Last Updated:May 14, 2025, 10:02 ISTपाकिस्तान के साथ हुए सैन्य संघर्ष में चीन की सरकार ने उसका खुलकर साथ दिया है. इसके जवाब में अब भारत सरकार चीन के साथ व्यापारिक नियमों को सख्त कर सकती है. भारतीय कंपनियों के अफसरों को रेगुलेटरी प्रोसेस और सख्त क…और पढ़ेंहाइलाइट्सभारत चीन के व्यापारिक नियम सख्त कर सकता है.भारतीय सीईओ को सख्त रेगुलेटरी प्रोसेस होने की आशंका.गलवान घाटी विवाद के बाद भी कड़े फैसले लिए गए थे.नई दिल्ली. भारत और पाकिस्तान के बीच चले सैन्य संघर्ष के दौरान दो देशों ने पूरी तरह से पाकिस्तान का साथ दिया. इनमें पहला तुर्किए तो दूसरा चीन है. इन दोनों मुल्कों ने पाकिस्तान को हथियार और राजनयिक समर्थन दिया. ऐसे में देश में तुर्किए और चीन को लेकर जनता के साथ-साथ सरकार भी खासी नाराज है और इसका असर व्यापारिक रिश्तों पर पड़ सकता है. तुर्किए से आयात होने वाले सामानों का तो लोग विरोध करने लगे हैं. अब चीन के साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला है. दरअसल, भारत की 4 बड़ी कंपनियों के सीईओ, जो जिन चीनी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की संभावनाएं तलाश रहे हैं लेकिन उन्हें अब रेगुलेटरी प्रोसेस और सख्त किए जाने की उम्मीद है. क्योंकि, भारत-पाकिस्तान में सैन्य तनाव के दौरान चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया था.
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की इन बड़ी कंपनियों के सीईओ ने कहा कि इससे पाइपलाइन में मौजूद कई डील्स पर संकट मंडरा रहा है, जिनमें इलेक्ट्रिक प्रोडक्ट्स निर्माता कंपनी हैयर से जुड़ी डील भी शामिल है. यह चाइनीज कंपनी अपने भारतीय ऑपरेशन में हिस्सेदारी बेचने की योजना और दो अन्य ज्वाइंट वेंचर पर बात कर रही है, और इस डील के लिए प्रेस नोट 3 के तहत सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है.
हालात देखकर आगे बढ़ेंगी कंपनियां
इंडियन कॉन्ट्रेक्ट मैन्युफैक्चर्स भी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेट प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) योजना के लिए ज्वाइंट एप्लीकेशन पर चीन की कंपनियों के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रहे हैं. हायर इंडिया में हिस्सेदारी का वैल्युएशन कर रही एक बड़ी घरेलू कंपनी ने अब धीमी रफ्तार से आगे बढ़ने का फैसला किया है. एक सीनियर अफसर ने कहा कि चीन के साथ इन डील्स पर रेगुलेटरी हालात का मूल्यांकन करने के बाद ही आगे बढ़ा जाएगा. चीनी कंपनी 2-2.3 बिलियन डॉलर के वैल्युएशन पर 25-51% इक्विटी बेचना चाहती है, और इसके लिए देश की दो बड़ी कंपनियां प्रमुख दावेदार मानी जा रही है.
गलवान घाटी विवाद के बाद भी लिए थे कड़े फैसले
बता दें कि साल 2020 में गलवान घाटी में हुए सैन्य टकराव के बाद भी भारत सरकार ने ट्रेड के मुद्दे पर चीन के खिलाफ कड़े फैसले लिए थे. इस दौरान प्रेस नोट 3 के तहत नियमों को सख्त किया गया था. 119 बिलियन डॉलर के 526 एफडीआई प्रपोजल में से सिर्फ 124 को मंजूरी मिली थी, जबकि 201 को रिजेक्ट कर दिया गया था. इसके अलावा, बाकी बचे प्रस्ताव लंबित हैं.
भारत के साथ इस विवाद में बड़ी चीनी कंपनियों को PN3 रिजेक्शन और/या रेगुलेटरी मुद्दों का सामना करना पड़ा है. इनमें सैक मोटर, हैयर, ओप्पो, वीवो, शियोमी और बीवाईडी समेत अन्य कंपनियां शामिल हैं. दरअसल, चीनी कम्पनियां भारतीय पार्टनर्स के साथ टेक्निकल वेंचर की बजाय ज्वाइंट वेंचर स्थापित करने को प्राथमिकता दे रही हैं.
Chandrashekhar Guptaचंद्रशेखर गुप्ता, टीवी और डिजिटल मीडिया में 14 साल से सक्रिय हैं. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने जी न्यूज में काम किया है. वर्तमान में वह hindi.news18.com के बिजनेस सेक्शन पर काम कर रहे हैं. वे पर्सनल …और पढ़ेंचंद्रशेखर गुप्ता, टीवी और डिजिटल मीडिया में 14 साल से सक्रिय हैं. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने जी न्यूज में काम किया है. वर्तमान में वह hindi.news18.com के बिजनेस सेक्शन पर काम कर रहे हैं. वे पर्सनल … और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें News18 India पर देखेंLocation :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessअब तेरा क्या होगा चीन, मिलेगी पाकिस्तान का साथ देने की सजा! तैयारी में सरकार
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