क्यों भरभरा कर गिर रहा है भारत का शेयर बाजार, ये हैं कारण

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नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार में 20 मई को भी गिरावट का सिलसिला जारी रहा, जिससे निवेशकों की चिंता और गहरा गई है. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही हरे निशान में खुलने के बाद दिनभर के कारोबार में लगातार दबाव में रहे. विदेशी फंड्स की बिकवाली, वैश्विक अनिश्चितता और जापान-अमेरिका से जुड़ी आर्थिक खबरों ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया.

सेंसेक्स लगभग 832 अंकों की गिरावट के साथ 81,227.42 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 255.35 अंक लुढ़ककर 24,690.10 के स्तर पर बंद हुआ. यह गिरावट लगातार तीसरे दिन देखने को मिली है और इसके पीछे कई अहम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारक जिम्मेदार हैं.

फाइनेंशियल और ऑटो सेक्टर में भारी बिकवाली

दिन की ट्रेडिंग में सबसे अधिक दबाव फाइनेंशियल और ऑटो सेक्टर में दिखा. निफ्टी के टॉप लूजर्स में आयशर मोटर्स, हीरो मोटोकॉर्प, मारुति सुजुकी, सिप्ला और श्रीराम फाइनेंस शामिल रहे. इन शेयरों में गिरावट ने सूचकांकों पर भी असर डाला.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बढ़ाया दबाव

विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की ओर से लगातार बिकवाली देखने को मिल रही है. सोमवार को FIIs ने 525.95 करोड़ रुपये की निकासी की. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार का मानना है कि ऊंचे वैल्यूएशन के कारण बाजार कंसॉलिडेशन की ओर बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्तरों पर आगे तेजी सीमित रह सकती है और हर उछाल पर बिकवाली संभव है.

जापान के बॉन्ड यील्ड से वैश्विक चिंता बढ़ी

मंगलवार को जापान के 30 और 40 साल की सरकारी बॉन्ड यील्ड रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई, जिससे देश की फिस्कल हेल्थ को लेकर चिंता बढ़ी है. कमजोर बॉन्ड ऑक्शन के बाद वहां की यील्ड 3.6% तक पहुंच गई, जो निवेशकों के लिए चेतावनी का संकेत है. इससे वैश्विक बॉन्ड बाजारों में उथल-पुथल मची और शेयर बाजारों में भी दबाव बढ़ा.

अमेरिका से जुड़ी खबरों ने सेंटीमेंट कमजोर किया

फेडरल रिजर्व के अधिकारियों की सख्त टिप्पणी से निवेशकों में ब्याज दरों को लेकर चिंता बनी हुई है. अटलांटा फेड के प्रेसिडेंट राफेल बोस्टिक ने 2025 में सिर्फ एक बार रेट कट की उम्मीद जताई है, जिससे महंगाई और ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची रहने की आशंका है. इसके साथ ही, रेटिंग एजेंसी मूडीज द्वारा अमेरिका के सॉवरेन डेट आउटलुक में कटौती से भी ग्लोबल सेंटीमेंट पर नकारात्मक असर पड़ा.

भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर सस्पेंस बरकरार

कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा पूरी होने के बावजूद, भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है. दोनों पक्ष अमेरिकी टैरिफ के लागू होने से पहले किसी समझौते की कोशिश में हैं, लेकिन फिलहाल इसमें अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे बाजार को कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिल रहा.

रुपया भी दबाव में

डॉलर के मुकाबले रुपया आज 13 पैसे कमजोर होकर 85.55 के स्तर पर पहुंच गया. इसका मुख्य कारण विदेशी फंड्स की लगातार निकासी और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में आई तेजी है. डॉलर की मजबूती ने अन्य उभरती हुई करेंसीज पर भी दबाव डाला है.

ग्लोबल ट्रेड को लेकर नया तनाव

अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट की हालिया चेतावनी कि अमेरिका अपने व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ बढ़ा सकता है, ने वैश्विक ट्रेड वॉर की आशंका को फिर से हवा दी है. मार्केट विश्लेषकों का मानना है कि इससे ग्लोबल मंदी का डर बढ़ सकता है और बाजारों में अस्थिरता और बढ़ सकती है.

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