नई दिल्ली. आपने दिल्ली के आईटीसी मौर्या होटल का नाम सुना होगा. देश भर में आईटीसी के इस तरह के कई लग्जरी होटल हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आईटीसी का शुरुआती बिजनेस ये था ही नहीं. आईटीसी आज केवल होटल बिजनेस में ही बड़ा नाम नहीं है बल्कि किचन से लेकर स्टेशनरी प्रोडक्ट्स के लिए जाना-पहचाना नाम हो चुकी है. हालांकि, इस कंपनी की शुरुआत सिगरेट और सिगार बनाने से हुई थी.
आईटीसी की स्थापना 1910 में हुई और तब इसका नाम इंपीरियल टोबाको कंपनी था. आज आईटीसी में आई का मतलब इंडिया हो गया है और अब ये इंडिया टोबाको कंपनी बन गई है. आइए आज आपको बताते हैं कि कैसे एक तंबाकू कंपनी ने अपना ग्लोबल एंपायर खड़ा किया.
कब हुई शुरुआतआईटीसी लिमिटेड की स्थापना 1910 में हुई थी. इसका बिजनेस फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (खाद्य पदार्थ, पर्सनल केयर, सिगरेट और सिगार, शिक्षा और स्टेशनरी उत्पाद, अगरबत्ती और माचिस), होटल, पेपरबोर्ड और पैकेजिंग, कृषि और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है. कंपनी का नाम पहले इंपीरियल टोबैको कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड था. समय के साथ जैसे-जैसे इसका स्वामित्व भारतीयों के हाथों में आया, 1970 में इसे इंडिया टोबैको कंपनी लिमिटेड और 1974 में आई.टी.सी. लिमिटेड नाम दिया गया. 18 सितंबर 2001 को कंपनी के विविध व्यवसायों को ध्यान में रखते हुए इसके नाम से पूर्ण विराम हटा दिए गए. अब ‘आईटीसी’ कोई संक्षिप्त नाम नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र ब्रांड है.
पहला कदमआईटीसी की शुरुआत एक साधारण कंपनी के रूप में हुई थी. 24 अगस्त 1926 को कंपनी ने कोलकाता के 37 चौरंगी लेन (अब जेएल नेहरू रोड) पर 3.10 लाख रुपये में एक भूखंड खरीदा. इस जगह पर 1928 में ‘वर्जीनिया हाउस’ नाम का हेडक्वार्टर बनाया गया, जो कोलकाता का एक मशहूर लैंडमार्क बन गया.
सिगरेट से पैकेजिंग और प्रिंटिंग तकआईटीसी ने अपने पहले 60 साल सिगरेट और तंबाकू के कारोबार को मजबूत करने में बिताए. 1925 में कंपनी ने पैकेजिंग और प्रिंटिंग की शुरुआत की, जो आज भारत का सबसे उन्नत पैकेजिंग हाउस है.
होटल कारोबार की शुरुआत1975 में आईटीसी ने होटल क्षेत्र में कदम रखा. कंपनी ने चेन्नई में एक होटल खरीदा, जिसे ‘आईटीसी वेलकमग्रुप होटल चोला’ नाम दिया गया. आईटीसी ने होटल व्यवसाय को विदेशी मुद्रा अर्जित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन का साधन माना. वर्तमान में आईटीसी होटल्स के 115 से अधिक होटलों का नेटवर्क है, जिसमें छह प्रमुख ब्रांड शामिल हैं. हाल ही में आईटीसी ने श्रीलंका में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय लग्जरी होटल ‘आईटीसी रत्नद्वीप’ लॉन्च किया.
कृषि और कागज व्यवसाय1979 में आईटीसी ने आंध्र प्रदेश के भद्राचलम में पेपरबोर्ड्स कारोबार शुरू किया. कंपनी ने ग्रामीण इलाकों में शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक विकास में भी योगदान दिया. इसके अलावा, 1990 में आईटीसी ने कृषि व्यवसाय में कदम रखा और ‘ई-चौपाल’ पहल के जरिए किसानों के साथ गहरा रिश्ता बनाया.
फूड सेगमेंट में विस्तार2001 में आईटीसी ने ‘किचन्स ऑफ इंडिया’ ब्रांड के तहत फूड बिजनेस शुरू किया. इसके बाद आटा, बिस्किट, स्नैक्स और चॉकलेट जैसे उत्पाद बाजार में उतारे. कंपनी के ‘आशीर्वाद’, ‘सनफीस्ट’ और ‘फैबेल’ ब्रांड्स ने इसे फूड सेक्टर में बड़ा खिलाड़ी बना दिया.
आज का आईटीसीआज आईटीसी तंबाकू, होटल, पैकेजिंग, कृषि, कागज, भोजन और व्यक्तिगत उत्पादों सहित कई क्षेत्रों में काम कर रही है. यह कंपनी न केवल एक व्यावसायिक संस्था है, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के विकास में भी योगदान दे रही है. खबरों की मानें तो आज आईटीसी का कारोबार 90 देशों में फैल चुका है.
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