पीयूष शर्मा/मुरादाबाद : “वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे.” ये कहावत एक आईपीएस अफसर पर बिल्कुल सटीक बैठ रही हैं. हम बात कर रहे हैं आईपीएस इल्मा अफरोज की. हिमाचल कैडर की आईपीएस इल्मा अफरोज इन दिनों सुर्खियों में हैं. इल्मा अफरोज 2017 बैच की आईपीएस हैं. इल्मा अफरोज ने यूपीएससी-2017 में ऑल इंडिया रैंक 217 हासिल की. अगस्त 2018 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुईं. उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर आवंटित किया गया था.
इल्मा अफरोज मुरादाबाद के कुंदरकी के छोटे किसान काजी अफरोज अहमद की बेटी है. जिसके सर से उनके “कार्सिनोमा कैंसर” पीड़ित वालिद का साया 14 साल की उम्र में ही उठ गया. मगर काजी अफरोज अपनी मृत्यु तक अपनी बेटी इल्मा अफरोज के दिलों में ऊंची उड़ान भरने का ख्वाब भर चुके थे. इल्मा ने पिता के खेतों में काम करना शुरू किया. उनकी मां ने इल्मा और उनके भाई को मुश्किल परिस्थियों में पालन पोषण किया और उनको बेहतरीन शिक्षा दिलाई. हालांकि इल्मा अफरोज की माता को गांववालों के ताने भी सुनने पड़े. गांव के लोग इल्मा की मां से कहते थे “अकेली लौंडिया है क्या कर लेगी? काहे सर चढ़ा रही हो” मगर इल्मा का हौसला कुछ और था.
कठिन हालात में नहीं मानी हारअपने घर में एक खाट, एक चिराग, एक मोमबत्ती और किताबें इल्मा की दुनिया थी. चिराग का तेल खत्म हो तो मोमबत्ती की रोशनी में सारी रात पढ़ाई करती थी. घर में खाने की दिक्कत, खर्च की दिक्कत. दो वक्त की रोटी मिलना मुश्किल, इल्मा का आर्थिक दायरा बहुत छोटा था. मगर उसके सपने बड़े थे. हौसले आसमान को छूने का था. काबिलियत के बल पर ही इल्मा अफरोज़ का एडमिशन दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में हो गया.
ऐसा रहा इल्मा का सफरइल्मा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया. अपनी मेहतन, लगन से स्कॉलरशिप हासिल किया और हायर एजुकेशन के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का रुख किया. यहां पढ़ाई के दौरान एक एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पेरिस गईं. पेरिस में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिल गई. किसी तरह पढ़ने और रहने के खर्च के लिए इंतजाम तो हो गया. मगर हवाई टिकट के लिए नहीं. पैसे का इंतजाम करने के लिए वह खेतों में गई. चिलचिलाती धूप में उसे चौधरी हरभजन मिले. दादा समान चौधरी हरभजन ने इल्मा की मदद की और वह अपनी उड़ान के रास्ते पर निकल गई. इल्मा अफरोज को न्यूयॉर्क की एक बड़ी कंपनी में नौकरी का बेहतरीन ऑफर मिला था, लेकिन देश सेवा की उनकी ख्वाहिश लिए वह वापस भारत लौटीं और यूपीएससी की तैयारी शुरू कार दी.
सीएम ने किया था आईपीएस इल्मा को सम्मानितइल्मा साल 2017 में सिविल सर्विस परीक्षा में कामयाब रहीं और ऑल इंडिया रैंक 217 हासिल की और अगस्त 2018 में आईपीएस बनी. एसपी के तौर पर इल्मा का काम इतना शानदार था कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सम्मानित किया. लेकिन फिर अचानक इल्मा अफ़रोज़ को उसी सुक्खू सरकार ने लंबी छुट्टी पर भेज दिया है. केवल इसलिए कि इल्मा अफ़रोज़ ने सत्ता के सामने घुटने नहीं टेके.
कब बिगड़ा मामला?इल्मा अफरोज को हिमाचल प्रदेश में “लेडी सिंघम” के नाम से जाना जाता है और अगस्त 2024 से ही इस लेडी सिंघम का टकराव सरकारी गुंडों से शुरू हो गया. बद्दी में पुलिस ने अवैध खनन के मामले में विधायक राम कुमार चौधरी की पत्नी की गाड़ियों के चालान काट दिए. बस इसी बात पर एसपी इल्मा अफरोज और विधायक रामकुमार चौधरी में ठन गई. यहां तक कि विधायक ने विधानसभा सत्र के दौरान इल्मा अफ़रोज़ पर गंभीर आरोप लगाए और एसपी इल्मा अफरोज को विधानसभा से विशेषाधिकार प्रस्ताव भी लाया गया मगर IPS इल्मा अफ़रोज़ टस से मस नहीं हुईं.
अवैध खनन पर अपनाया था सख्त रुखअवैध खनन राजस्व की चोरी है. इल्मा अफ़रोज़ को यह चोरी मंज़ूर नहीं और उन्होंने अवैध खनन में शामिल मुख्य संसदीय सचिव के परिवार के टिपरों व जेसीबी का चालान शुरू किया था. तब से मामला और बिगड़ गया था. इसके बाद एक घटना और हुई. नालागढ़ में एक कारोबारी रामकृष्ण पर फायरिंग हुई और उसकी कार पर 5 गोली लगी. इल्मा अफरोज ने जांच की तो पाया हथियार का राष्ट्रीय लाईसेंस पाने के लिए रामकृष्ण ने शूटर इकबाल से खुद ही गोली चलवाई. इल्मा ने इकबाल को गिरफ्तार करके पूरे मामले का पर्दाफाश कर दिया. व्यापारी रामकृष्ण कांग्रेस के बड़े नेता के खासमखास थे.
बद्दी में अटकलों का बाजार गर्मसूत्रों के अनुसार इल्मा को शिमला बुलाया गया. मामला रफा-दफा करने का आदेश दिया गया मगर इल्मा को यह मंजूर नहीं था. इस कारण सुक्खू सरकार ने उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया. जिसके बाद इल्मा ने तुरंत अपने सरकारी आवास से अपना सामान कार में पैक करके अपनी बिमार मां के साथ हिमाचल से निकल गई हैं. इल्मा अफरोज के इस कदम के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही है. उनकी जगह पर वर्तमान में अस्थायी तौर पर विनोद कुमार को बद्दी एसपी का चार्ज दिया गया है.
450 गरीब बच्चो को पढ़ाती थी आईपीएस इल्माआईपीएस इल्मा 450 गरीब बच्चो को शिक्षा देने का काम करतीं थी. इसके साथ ही इल्मा अफरोज जब अपने घर के लिए रवाना हुई थी. तो उसी दिन उन्होंने गरीब बच्चों को अपनी जेब से किताबें बांटी और वह बहुत भावुक हुई. अब यह मुरादाबाद के कुंदरकी में अपने गांव में मौजूद हैं और सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि यह करीब एक महीने की छुट्टी पर रहेंगी.
Tags: Local18, Moradabad News, Success Story, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 15:17 IST
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