Last Updated:June 03, 2025, 15:12 ISTशेयर बाजार में 550 अंकों की गिरावट, निफ्टी में 150 अंकों की कमी दर्ज की गई. कोल इंडिया, अपोलो हॉस्पिटल्स, बजाज फाइनेंस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और मारुति सुजुकी के शेयरों में 2% तक की गिरावट आई.पिछले कुछ दिनों से अस्थिर नजर आ रहा शेयर बाजार मंगलवार को 550 अंकों से लुढ़क गया और निफ्टी में भी लगभग 150 अंकों की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि एक समय यह गिरावट और अधिक थी, मगर बाजार कुछ संभलकर ऊपर आया. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाले शेयरों में कोल इंडिया, अपोलो हॉस्पिटल्स, बजाज फाइनेंस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और मारुति सुजुकी जैसे बड़े नाम शामिल थे. इन शेयरों में 2 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई. इस गिरावट के पीछे 1-2 नहीं, बल्कि पूरे 10 कारण हैं. चलिए जानते हैं-
सबसे पहली वजह यह रही कि विदेशी निवेशक लगातार भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाल रहे हैं. सोमवार को ही उन्होंने करीब 2,589 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ गया. दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं. ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.57 प्रतिशत बढ़कर 65 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है. भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत से ज्यादा तेल बाहर से खरीदता है, इसलिए तेल की बढ़ती कीमतें देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं.
तीसरी बड़ी चिंता दुनिया भर में चल रही राजनीतिक तनातनी है. यूक्रेन और रूस के बीच फिर से तनाव बढ़ रहा है और ईरान भी अमेरिका के परमाणु समझौते से पीछे हटने की ओर बढ़ रहा है. इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर विवाद फिर से जोर पकड़ रहा है. अमेरिका अपने स्टील और एल्युमिनियम पर लगने वाले टैक्स को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना बना रहा है, जिससे दुनिया भर में व्यापारिक अस्थिरता और बढ़ सकती है.
इस समय अमेरिकी शेयर बाजार भी दबाव में हैं. वहां के निवेशक भी इस सप्ताह आने वाले बड़े आर्थिक आंकड़ों और बैंकों की नीतियों को लेकर सतर्क हैं. अमेरिकी रोजगार के आंकड़े, यूरोपियन सेंट्रल बैंक की ब्याज दरों में संभावित कटौती और अमेरिकी महंगाई से जुड़ी खबरें निवेशकों के फैसलों को प्रभावित करेंगी.
RBI की पॉलिसी और इकॉनमिक ग्रोथ
भारत में भी निवेशकों की नजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (RBI MPC) की बैठक पर है, जिसका नतीजा 6 जून को आने वाला है. माना जा रहा है कि ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन महंगाई और बाजार में पैसे की उपलब्धता को लेकर बैंक का रुख महत्वपूर्ण होगा. इसी बीच डॉलर के मुकाबले रुपया भी कमजोर हुआ है, जो 10 पैसे टूटकर 85.49 तक पहुंच गया. यह गिरावट भी विदेशी निवेशकों की बिकवाली और तेल की महंगी कीमतों के चलते है.
इसके साथ ही, ओईसीडी (OECD) ने भारत की भविष्य की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटा दिया है. उनका मानना है कि भारत में ब्याज दरों में कटौती अब धीरे-धीरे रुक जाएगी और अगले कुछ वर्षों में विकास दर 6.3 से 6.4 प्रतिशत के बीच रहेगी. इसके पीछे कारण है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार भी धीमी पड़ रही है- खासकर अमेरिका में.
नीचे पॉइन्ट-वाइज़ गिरावट के कारण बताए गए हैं-
विदेशी निवेशकों की बिकवाली- विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय बाजार से सोमवार को ही ₹2,589 करोड़ के शेयर बेच दिए, जिससे बाजार पर दबाव बढ़ा.
कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी- ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.57% बढ़कर 65 डॉलर प्रति बैरल हो गई. भारत अपनी जरूरत का 85% से ज्यादा तेल आयात करता है, इसलिए महंगा तेल देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है.
यूक्रेन और ईरान से जुड़ा भू-राजनीतिक तनाव- यूक्रेन ने रूस पर ड्रोन हमले जारी रखने की चेतावनी दी है, वहीं ईरान अमेरिका के परमाणु प्रस्तावों को नकारने की स्थिति में है. इससे वैश्विक तनाव और बढ़ा है.
अमेरिका-चीन व्यापार विवाद- अमेरिका ने चीन पर पुराने समझौतों को तोड़ने का आरोप लगाया और स्टील-एल्यूमिनियम पर शुल्क बढ़ाकर 50% करने की योजना बनाई है, जिससे वैश्विक व्यापार में अस्थिरता बढ़ी.
कमजोर वैश्विक संकेत- अमेरिका के वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स लाल निशान में ट्रेड कर रहे थे, जिससे निवेशकों में डर और सतर्कता का माहौल रहा.
अमेरिका के नौकरियों के आंकड़ों पर नजर- इस सप्ताह अमेरिका के रोजगार आंकड़े आने हैं. अगर आंकड़े उम्मीद से ज्यादा या कम हुए, तो वैश्विक बाजारों पर असर पड़ेगा.
RBI की मौद्रिक नीति बैठक का इंतजार- भारतीय रिजर्व बैंक की तीन दिवसीय बैठक शुरू हो चुकी है और 6 जून को इसका नतीजा आएगा. निवेशक बैंक की टिप्पणी पर नजर बनाए हुए हैं.
रुपये में कमजोरी- डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे कमजोर होकर 85.49 पर आ गया है. यह गिरावट कच्चे तेल की कीमत और विदेशी फंड आउटफ्लो की वजह से है.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के संकेत- अमेरिका के निर्माण और सेवाओं के आंकड़ों का इंतजार है, जो वहां की अर्थव्यवस्था की ताकत को दर्शाएंगे और फेडरल रिजर्व की अगली चाल को प्रभावित करेंगे.
OECD की भारत को लेकर चेतावनी- OECD ने भारत की भविष्य की विकास दर को घटा दिया है. साथ ही यह अनुमान लगाया है कि RBI अब सीमित ही ब्याज दर में कटौती करेगा, जिससे आर्थिक गति धीमी पड़ सकती है.
Malkhan Singhमलखान सिंह पिछले 16 वर्षों से ख़बरों और कॉन्टेंट की दुनिया में सक्रिय हैं. प्रिंट मीडिया से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई नामी संस्थानों का नाम प्रोफाइल में जुड़ा है. ढाई साल से News18Hindi के साथ काम कर …और पढ़ेंमलखान सिंह पिछले 16 वर्षों से ख़बरों और कॉन्टेंट की दुनिया में सक्रिय हैं. प्रिंट मीडिया से लेकर डिजिटल मीडिया तक के सफर में कई नामी संस्थानों का नाम प्रोफाइल में जुड़ा है. ढाई साल से News18Hindi के साथ काम कर … और पढ़ेंभारत पाकिस्तान की ताज़ा खबरें OXBIG NEWS NETWORK India पर देखेंLocation :New Delhi,New Delhi,Delhihomebusinessशेयर मार्केट: सेंसेक्स-निफ्टी में गिरावट के 1-2 नहीं, बल्कि हैं पूरे 10 कारण
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