नई दिल्ली. संकट से घिरे IndusInd Bank को तिमाही नतीजों में अब तक सबसे तगड़ा झटका लगा है. बीते वित्त वर्ष की मार्च तिमाही में बैंक को ₹2,329 करोड़ का घाटा हुआ है, जो इसके इतिहास में सबसे खराब तिमाही प्रदर्शन है. हिंदुजा समूह द्वारा प्रमोटेड इस बैंक ने एक गहरी जांच के बाद यह घाटा दिखाया है, जिसमें गलत अकाउंटिंग प्रैक्टिस, फ्रॉड और एनपीए की असल स्थिति उजागर की गई है. मार्च की शुरुआत में बैंक ने डेरिवेटिव डील्स की गलत रिपोर्टिंग से नेटवर्थ पर असर की बात कही थी. इसके बाद से बैंक में हलचल मच गई. CEO सुमंत कथपालिया और डिप्टी CEO अरुण खुराना ने तुरंत इस्तीफा दे दिया. इन दोनों पर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप भी लगे हैं. इसके बाद बैंक ने ऑडिट के जरिए सभी अनियमितताओं को सामने लाकर उन्हें ठीक करने का दावा किया है.
बैंक को सबसे बड़ी चोट माइक्रोफाइनेंस पोर्टफोलियो से लगी है, जहां ₹1,800 करोड़ के लोन को पहले सही बताया गया था, लेकिन अब इसे NPA घोषित किया गया. इसके अलावा टू-व्हीलर लोन से भी काफी दबाव आया है. तिमाही के दौरान कुल स्लिपेज ₹5,014 करोड़ तक पहुंच गया, जबकि पिछली तिमाही में ये आंकड़ा काफी कम था. साथ ही बैंक को ₹1,816 करोड़ की वसूली नहीं हो सकी, जो पिछली तिमाही के ₹984 करोड़ से लगभग दोगुनी है. मार्च तिमाही में बैंक ने ₹1,960 करोड़ का घाटा सिर्फ गलत डेरिवेटिव ट्रेड्स की रिपोर्टिंग से उठाया, जबकि ₹674 करोड़ ब्याज इनकम को रिवर्स किया गया, जो पहले गलत तरीके से दिखाया गया था. माइक्रोफाइनेंस यूनिट में ₹172 करोड़ की धोखाधड़ी सामने आई, जिसे फीस इनकम दिखाया गया था. इसके अलावा ₹595 करोड़ की मैनुअल एंट्रियों को भी हटाया गया, जो ‘अन्य परिसंपत्तियों’ और ‘अन्य देनदारियों’ में थीं.
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कहां कितना नुकसान?
कोर नेट इंटरेस्ट इनकम सालाना आधार पर 43% घटकर ₹3,048 करोड़ रह गया, वहीं नेट इंटरेस्ट मार्जिन घटकर 2.25% हो गया. बैंक का कॉरपोरेट लोन बुक भी 16% घटकर ₹1.43 लाख करोड़ रह गया है, जिसे मैनेजमेंट ने एक रणनीतिक फैसला बताया है. आगे चलकर बैंक का फोकस सिक्योर्ड कंज्यूमर और स्मॉल बिजनेस लोन पर रहेगा. हालांकि FY26 में माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में स्लिपेज अब भी ऊंचा रह सकता है, लेकिन साल की दूसरी छमाही में स्थिरता आने की उम्मीद है. बैंक का लिक्विडिटी कवरेज रेशियो अभी 139% है और जमा राशि में गिरावट नहीं हुई है, हालांकि करंट और सेविंग्स अकाउंट (CASA) का हिस्सा घटकर 33% रह गया है. पूरे FY25 में बैंक का नेट प्रॉफिट 71% गिरकर ₹2,576 करोड़ रह गया, जो FY24 में ₹8,977 करोड़ था. नेट इंटरेस्ट इनकम ₹19,031 करोड़ रही, जबकि पिछले साल ये ₹20,616 करोड़ थी. प्रोविज़न FY25 में दोगुना बढ़कर ₹7,136 करोड़ हो गया. बावजूद इसके, बैंक ने भरोसा जताया है कि उसकी पूंजी स्थिति मज़बूत है—कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो 16.24% और कोर कैपिटल 15.10% है. बुधवार को IndusInd Bank का शेयर 1.39% गिरकर ₹771.10 पर बंद हुआ, जबकि BSE इंडेक्स में 0.51% की बढ़त दर्ज की गई.
गड़बड़ियों की जानकारी नहीं थी
अब बैंक की कमान सीनियर बैंकर सुनील मेहता ने नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के रूप में संभाली है. उन्होंने भरोसा दिलाया है कि सभी खामियों को चिन्हित कर लिया गया है और FY26 की शुरुआत एकदम साफ होगी. बोर्ड ने कहा है कि पहले इन गड़बड़ियों की जानकारी नहीं थी, लेकिन अब जवाबदेही तय की जाएगी और सरकार को भी सभी मुद्दों की सूचना दी गई है. बैंक के अनुसार, यदि इन सभी एकमुश्त नुकसानों को छोड़ दिया जाए, तो बाकी बिजनेस मजबूत बना हुआ है. हालांकि, ग्रॉस NPA रेशियो 3.13% तक पहुंच गया है, जो पिछली तिमाही में 2.25% और एक साल पहले 1.92% था. कुल प्रोविज़न ₹2,522 करोड़ तक बढ़ गया है, जो साल भर पहले ₹950 करोड़ था.
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