मार्केट में छुपे हैं अभी कई और ‘जेनसोल’, विजय केडिया ने बताई ऐसी कंपनियों की 10 पहचान

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नई दिल्ली. हाल ही में जेनसोल इंजीनियरिंग के शेयरों में भारी गिरावट और SEBI द्वारा कंपनी के अधिकारियों पर कार्रवाई के बाद, निवेशकों के लिए एक अहम संदेश आया है. निवेशक और शेयर बाजार के विशेषज्ञ विजय केडिया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से निवेशकों को चेतावनी दी है कि ऐसी कंपनियों से दूर रहें जो स्टॉक मार्केट में धोखाधड़ी की संभावना पैदा कर सकती हैं. केडिया ने यह भी कहा कि जेनसोल जैसी कंपनियों का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है और उन्होंने संभावित धोखाधड़ी के 10 अहम संकेत दिए हैं.

जेनसोल इंजीनियरिंग के CEO अनमोल सिंह जग्गी और प्रमोटर पुणीत सिंह जग्गी को SEBI ने हाल ही में व्यक्तिगत उपयोग के लिए धन का दुरुपयोग करने के आरोप में बैन कर दिया है. SEBI द्वारा की जा रही जांच में जेनसोल ने 975 करोड़ रुपये का लोन लिया था ताकि 6,400 इलेक्ट्रिक कारें खरीदी जा सकें, लेकिन कंपनी ने केवल 4,704 इलेक्ट्रिक कारें ही खरीदीं, जिनकी कुल लागत 567.73 करोड़ रुपये आई. इस प्रकार, 200 करोड़ रुपये का अनउपयोगी धन था, जिससे कंपनी पर सवाल उठने लगे हैं.

जेनसोल जैसी कंपनियां पहचानेंविजय केडिया ने अपनी पोस्ट में कहा, “जेनसोल जैसी कंपनियों को पहचाना जाना चाहिए. यह ऐसे कंपनियां हैं जो बहुत बड़ी बातें करती हैं, परंतु उनके पास ठोस सबूत नहीं होते. वे मीडिया में लगातार सक्रिय रहते हैं, छोटी-सी भी घटना को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं और अक्सर धन जुटाने के लिए नए-नए तरीके खोजते हैं.”

केडिया ने आगे कहा, “यह कंपनियां जब अनावश्यक क्षेत्रों में निवेश करने लगती हैं, तो यह अक्सर ‘ट्रेंडिंग नैरेटीव’ पर सवार होने का प्रयास करती हैं. इसके अलावा, वे अक्सर अत्यधिक चमकीले शब्दों का इस्तेमाल करती हैं जैसे ‘AI-powered’, ‘next-gen’, और ‘disruptive’ ताकि वे इनोवेटिव दिखें, जबकि उनके पास कोई ठोस योजना नहीं होती.”

उन्होंने इसके बाद कहा, “आपको ऐसी कंपनियों से बचने की आवश्यकता है, जिनके प्रमोटरों की लाइफस्टाइल कंपनी के प्रदर्शन से मेल नहीं खाती. एक और महत्वपूर्ण संकेत यह है कि यदि प्रमोटरों ने अपने शेयरों को अधिक मात्रा में गिरवी रख लिया हो, तो यह एक बड़ा खतरा है. इसके साथ ही, यदि महत्वपूर्ण कर्मचारी जल्दी-जल्दी कंपनी छोड़ रहे हों या संबंधित पार्टी लेनदेन अधिक हो, तो यह भी एक बड़ा रेड फ्लैग है.”

निवेशकों के लिए 10 रेड फ्लैग्स

बड़ी बातें और अधिक वादे – ऐसे कंपनियां हमेशा अधिक वादे करती हैं, जो वास्तविकता से मेल नहीं खाते.

मीडिया पर अत्यधिक ध्यान – कंपनी की हमेशा मीडिया में मौजूदगी रहती है, चाहे वह सोशल मीडिया हो या समाचार कवरेज।

छोटे विकास को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना – कंपनियां छोटे से छोटे विकास को अत्यधिक प्रचारित करती हैं.

अस्पष्ट तरीके से धन जुटाना– वे बार-बार फंड जुटाती हैं, लेकिन यह नहीं बतातीं कि इन पैसों का उपयोग कहां किया जाएगा.

अलहदा और ट्रेंडिंग बिजनेस में निवेश – कंपनियां अक्सर नॉन-रिलेटेड बिजनेस में पैसा लगाती हैं, केवल ट्रेंडिंग नरेटीव्स का पीछा करने के लिए.

फ़्लैशी buzzwords का उपयोग – “AI-powered”, “next-gen”, “disruptive” जैसे शब्दों का उपयोग बिना किसी वास्तविक ठोस कारण के.

प्रमोटर का शानदार जीवनशैली – प्रमोटर्स की शानदार जीवनशैली दिखाई जाती है, जो कंपनी की वास्तविक प्रदर्शन से मेल नहीं खाती.

उच्च प्रमोटर प्लेजिंग – यदि प्रमोटर अपने शेयरों को बड़े पैमाने पर गिरवी रखते हैं तो यह एक बड़ा रेड फ्लैग है.

मैनेजमेंट का बार-बार बदलना – यदि कंपनी के शीर्ष प्रबंधक लगातार बदलते हैं तो यह एक खतरनाक संकेत हो सकता है.

अत्यधिक संबंधित-पार्टी लेन-देन – यदि कंपनी की अंदरूनी लेन-देन में बहुत अधिक रिश्तेदार शामिल होते हैं तो यह एक संकेत हो सकता है कि कुछ गड़बड़ है.

केडिया ने निवेशकों से कहा कि इन रेड फ्लैग्स को पहचानने के बाद भी अगर कोई कंपनी नजर आए, तो उससे जुड़ा कोई भी निवेश करने से पहले बहुत सोच-समझकर कदम उठाना चाहिए.

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