Success Story: MP के लड़के ने IAS बनने का सपना छोड़ खोला चाय का ठेला, अब 150 करोड़ का टर्नओवर

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Success Story: एक लड़का अपने परिवार वालों के सपनों को पूरा करने के लिए IAS बनने का सपना लेकर दिल्ली आता है. परिजन को उसपर यकीन था कि वह आईएएस बनकर ही लौटेगा, लेकिन किस्मत कुछ और ही करवाना चाहती है. आईएएस की तैयारी के बीच उसे एक दोस्त का फोन आता है. दोस्ता कहता है कि “चलो चाय बेचने का काम शुरू करते हैं”. कोई दूसरा इंसान होता तो कहता कि भाई मज़ाक छोड़ और तू अपना काम कर, मुझे आईएएस की तैयारी करने दी. लेकिन… इस लड़के ने कुछ अलग किया. दोस्त की सलाह पर आईएएस की तैयारी छोड़ दी. चाय का एक छोटा-सा ठेला लगा लिया. नाम रखा चाय सुट्टा बार (Chai Sutta Bar). लड़के का नाम है अनुभव दुबे (Anubhav Dubey). आप यकीन नहीं करेंगे कि वही ठेला आज 150 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनी में तब्दील हो चुका है.

अनुभव दुबे मध्य प्रदेश के रीवा शहर से हैं और एक साधारण कारोबारी परिवार से आते हैं. उनके पिताजी चाहते थे कि बेटा IAS बने, इसलिए उसके बीकॉम पूरा करने के बाद अनुभव को UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली भेजा. शुरुआती UPSC परीक्षाओं में उसे सफलता नहीं मिली. क्या UPSC, क्या IIT और क्या IIM, सभी जगहों पर नाकामयाबी हाथ लगी. किस्मत को कुछ और मंजूर था. इसी बीच उसके कॉलेज के एक दोस्त आनंद नायक ने चाय बेचने का पुराना आइडिया उसे फिर से याद दिलाया. अनुभव दुबे ने इस पर गंभीरता से विचार किया और दिल्ली में सब कुछ छोड़कर इंदौर लौटने का फैसला कर लिया.

केवल 3 लाख रुपये से चाय सुट्टा बार की शुरुआत

साल 2016 में दोनों ने मिलकर अपने पास से सिर्फ 3 लाख रुपये इकट्ठा किए और इंदौर के भंवरकुआं इलाके में एक छोटा-सा चाय का ठेला खोला. दुकान का किराया था 18,000 रुपये महीना था. पैसे की तंगी थी, इसलिए उन्होंने खुद ही दुकान की पेंटिंग की, पुराने फर्नीचर इस्तेमाल किए, और लकड़ी पर हाथ से Chai Sutta Bar लिख दिया. नाम में ‘सुट्टा’ शब्द होने के बावजूद, दुकान में ना बीड़ी थी, ना सिगरेट, बस चाय ही चाय थी.

उनकी चाय का अंदाज खास था. मिट्टी के कुल्हड़ों में चाय देना न सिर्फ देसी अहसास देता था, बल्कि इससे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले परिवारों को रोजगार भी मिला. दोनों दोस्तों ने धीरे-धीरे करके मसाला, अदरक, इलायची जैसी पारंपरिक चायों के साथ-साथ चॉकलेट, केसर, तुलसी, गुलाब और पान फ्लेवर जैसी अनोखी चाय भी बेचनी शुरू कर दी. इसके साथ ही मैगी, पास्ता, बर्गर और सैंडविच जैसे फास्ट फूड भी. फास्ट फूड और चाय का कॉम्बिनेशन युवाओं को अपनी तरफ खींचने लगा.

धीरे-धीरे चाय सुट्टा बार का नाम मशहूर होने लगा. आज देश के 195 शहरों में इनके 400 से ज़्यादा आउटलेट हैं. सिर्फ भारत ही नहीं, दुबई, ओमान, कनाडा, नेपाल और UK तक में इनकी दुकानें हैं. रोज़ाना 80,000 से ज्यादा कुल्हड़ों में चाय बिकती है और कंपनी का सालाना कारोबार लगभग 150 करोड़ रुपये का हो चुका है.

चाय सुट्टा बार में इंजीनियरों और MBA वालों को दी नौकरी

इतना ही नहीं, उन्होंने 1500 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार दिया है, जिनमें इंजीनियर और MBA जैसे प्रोफेशनल्स भी शामिल हैं. खास बात ये भी है कि उन्होंने दिव्यांग और पिछड़े वर्ग के लोगों को भी काम दिया है. महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देने की पहल भी उन्होंने शुरू की है.

COVID-19 के दौरान जब कई दुकानें बंद करनी पड़ीं और 3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, तब भी उन्होंने हार नहीं मानी. पुलिस और हेल्थ वर्कर्स को मुफ्त चाय दी, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहे और जैसे ही हालात सुधरे, वे फिर से उठ खड़े हुए.

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के ज़रिए उन्होंने बताया कि वो 9-5 की नौकरी करने वालों की फौज नहीं, बल्कि एक जज़्बे से भरी टीम बनाना चाहते हैं. इस सोच को लेकर कुछ लोग उनका मज़ाक उड़ाते हैं, तो कुछ लोग उन्हें सलाम भी करते हैं.

अनुभव दुबे आज एक आईकन बन चुके हैं. उनकी कुल संपत्ति लगभग 10 करोड़ रुपये आंकी जाती है और वो अब काफ़ी ला (Kaffee-La), माटी (Maatea) और टेक मास्टर गोगो (Tech Master Gogo) जैसे अन्य बिजनेस से भी जुड़े हुए हैं.

‘सुट्टा’ नाम के शक में नारकोटिक्स टीम ने 2 बार मारा छापा

शुरुआती दौर में आर्थिक तंगी और कड़ा कंपीटिशन तो था ही. केवल चाय और स्नैक्स का एक ब्रांड बनाना आसान काम नहीं था. लेकिन उनके सामने और भी मुश्किलें थीं. नारकोटिक्स टीम ने भी उनके यहां 2 बार छापा मारा. “चाय सुट्टा बार” नाम में सुट्टा ऐसा शब्द है, जो बताता है यहां सिगरेट या नशीले तंबाकू उत्पाद भी परोसे जाते हैं. लेकिन हर बार उन्हें क्लीन चिट मिली और नारकोटिक्स टीम ने कुछ गलत नहीं पाया.

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