Last Updated:January 14, 2025, 11:28 ISTShare Market Crash : शेयर बाजार से मुनाफा कमाने वालों को फिलहाल सावधान हो जाना चाहिए. आंकड़े बताते हैं कि बाजार का पूंजीकरण पिछले 8 महीने में करीब 77 लाख करोड़ रुपये नीचे आ चुका है और कुल निवेशकों का औसत नुकसान देखें तो साढ़े…और पढ़ेंनई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार के लिए साल 2024 का पहला हॉफ काफी अच्छा रहा तो दूसरे हॉफ में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा है. वैश्विक बाजारों में गिरावट और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से बाजार पर लगातार दबाव रहा, जिसकी वजह से बीएसई पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण भी गिरकर 5 ट्रिलियन डॉलर से नीचे आ गया है. इसका सीधा असर निवेशकों के रिटर्न पर भी दिखा. पिछले 4 सत्र में भी शेयर बाजार दबाव में ही रहा और निवेशकों ने 34.69 लाख करोड़ रुपये गंवा दिए.
आंकड़े देखें तो पता चलता है कि बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण अभी 4.81 ट्रिलियन डॉलर हो गया है, जो 13 मई 2024 के बाद सबसे निचला स्तर है. साल 2025 की शुरुआत में भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण 5.17 ट्रिलियन डॉलर था. इस लिहाज से 14 जनवरी तक इसमें 360 अरब डॉलर की गिरावट आ चुकी है. अगर सितंबर, 2024 के आंकड़ों से देखें जब भारतीय बाजार का पूंजीकरण अपने टॉप लेवल 5.7 ट्रिलियन डॉलर पर था, तो तब से अब तक 890 अरब डॉलर (76.98 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान निवेशकों को हो चुका है.
हर निवेशक ने कितने पैसे गंवाएशेयर बाजार का पूंजीकरण करीब 77 लाख करोड़ रुपये नीचे आ चुका है. बीएसई के आंकड़े बताते हैं कि जून 2024 तक बाजार में करीब 16 करोड़ निवेशक थे. मान लें कि तब से अब तक इसमें 1 करोड़ निवेशकों की संख्या और बढ़ गई तो इस लिहाज से हर निवेशक को औसतन 4,52,800 रुपये का नुकसान शेयर बाजार में हुआ है. इसमें छोटे और बड़े सभी निवेशकों को शामिल किया गया है और कुल नुकसान से उनका औसत निकाला गया है.
कितने खराब हैं हालातशेयर बाजार में आ रही गिरावट के पीछे के कारणों को देखें तो पता चलता है कि हालात कितने खराब हैं. केवल जनवरी महीने की बात करें तो अभी तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) ने बाजार से 22 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की निकासी की है. इसका सीधा असर घरेलू निवेशकों के सेंटिमेंट पर दिखा और बिकवाली से बाजार को नुकसान पहुंचा. डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी को देखें तो इसमें 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट दिखी जो 58 पैसे रही. ब्रेंट क्रूड का भाव करीब 81 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है, जो भारत के आयात बिल पर सीधा असर डाल रहा है और महंगाई को फिर बढ़ा सकता है.
कब तक है रिकवरी की उम्मीदशेयर बाजार के ताजा समीकरण को देखें तो फिलहाल रिकवरी की जल्दी उम्मीद नहीं है. अमेरिका ने रूस पर नया प्रतिबंध लगा दिया तो ट्रंप के आने से टैरिफ वॉर को एक बार फिर बढ़ावा मिलता दिख रहा है. इन सभी का असर ग्लोबल ट्रेड पर दिखेगा जो सीधे तौर पर शेयर बाजार को भी नुकसान पहुंचाएंगे. पिछली तिमाही में भारत की विकास दर 6.4 फीसदी रही. आईएमएफ ने अगले कुछ साल तक विकास दर को 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जबकि विश्व बैंक ने 6.7 फीसदी तो गोल्डमैन सॉक्स ने महज 6 फीसदी का अनुमान लगाया है. माना जा रहा है कि बजट में सरकार कुछ बड़ा ऐलान करती है तो बाजार में थोड़ी-बहुत रिकवरी आ सकती है. ऐसा न होने पर सेंटिमेंट सुधरने में करीब जुलाई तक का समय लग सकता है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :January 14, 2025, 11:28 ISThomebusiness8 महीने में डूब गए 77 लाख करोड़, हर निवेशक ने गंवाए 4.52 लाख रुपये
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