Haldiram: नाश्ते की दुकान से 84000 करोड़ तक का सफर, मूवी बनाने लायक है कहानी

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Last Updated:March 22, 2025, 14:18 ISTहल्दीराम की स्थापना 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल ने की थी. अब यह कंपनी 84,000 करोड़ रुपये की हो गई है. समूह की दो कंपनियों, हल्दीराम फूड्स और हल्दीराम स्नैक्स का मर्जर होगा.1937 में हल्‍दीराम की नींव गंगा बिशन अग्रवाल ने रखी थी. हाइलाइट्सहल्दीराम की स्थापना 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल ने की थी.हल्दीराम फूड्स और हल्दीराम स्नैक्स का मर्जर होगा.कंपनी की वैल्यूएशन 84,000 करोड़ रुपये आंकी गई है.नई दिल्‍ली. फूड एंड स्‍नैक्‍स चेन हल्‍दीराम इन दिनों सिंगापुर की सरकारी निवेश कंपनी टेमासेक होल्डिंग्स (Temasek Holdings) में अपनी 9 फीसदी हिस्‍सेदारी बेचने को लेकर चर्चा में है. नागपुर बेस्‍ड हल्दीराम फूड्स और दिल्ली के हल्दीराम स्‍नैक्‍स को अग्रवाल फैमिली के दो चचेरे भाईयों द्वारा आपरेट किया जाता है. अब दोनों कंपनियों का मर्जर भी होगा. टेमासेक ने भी दोनों कंपनियों की वैल्‍यूएशन 84,000 करोड़ रुपये आंकते हुए ही 9% हिस्सेदारी लेने का फैसला किया है. हल्‍दीराम फूड्स और हल्‍दीराम स्‍नैक्‍स के मर्जर पर जल्द ही औपचारिक मुहर लग सकती है. मर्जर के बाद नई इकाई, हल्दीराम फूड्स एंड स्‍नैक्‍स बनाई जाएगी. हल्‍दीराम की स्‍थापना आज से लगभग 88 साल पहले राजस्‍थान के बीकानेर में गंगा बिशन अग्रवाल ने रखी थी. गंगा बिशन को प्‍यार से घर में हल्‍दीराम बुलाते थे. उनके दादा की बीकानेर में भुजिया की एक छोटी सी दुकान खोली थी, जिस पर उनके पिता भी बैठते थे.

गंगा बिशन अग्रवाल के परिवार की दुकान ‘भुजियावाला’ के नाम से मशहूर थी. गंगा बिशन अग्रवाल ने बचपन में ही भुजिया बनाना सीख लिया और पिता के साथ दुकान पर बैठने लगे. 1937 में  गंगा बिशन ने बीकानेर में ही नाश्‍ते की एक छोटी सी दुकान खोली. इसे नाम दिया हल्‍दीराम. वे नाश्‍ते के साथ ही भुजिया बनाकर भी बेचने लगे. हल्दीराम हमेशा अपनी भुजिया का स्वाद बढ़ाने के लिए कुछ न कुछ प्रयोग करते रहते थे. कुछ अलग करने की चाह में हल्दीराम ने एक दम पतली भुजिया बनाई. ये बहुत ही चटपटी और क्रिस्पी थी. इस तरह की भुजिया अब तक मार्केट में नहीं आई थी. लोगों को इस भुजिया का स्वाद काफी पसंद आया. सन 1941 में गंगाबिशनजी अग्रवाल यानी हल्‍दीराम बीकानेर और आस पास के इलाकों में फेमस हो गए. उन्हें कोलकाता और कई अन्‍य शहरों से बड़े ऑर्डर मिलने लगे. उनका धंधा जम गया.

1950 में कोलकाता में शुरू किया बिजनेसगंगा बिशन के तीन बेटे थे – मूलचंद, सत्यनारायण और रामेश्वरलाल. 1950 के दशक में गंगाबिशन कोलकाता आ गए और ‘हल्दीराम भुजियावाला’ ब्रांड की स्थापना की. कोलकाता में व्यापार सफल होने के बाद गंगा बिशन 1960 के दशक में बीकानेर लौट गए और उन्होंने कोलकाता का कारोबार रामेश्वरलाला और सत्यनारायण के जिम्मे छोड़ दिया. पवित्र कुमार द्वारा साल 2016 में लिखी किताब ‘Bhujia Barons: The Untold Story of How Haldiram Built a Rs 5000-crore Empire’ के मुताबिक, मूलचंद, उनकी पत्नी और तीन बेटे बीकानेर की दुकान चलाते थे. इधर, कोलकाता में उनके बिजनेस की ग्रोथ बहुत तेजी से हो रही थी. इसके प्रोडक्ट्स में पारंपरिक भुजिया के अलावा और कई चीजें जुड़ गईं. गंगा बिशन 1960 के दशक में बिकानेर लौट आए.

गंगा बिशन ने कोलकाता का कारोबार रामेश्वरलाल और सत्यनारायण के जिम्मे छोड़ दिया. उसके बाद सत्यनारायण ने परिवार से अलग होकर ‘हल्दीराम एंड संस’ शुरू की. लेकिन, उन्हें अपने पिता जैसी कामयाबी हासिल नहीं हुई. रामेश्वरलाल भी अपने भाई मूलचंद से अलग हो गए. इस तरह कोलकाता और बीकानेर का कारोबार अलग-अलग हाथों में चला गया. 1980 के दशक में गंगाबिशन के बेटे मूलचंद के बेटों, मनोहरलाल और मधुसूदन ने दिल्ली में हल्दीराम ब्रांड लॉन्च किया. इसी दौरान महाराष्ट्र में भी हल्दीराम का विस्तार किया गया.

परिवार में कानूनी लड़ाई और ब्रांड विवादहल्दीराम परिवार के बीच 1990 के दशक में कानूनी विवाद शुरू हुआ. विवाद ‘हल्दीराम भुजियावाला’ ब्रांड के इस्तेमाल को लेकर था. इस विवाद के कारण दिल्ली के कारोबार को अपना नाम बदलकर ‘हल्दीराम्स’ रखना पड़ा. यह मामला 2010 में खत्म हुआ और हल्‍दीराम का बिजनेस बंट गया. दिल्ली का हल्दीराम बिजनेस  मनोहरलाल और मधुसूदन अग्रवाल संभालने लगे तो नागपुर का हल्दीराम बिजनेस शिव किशन अग्रवाल के पास चला गया. कोलकाता का हल्दीराम भुजियावाला बिजनेस रामेश्वरलाल के बेटे प्रभु अग्रवाल को सौंपा गया.

1990 में किया निर्यात शुरू1990 के दशक में हल्दीराम के उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचे. अमेरिका, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व जैसे देशों में भारतीय प्रवासियों के बीच इसकी मांग बढ़ी. आज हल्‍दीराम हर उस देश में अपने उत्‍पाद बेचता है, जहां बड़ी संख्‍या में प्रवासी भारतीय रहते हैं. आज हल्दीराम 100 से ज्यादा उत्पाद बनाता है. हल्दीराम ने बिना बड़े विज्ञापन के, सिर्फ अपने उत्पादों की गुणवत्ता और मुंह के प्रचार से देश भर में पहचान बनाई है. वित्‍त वर्ष 2024 में हल्‍दीराम दिल्‍ली और नागपुर ने संयुक्‍त रूप से 12800 करोड रुपये का राजस्‍व हासिल किया था.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 22, 2025, 14:18 ISThomebusinessHaldiram: नाश्ते की दुकान से 84000 करोड़ तक का सफर, मूवी बनाने लायक है कहानी

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