MBA के बाद नौकरी कर रहा था युवक, अचानक आया आइडिया, शुरू किया खुद का बिजनेस, अब खड़ी कर दी करोड़ों की कंपनी

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Agency:News18 BiharLast Updated:February 25, 2025, 13:05 ISTकोविड-19 महामारी के दौरान उन्हें शहर छोड़कर गांव लौटना पड़ा. लेकिन हार मानने के बजाय उन्होंने आपदा को अवसर में बदलने की ठानी. 2015-16 से प्लास्टिक उद्योग में अपनी फैक्ट्री खोलने का सपना देखने वाले आनंद मोहन ने …और पढ़ेंX

प्रतीकात्मक तस्वीर हाइलाइट्सआनंद मोहन ने 2020 में प्लास्टिक फैक्ट्री शुरू की.फैक्ट्री में 30-40 श्रमिक काम कर रहे हैं.कंपनी का सालाना टर्नओवर लगभग 3 करोड़ रुपये है.रोहतास. आनंद मोहन बताते हैं कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर लगभग 3 करोड़ रुपये रहा और इसमें लगातार वृद्धि हो रही है. हालांकि, उनके लिए टर्नओवर से ज्यादा महत्वपूर्ण है स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाना. यदि सरकार मदद करती है, तो वे अगले साल तक 100 लोगों को रोजगार देने की योजना बना रहे हैं.

प्लास्टिक इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने वाले आनंद पहले एक निजी कंपनी में काम करते थे, लेकिन काम के दौरान उन्होंने महसूस किया कि दूसरों के लिए काम करने से बेहतर है खुद का व्यवसाय शुरू करना. इससे न केवल उन्हें फायदा होगा, बल्कि अपने गांव, परिवार और समाज के करीब रहकर स्थानीय स्तर पर रोजगार भी पैदा कर सकेंगे.

लोगों को काम देने में मिलती है खुशीकारोबार की शुरुआत छह लाख रुपये की मशीन और पांच श्रमिकों के साथ एक छोटे से कमरे में हुई. लेकिन आज उनकी फैक्ट्री में 30 से 40 श्रमिक काम कर रहे हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं हैं. आनंद का कहना है कि शहरों की ऊंची तनख्वाह से ज्यादा खुशी अपने गांव में लोगों को काम देने में है. उनकी फैक्ट्री में हॉटपॉट, वॉटर जुग, स्टील वाटर बॉटल, प्लास्टिक मग, डस्टबिन समेत 22 से 25 तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं. ये उत्पाद सस्ते, टिकाऊ और क्वालिटी के मामले में बड़े ब्रांड्स के बराबर होते हैं. फैक्ट्री के कच्चे माल की आपूर्ति गुजरात, अहमदाबाद, दिल्ली और मुंबई से होती है, जबकि तैयार माल उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, बंगाल, उत्तराखंड, हरियाणा समेत कई राज्यों में जाता है.

हर कदम पर साथ खड़ा रहा परिवारआनंद मोहन ने अपनी सफलता का श्रेय उद्योग विभाग ,पत्नी राजलक्ष्मी सिंह और अपने परिवार को दिया. उन्होंने बताया कि जहां उद्यमी योजना के तहत उद्योग विभाग ने शुरुआत में 10 लाख रुपये की सरकारी सहायता दी और भविष्य में भी मदद का आश्वासन दिया. वहीं उनकी पत्नी राजलक्ष्मी सिंह और उनका परिवार हर कदम पर उनके साथ खड़ा रहा और उनके हर निर्णय का समर्थन किया जिससे आज वो इस मुकाम पर पहुंचे हैं.
First Published :February 25, 2025, 13:00 ISThomebusinessMBA के बाद नौकरी कर रहा था युवक, अचानक आया आइडिया, शुरू किया खुद का बिजनेस

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