Last Updated:May 26, 2025, 13:01 ISTNSE IPO : एनएसई आईपीओ को लेकर सेबी और एनएसई के बीच को-लोकेशन विवाद सुलझाने की अंतिम दौर की बातचीत चल रही है. एनएसई ने लंबित मामलों को निपटाने की इच्छा जताई है. एनएसई ने सेबी को पत्र लिखकर सभी लंबित मामलों को सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाने की इच्छा जाहिर की थी. हाइलाइट्सएनएसई आईपीओ पर सेबी और एनएसई के बीच अंतिम दौर की बातचीत शुरू.एनएसई ने लंबित मामलों को निपटाने की इच्छा जताई है.समझौते के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी आवश्यक है.नई दिल्ली. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बहुप्रतीक्षित आईपीओ को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. वर्षों से अटका पड़े इस इश्यू के बाजार में दस्तक देने की उम्मीद जगी है. पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) और एनएसई के बीच लंबे समय से चल रहे को-लोकेशन विवाद के कारण एनएसई आईपीओ लॉन्च नहीं हो पाया है. अब इस विवाद को सुलझाने के लिए अंतिम दौर की बातचीत शुरू हो चुकी है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सेबी और एनएसई के बीच इस विवाद को ‘कंसेंट सेटलमेंट’ यानी आपसी सहमति के जरिये सुलझाने की प्रक्रिया पिछले डेढ़ महीने से चल रही है.
बता दें कि अप्रैल 2019 में सेबी ने एनएसई को ₹625 करोड़ की राशि 12 प्रतिशत सालाना ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था. लेकिन 2023 में SAT ने यह कहते हुए इसे आंशिक रूप से खारिज कर दिया था कि एनएसई ने कोई धोखाधड़ी नहीं की और न ही सेबी के फ्रॉड और अनफेयर ट्रेडिंग नियमों का उल्लंघन किया. सेबी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जो अभी लंबित है.
कहां अटका है मामला
जानकारों का कहना है कि सेबी इस बार एनएसई से भारी भरकम सेटलमेंट अमाउंट की मांग कर सकता है. माना जा रहा है कि यह रकम एनएसई द्वारा 2023 में ट्रेडिंग एक्सेस प्वाइंट (TAP) केस में अदा किए गए ₹643 करोड़ से लगभग दोगुनी हो सकती है. हालांकि, SAT से राहत मिलने के चलते एनएसई इतनी बड़ी रकम पर सहमत न हो और दोनों पक्षों के बीच सख्त मोलभाव की संभावना है.
सेबी के सेटलमेंट नियमों के मुताबिक, कोई भी संस्था आरोपों को माने बिना या खंडन किए बिना जुर्माना अदा कर सकती है. सेटलमेंट अमाउंट तय करने के लिए सेबी अलग-अलग मानदंड अपनाता है, जैसे कि उल्लंघन की गंभीरता, पहले की गैर-अनुपालन की घटनाएं, और कानूनी खर्च व संभावित अवैध लाभ की वापसी.
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एनएसई ने जताई थी मामला सुलझाने की इच्छा
एनएसई ने 28 मार्च 2024 को सेबी को पत्र लिखकर सभी लंबित मामलों को सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाने की इच्छा जाहिर की थी. इससे पहले 27 अगस्त 2023 को भी एनएसई ने सेबी को पत्र लिखकर सभी मामलों के एक साथ समाधान की अपील की थी. एक्सचेंज ने इसके लिए सेबी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) भी मांगा है.
हालांकि, इस समझौते को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिलना अनिवार्य है. अगर सेबी और एनएसई आपसी सहमति पर पहुंचते हैं, तो उस प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट में रखा जाएगा. मंजूरी मिलने के बाद यह प्रक्रिया 3 से 4 महीने में पूरी हो सकती है.
लंबी है सेटलमेंट प्रक्रिया
सेबी की सेटलमेंट प्रक्रिया में कई स्तरों पर अनुमोदन शामिल होता है. पहले एक आंतरिक समिति आवेदन की समीक्षा करती है, फिर मामला हाई पावर्ड एडवाइजरी कमेटी (HPAC) को भेजा जाता है, जिसमें रिटायर्ड जज, पूर्व सेबी अधिकारी और अन्य विशेषज्ञ शामिल होते हैं. इसके बाद पूर्णकालिक सदस्यों की समिति अंतिम निर्णय लेती है. मंजूरी के बाद एनएसई को भुगतान करना होगा, जिससे मामला बंद माना जाएगा.
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