Last Updated:February 27, 2025, 13:23 ISTभारतीय शेयर बाजार ने 1992 के हर्षद मेहता घोटाले से लेकर 2020 के कोविड-19 क्रैश तक कई मंदी के दौर देखे हैं. हर बार बाजार ने रिकवरी की और नई ऊंचाइयों को छुआ. मंदी के दौर में धैर्य रखना सबसे जरूरी होता है. अभी मंद…और पढ़ेंहाइलाइट्सहर मंदी के बाद बाजार ने नई ऊंचाइयों को छुआ है.शेयर बाजार में धैर्य रखना जरूरी हैमंदी के दौर में घबराहट में शेयर न बेचें.Stock market crash in India : शेयर बाजार एक ऐसा खुला मैदान है, जहां कोई भी शख्स अपनी पूंजी के साथ खेलने के लिए उतर सकता है. यहां कभी बुल रन होता है तो कभी मंदी भी देखने को मिलती है. लेकिन यह सबके लिए खुला है और इसका इतिहास कहता है कि अग्रेसिव होकर खेलने वालों की तुलना में सब्र करके बैठने वाले लंबे समय तक टिके हैं और उन्होंने पैसा बनाया है. इतिहास गवाह है कि हर मंदी के बाद बाजार ने नई ऊंचाइयों को छुआ है. चाहे वह 1992 का हर्षद मेहता घोटाला हो, 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट, या 2020 का कोविड-19 का झटका. हर बार बाजार ने कमबैक दिखाया है.
अभी 2025 चल रहा है, लेकिन 2024 के सितंबर-अक्टूबर महीने से ही भारतीय शेयर बाजार पर मंदी के घने बादल छाए हुए हैं. निफ्टी50 लगभग 15 फीसदी के आसपास नीचे आ चुका है. मिड और स्मॉल-कैप शेयरों की तो लंका ही लगा हुई है. सभी सेक्टर बिकवाली के दौर से गुजर रहे हैं. आपको लग रहा हो सकता है कि इस तरह की मार्केट में घुसने से अच्छा है कि दूर ही रहा जाए. यदि आप ऐसा सोच रहे हैं तो शायद आप इस मायावी बाजार में नए-नए आए हैं. आपने वो दौर नहीं देखे और न ही उन्हें स्टडी किया, जो इससे कहीं अधिक बुरे थे. तब भी शेयर बाजार गिरा था और जबरदस्त वापसी भी की थी. अभी की गिरावट की वजह वैश्विक और घरेलू कारकों के कारण है. बढ़ती वैश्विक ब्याज दरें, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, भू-राजनीतिक तनाव, और कमजोर कॉर्पोरेट आय इसके प्रमुख कारण हैं.
बेयर मार्केट क्या है?शेयर मार्केट की उस स्थिति को बेयर मार्केट कहा जाता है, जब शेयरों की कीमतें अपने हाल के उच्च स्तर से 20-30 फीसदी या उससे अधिक गिर जाती हैं. यह आमतौर पर आर्थिक मंदी, वित्तीय संकट, या वैश्विक अनिश्चितता के कारण होता है. ऐसे समय में निवेशक डर के मारे अपने शेयर बेच देते हैं, जो उन्हें नुकसान पहुंचाता है.
भारतीय इतिहास के सबसे बड़े बेयर मार्केट और उनके कारण
1992 – हर्षद मेहता घोटाला (55% गिरावट)1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल था. हर्षद मेहता नामक एक स्टॉकब्रोकर ने बैंकिंग प्रणाली में खामियों का फायदा उठाकर शेयरों की कीमतों को प्रभावित करने की कोशिश की. जब इसका सच उजागर हुआ, तो सेंसेक्स 55% गिर गया, और निवेशकों के अरबों रुपये डूब गए. इस घटना के बाद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को नियामक प्राधिकरण के रूप में स्थापित किया गया, ताकि इस तरह की घटनाओं पर शुरुआत से ही लगाम लगाई जा सके.
2000 – डॉटकॉम बबल का फटना (40% गिरावट)1990 के दशक के अंत में इंटरनेट आधारित कंपनियों में निवेश का जबरदस्त बुखार था. भारतीय आईटी शेयरों की कीमतें आसमान छूने लगीं, लेकिन यह सब सट्टेबाजी पर आधारित था. जब 2000 में डॉटकॉम बबल फटा, तो भारतीय आईटी शेयरों में 40% की गिरावट आई. कई कंपनियां बंद हो गईं, और मजबूत कंपनियों को भी रिकवर होने में सालों लग गए. लेकिन रिकवरी हुई. जिन्होंने लंबे समय के लिए निवेश किया था, और जिन्होंने सब्र से काम लिया, वे कामयाब हुए.
2008 – वैश्विक वित्तीय संकट (60% गिरावट)2008 में अमेरिका में रेजिडेंशियल बबल के फटने से पूरी दुनिया में वित्तीय संकट पैदा हो गया. विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से अरबों डॉलर निकाल लिए, जिससे सेंसेक्स में 60% की गिरावट आई. हालांकि, 2010 तक बाजार ने पूरी तरह से रिकवरी कर ली और नए रिकॉर्ड बनाए.
2013 – टेपर टैंट्रम (25% गिरावट)इस साल अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपने प्रोत्साहन कार्यक्रम को कम करने की घोषणा की, जिससे वैश्विक निवेशकों में दहशत फैल गई. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकाल ली, जिससे सेंसेक्स में 25% की गिरावट आई. हालांकि, बाजार सुधारों और मजबूत आर्थिक नीतियों ने भारत को जल्दी रिकवर करने में मदद की.
2020 – कोविड-19 क्रैश (40% गिरावट)कोविड-19 महामारी इतिहास के सबसे तेज शेयर बाजार क्रैश का कारण बनी. लॉकडाउन के कारण व्यापार प्रभावित हुए, और निवेशकों का मनोबल गिर गया. सेंसेक्स में एक महीने में 40% की गिरावट आई, लेकिन अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ ही बाजार ने मजबूत वापसी की और दो साल में नए रिकॉर्ड बनाए.
मंदी के दौर में कैसे निपटें?
शांत रहें और घबराहट में शेयर न बेचें.
म्यूचुअल फंड और शेयरों में SIP जारी रखें.
गुणवत्ता वाली कंपनियों पर ध्यान दें.
अपने पोर्टफोलियो को विविध बनाने पर ध्यान दें.
नकदी रिजर्व रखें, ताकि सस्ते शेयर खरीद सकें.
धैर्य रखें, निवेश जारी रखें, और डर के माहौल में अवसरों का लाभ उठाएं. यही दुनिया के सबसे बड़े निवेशक वॉरेन बफेट का सूत्र भी है.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :February 27, 2025, 13:23 ISThomebusinessअभी तो 15% गिरा है शेयर बाजार, 40 साल का इतिहास देखिए, दूर हो जाएंगे सारे गम
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