शेयर बाजार पर गुरु ज्ञान देने वाली कंपनियों ने बंद कर दी अपनी दुकान!

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Last Updated:January 22, 2025, 15:51 ISTSebi New guideline : शेयर बाजार नियामक सेबी ने रिसर्च एनालिस्‍ट को लेकर सख्‍त गाइडलाइन जारी की थी, जिसके बाद कई कंपनियों ने अपनी दुकान बंद करने का फैसला किया है. आखिर यह गाइडलाइन क्‍या थी और इसका इतना असर क्‍यो…और पढ़ेंबाजार नियामक सेबी ने रिसर्च एनालिस्‍ट कंपनियों पर शिकंजा कस दिया है. नई दिल्‍ली. बाजार नियामक सेबी के नए दिशानिर्देशों के कारण कई इक्विटी रिसर्च फर्म्स ने अपने कारोबार बंद करने की घोषणा की है. इन दिशानिर्देशों के तहत बढ़ी हुई अनुपालन और संचालन आवश्यकताओं के चलते यह कदम उठाया गया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 8 जनवरी को रिसर्च एनालिस्ट्स के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे. इसका उद्देश्य शेयर बाजार में धोखाधड़ी वाली सिफारिशों और अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना है.

बाजार नियामक सेबी की ओर से जारी नए दिशानिर्देशों के तहत रिसर्च फर्म्स को कड़े उपायों का पालन करना होगा. इसमें ग्राहक बातचीत का रिकॉर्ड रखना, अनुपालन ऑडिट करना और ‘नो-योर-कस्टमर’ (KYC) प्रक्रियाओं का पालन करना शामिल है. इन आवश्यकताओं के कारण छोटे संस्थानों के लिए संचालन लागत में वृद्धि हो गई है. यही कारण है कि शेयर बाजार से जुड़ी कई रिसर्च फर्म बंद हो रही हैं.

किन कंपनियों पर लगा ताजासेबी के न‍िर्देशों के बाद कुछ कंपनियों जैसे सेंटिनल रिसर्च, स्टालवर्ट एडवाइजर्स और मिस्टिक वेल्थ ने अपने रिसर्च सेवाओं को बंद करने की घोषणा की है. इन कंपनियों ने कहा है कि उन्हें महत्वपूर्ण संचालन और अनुपालन बोझ का सामना करना पड़ रहा है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि नए दिशानिर्देशों ने व्यक्तियों के लिए आरए (रिसर्च एनालिस्ट) के रूप में पंजीकरण करने की सीमा को काफी हद तक कम कर दिया है, जिससे नए लोगों के लिए इस पेशे में प्रवेश करना आसान हो गया है. दूसरी ओर, स्थापित आरए के लिए इन दिशानिर्देशों ने अनुपालन और संचालन की जरूरतों को और बढ़ा दिया है.

नए नियम काफी सख्‍तबंद की गई रिसर्च एनालिस्‍ट का कहना है कि सेबी के नए नियम बहुत सख्त हैं और इससे बाजार में शोध की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के संस्थापक संदीप पारेख ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट X पर पोस्ट किया कि सेबी अपने नियमों में बहुत ज्यादा सख्ती कर रहा है और इससे योग्य और ईमानदार सलाहकार और शोधकर्ता बाजार से बाहर हो सकते हैं. सेंटिनल रिसर्च के संचालक नीरज मराठे ने कहा कि अगर यह इसी रास्ते पर चलता रहा, तो बाजार में केवल अयोग्य और बेईमान सलाहकार ही बचेंगे.

क्‍या-क्‍या हुए हैं बदलावजिन रिसर्च कंपनियों ने अपना धंधा बंद किया है, उनका कहना है कि इसके पीछे बढ़ी हुई संचालन और अनुपालन आवश्यकताएं ही वजह हैं. इसमें वह नियम भी शामिल है जो सब्सक्रिप्शन शुल्क को तिमाही भुगतान मॉडल तक सीमित करता है. नया नियम कहता है कि एक शोध सब्सक्रिप्शन एक समय में एक तिमाही से अधिक शुल्क स्वीकार नहीं कर सकता.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :January 22, 2025, 15:51 ISThomebusinessशेयर बाजार पर गुरु ज्ञान देने वाली कंपनियों ने बंद कर दी अपनी दुकान!

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