हर कोई सोचता है कि शेयर बाजार में पैसा तभी बढ़ता है, जब सेंसेक्स या निफ्टी ऊपर जाएं. लेकिन ऐसा नहीं है. ये तो केवल बड़ी कंपनियों के दो इंडेक्स हैं. इनमें शामिल कंपनियों के शेयरों की मूवमेंट के हिसाब से ये भी घटते बढ़ते हैं. लेकिन जरूरी नहीं कि इनके बढ़ने से सारे शेयर बढ़ें और इनके गिरने से सारे शेयर गिरें. इसी तरह बीएसई स्मॉलकैप भी एक इंडेक्स है. सेंसेक्स और निफ्टी जहां दबाव में नजर आए, वहीं कुछ स्मॉलकैप शेयरों ने धमाल मचा दिया. आम निवेशक तो समझ भी नहीं पाए कि क्या खेल हो गया. इस इंडेक्स के कई शेयरों ने दोगुने से भी अधिक रिटर्न दे दिया.
इन दिनों छोटे स्टॉक्स यानी स्मॉलकैप कंपनियों ने जोरदार रफ्तार पकड़ी है. जहां निफ्टी ने पिछले तीन महीनों में 12 फीसदी की बढ़त दी है, वहीं बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स ने पूरे 21 फीसदी की छलांग लगाई है. इसका मतलब है कि जिन लोगों ने इन छोटे स्टॉक्स में पैसा लगाया, उनका रिटर्न काफी ज्यादा रहा है. इकॉनमिक्स टाइम्स की एकत रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ कंपनियों ने तो हैरान कर देने वाले रिटर्न दिए हैं- जैसे NACL Industries ने 192 फीसदी और Garden Reach Shipbuilders ने 147 फीसदी का उछाल दिखाया. इसके अलावा Suven Life, Centum Electronics, Cosmo First, Bharat Dynamics, Zen Tech और Mangalore Chemicals जैसी कंपनियों के स्टॉक्स या तो दोगुने हो गए हैं या दोगुने के बहुत करीब हैं.
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किन वजहों से आई ये तेजी?
इस तेजी के पीछे वजह है भारत की आर्थिक स्थिति का सुधरना, ब्याज दरों में गिरावट, शेयर बाजार में विदेशी और घरेलू निवेशकों की ओर से पैसा आना और कई सेक्टर्स में बेहतर प्रदर्शन. खासकर मैन्युफैक्चरिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंशियल सर्विसेज में तेज़ी से सुधार हो रहा है. HSBC म्यूचुअल फंड के इक्विटी प्रमुख के अनुसार, भारत जैसे विकासशील देश में लंबे समय तक स्मॉलकैप कंपनियों में अच्छा फायदा मिल सकता है क्योंकि ये कंपनियां ग्रोथ साइकिल में तेज़ी से बढ़ती हैं.
लेकिन इसके साथ-साथ कुछ विशेषज्ञ चेतावनी भी दे रहे हैं. उनका कहना है कि भले ही स्मॉलकैप में अभी जोरदार तेजी दिख रही हो, लेकिन इनकी वैल्यू अब सस्ती नहीं रही. कई छोटे स्टॉक्स की कीमतें इतनी बढ़ गई हैं कि अगर भविष्य में इनका मुनाफा उम्मीद के मुताबिक नहीं आया, तो निवेशकों को घाटा हो सकता है. इसलिए निवेश करने से पहले कंपनी की कमाई की संभावनाओं को जरूर परखना चाहिए.
ज्यादा जोखिम न लेना हो तो क्या करें?
विशेषज्ञ सलाह दे रहे हैं कि अगर आप ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते, तो फ्लेक्सीकैप फंड्स में निवेश करें. अगर आपका जोखिम मध्यम है, तो मल्टीकैप फंड सही रहेंगे. और अगर आप लंबे समय तक यानी 5 से 10 साल तक इंतजार कर सकते हैं और जोखिम झेल सकते हैं, तो मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स बेहतर रहेंगे.
मार्च तिमाही में कुछ सेक्टर्स ने उम्मीद से बेहतर नतीजे दिए हैं. जैसे एफएमसीजी कंपनियों ने कमजोर डिमांड के बावजूद प्राइस बढ़ाकर मुनाफा बनाए रखा. कच्चे माल की कीमतें भी स्थिर रहीं, जिससे लागत कंट्रोल में रही.
फिर भी, बाजार के कुछ अनुभवी लोग मानते हैं कि अब आसानी से पैसा कमाने का समय शायद निकल चुका है. अब बाजार में वही लोग सफल रहेंगे जो सोच-समझकर निवेश करें, सही कंपनियों का चुनाव करें और भावनाओं में बहने से बचें.
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