पाद की बात कर रहे हैं, उसका नाम है पल्स (Pulse) कैंडी.

कच्चे आम के साथ नमकीन वाला स्वाद पल्स कैंडी को दूसरी कैंडीज से अलग बनाता है. 2024 के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, डीएस ग्रुप के कन्फैक्शनरी सेग्मेंट में अकेली पल्स ही 45 फीसदी का योगदान देती है. पिछले 3 वर्षों से इसका कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट (CAGR) 20 फीसदी रहा है, जो अपने आप में खास है. इसके साथ कंपीटिशन करने वाले दूसरे प्रोडक्टर का सीएजीआर केवल 9 फीसदी है. कंपनी ने 2024 में कहा था कि वह अपने कन्फैक्शनरी बिजनेस को अगले पांच वर्षों में बढ़ाकर 30 फीसदी के सीएजीआर पर ले जाना चाहते हैं. 2029 तक 5,000 करोड़ रुपये का टारगेट रखा गया है.

न सेलिब्रिटी को पैसा दिया, न कहीं और खर्चाबता दें कि Pulse कैंडी की सफलता का बड़ा कारण लोगों के बीच इसकी माउथ-टू-माउथ पब्लिसिटी थी. शुरु में लोगों ने इसे पसंद नहीं किया. फिर भी कंपनी ने एक भी पैसा विज्ञापन पर खर्च नहीं किया. ना कोई टीवी ऐड, ना सेलिब्रिटी प्रमोशन, कुछ भी नहीं. लेकिन हाल ही में जब कैंडी अपने आप में एक ब्रांड बन चुकी है, कंपनी ने BTL (बिलो द लाइन) एक्टिविटीज़, डिजिटल मार्केटिंग और सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर कैंपेन जैसे तरीके जरूर अपनाए हैं.

IIM अहमदाबाद में केस स्टडीएक दिलचस्प बात यह भी है कि सितंबर 2024 में, IIM अहमदाबाद ने पल्स कैडी को एक केस स्टडी के रूप में चुना. यह मार्केटिंग में उसकी बेहतरीन स्ट्रैटजी और बाजार में अलग पहचान बनाने की वजह से किया गया. इस स्टडी में बताया गया कि कैसे पल्स ने अपने यूनिक आइडिया से मार्केट में लीडरशिप हासिल की.

2015 में लॉन्च की गई पल्स का मुकाबला मुख्य तौर पर मैंगो बाइट (Mango Bite), मेलोडी (Melody), इक्लेयर्स (Eclairs), और एलप्नलीबे (Alpenliebe) जैसी कैंडीज से था. लेकिन इन सभी प्रसिद्ध कैंडीज को पीछे छोड़ने में पल्स को ज्यादा वक्त नहीं लगा. मुख्य कारण था इसका अनोखा स्वाद. मीठा, खट्टा और मसालेदार स्वाद एक साथ था. खास बात ये है कि जब बाकी कैंडीज 50 पैसे में मिलती थीं, पल्स को 1 रुपये में उतारा गया. महंगी होने के बावजूद इसकी डिमांड ज्यादा रही.

26 लाख दुकानों का नेटवर्कपल्स को DS Group के बड़े डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क से भी काफी फायदा मिला. देशभर में करीब 26 लाख दुकानों तक कंपनी का नेटवर्क फैला हुआ है, जिनमें पान की दुकानें, किराना स्टोर और मॉडर्न रिटेल शॉप शामिल हैं. रजनीगंधा की तगड़ी मांग के चलते कंपनी का नेटवर्क भी काफी मजबूत बना.

अपने लॉन्च के केवल आठ महीनों में ही पल्स कैंडी ने 100 करोड़ रुपये की सेल का आंकड़ा पार कर लिया था. यह कोका-कोला और कोक ज़ीरो के रिकॉर्ड के बराबर था. 2016 में इसकी सेल बढ़कर 150 करोड़ रुपये तक पहुंच गई. 2017 में ब्रांड ने 300 करोड़ रुपये की सेल की और 2,650 करोड़ रुपये के हार्ड बॉयल्ड कैंडी बाजार में लगभग 13 फीसदी हिस्सेदारी हासिल कर ली.

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