Stock market crash reason : शेयर बाजार की सामान्य चाल पर तो कम ही लोग ध्यान देते हैं, लेकिन यदि एक दिन में ही सेंसेक्स 1000 से ज्यादा अंक गिर जाए, तो सभी का ध्यान इसकी तरफ चला जाता है. गुरुवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में भारी गिरावट दर्ज की गई. इसकी वजह अमेरिका की बिगड़ती आर्थिक स्थिति, वहां के बॉन्ड बाजार में हलचल और वैश्विक बाज़ारों से मिले कमजोर संकेत रहे. इससे भारत के आईटी शेयरों को भी बड़ा झटका लगा.
गुरुवार को सेंसेक्स 1,004 अंक गिरकर 80,591 पर आ गया और निफ्टी भी 304 अंक टूटकर 24,509 तक पहुंच गया. निफ्टी के लिए 25,000 के ऊपर टिकना मुश्किल हो रहा है. आज NSE के सभी 13 सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में खुले. मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियां भी नुकसान में रहीं.
अमेरिका की आर्थिक स्थिति खराब
इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिका की आर्थिक स्थिति को लेकर फैली चिंता थी. अमेरिका की सरकार अपने नए बजट में टैक्स में कटौती करने की सोच रही है, जिससे वहां के पहले से ही बड़े बजट घाटे में और बढ़ोतरी हो सकती है. इसी डर से निवेशकों ने अमेरिका के सरकारी बॉन्ड बेचने शुरू कर दिए, जिससे उनके रिटर्न तेजी से बढ़ गए. जब अमेरिकी बॉन्ड का रिटर्न बढ़ता है, तो विदेशी निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसा निकालकर वहां लगाना शुरू करते हैं. नतीजतन भारत का शेयर बाजार गिरता है.
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दूसरा बड़ा कारण था वैश्विक बाज़ारों का कमजोर प्रदर्शन. अमेरिका में बुधवार को बाजार गिरा था, और उसी का असर गुरुवार को जापान, कोरिया और हांगकांग जैसे एशियाई बाज़ारों पर भी दिखा. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा.
आईटी कंपनियों पर पड़ी मार
आईटी कंपनियों को इस गिरावट का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. टेक महिंद्रा, HCL टेक, इंफोसिस जैसी कंपनियों के शेयरों में 2 फीसदी से ज्यादा गिरावट देखी गई. इसकी वजह यह थी कि अमेरिका की आर्थिक कमजोरी का सीधा असर इन कंपनियों के कारोबार पर पड़ सकता है, क्योंकि इनका बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार पर ही निर्भर है.
इसके अलावा, निवेशकों की चिंता भारत के VIX यानी वॉलेटिलिटी इंडेक्स में बढ़त से भी साफ नजर आई. VIX में 2.8 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई, जिससे यह समझ आता है कि निवेशक अभी बाजार को लेकर असमंजस में हैं.
क्या कहते हैं बाजार के जानकार
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार अभी एक सीमित दायरे में उतार-चढ़ाव करता रहेगा. निफ्टी फिलहाल 24,060 से 25,235 के दायरे में रह सकता है. हालांकि, कुछ संकेत सकारात्मक भी हैं, जैसे कि अभी भी 80% से ज्यादा शेयर अपने 10-दिन के औसत से ऊपर ट्रेड कर रहे हैं, जो एक उम्मीद की किरण हो सकती है.
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