30 साल में दूसरी बार यूं पिटा है भारत का शेयर बाजार, क्यों इतने खराब हैं हालात

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Last Updated:February 25, 2025, 12:55 ISTNifty Decline 2025 : भारतीय शेयर बाजार में मंदी जारी है. निफ्टी 50 ने अक्टूबर 2024 से 12.6% की गिरावट दर्ज की है. डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और चीन के बाजार की बढ़त ने भारतीय बाजार को प्रभावित किया है.साल 2025 की शुरुआत से अब तक एफआईआई ने ₹1.3 ट्रिलियन के शेयर बेच डाले हैं.हाइलाइट्सनिफ्टी 50 में अक्टूबर 2024 से 12.6% की गिरावट दर्ज हुई.ट्रंप की नीतियों और चीन की बढ़त से भारतीय बाजार प्रभावित.एफआईआई ने 2025 की शुरुआत से ₹1.3 ट्रिलियन के शेयर बेचे.नई दिल्‍ली. भारतीय शेयर बाजार में मंदी की आंधी चल रही है. Nifty 50 अपनी 30 साल की दूसरी सबसे बड़ी मासिक गिरावट दर्ज करने के कगार पर है. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का यह बेंचमार्क इंडेक्स जुलाई 1990 में लॉन्च हुआ था और तब से अब तक केवल दो बार ऐसा हुआ है जब निफ्टी 50 लगातार पांच या उससे अधिक महीनों तक गिरावट में रहा है. मौजूदा गिरावट अक्टूबर 2024 से शुरू हुई थी  और अब भी जारी है. फरवरी 2025 में अब तक निफ्टी 4% तक लुढ़क चुका है. पिछले पांच महीनों में निफ्टी ने 12.6% की गिरावट दर्ज की है. डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां, अमेरिकी फेडरल रिजर्व का सख्‍त रुख, अनिश्चित वैश्विक हालात और चीन के बाजार की बढत ने भारतीय शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया है. साल 2025 की शुरुआत से अब तक एफआईआई  ने ₹1.3 ट्रिलियन के शेयर बेच डाले हैं, जो इस अवधि का सबसे बड़ा सेल-ऑफ है.

डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियां, अमेरिकी फेडरल रिजर्व का सख्‍त रुख, अनिश्चित वैश्विक हालात और चीन के बाजार की बढत ने भारतीय शेयर बाजार को हिलाकर रख दिया है. साल 2025 की शुरुआत से अब तक एफआईआई  ने ₹1.3 ट्रिलियन के शेयर बेच डाले हैं, जो इस अवधि का सबसे बड़ा सेल-ऑफ है. ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीतियों ने उभरते बाजारों से निवेशकों को बाहर निकलने को मजबूर किया, जिससे भारतीय शेयर बाजार को भारी झटका लगा. चीन के बाजार की जबरदस्त वापसी ने गिरावट के इस दर्द को और बढ़ा दिया है  और ‘सेल इंडिया, बाय चाइना’ का ट्रेंड तेज हो गया है. आंकड़े भी इसकी पुष्टि  कर रहे हैं. अक्टूबर 2024 से अब तक भारत का बाज़ार पूंजीकरण 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक घट चुका है, जबकि चीन ने 2 ट्रिलियन डॉलर जोड़े हैं. पिछले एक महीने में हैंग सेंग इंडेक्स 16% उछल चुका है, जबकि निफ्टी 2% से अधिक गिर चुका है.

इसलिए डरा रही है यह गिरावटहालांकि निफ्टी अब तक 13% तक गिर चुका है, लेकिन अगर ऐतिहासिक आंकड़ों को देखें तो औसत गिरावट इससे कहीं ज्यादा रही है. पिछले 30 सालों में पांच बार निफ्टी लगातार चार या अधिक महीनों की गिरावट में रहा है. इन मामलों में औसतन 26.8% की गिरावट दर्ज की गई है. सबसे बड़ी गिरावट सितंबर 1994 से अप्रैल 1995 तक दर्ज हुई थी, जब निफ्टी 31.4% लुढ़क गया था. 1996 में भी 5 महीने तक गिरावट के दौरान 26% की गिरावट दर्ज हुई थी. यानी, इतिहास गवाह है कि हर बार जब निफ्टी इस तरह गिरा है तो नुकसान 21.8% से अधिक रहा है. इसका मतलब यह है कि निफ्टी अभी और भी गिर सकता है.

भारतीय शेयर बाजार पर दबाव क्यों?BofA सिक्योरिटीज के हालिया ग्लोबल फंड मैनेजर सर्वे के अनुसार, निवेशकों को 2025 में EuroStoxx, Nasdaq और Hang Seng में जबरदस्‍त तेजी की उम्‍मीद है. विदेशी निवेशकों का चीन में निवेश आवंटन फिर से बढ़ा है, जबकि भारतीय शेयरों में आवंटन दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस महीने की शुरुआत में जेफरीज के विश्लेषक क्रिस वुड ने वैश्विक निवेशकों को यूरोप और चीन में निवेश बढ़ाने की बात कही थी. इस बढ़ोतरी के लिए कोरिया, भारत और फिलीपींस के निवेश भार को कम किया जाएगा.

चीन के बाजार में पुनरुत्थान का मुख्य कारण आर्थिक प्रोत्साहन, नियामक ढील, और निवेशकों के अनुकूल नीतियां हैं. ब्याज दरों में कटौती, रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए समर्थन और तरलता बढ़ाने जैसे उपायों से निवेशकों का भरोसा फिर से बहाल हुआ है, जिससे चीनी शेयर भारतीय शेयरों की तुलना में अधिक आकर्षक हो गए हैं. हांगकांग में सूचीबद्ध शीर्ष 30 टेक कंपनियों को ट्रैक करने वाला हैंग सेंग टेक इंडेक्स पिछले हफ्ते तीन साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. निवेशक यह अनुमान लगा रहे हैं कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अलीबाबा के संस्थापक जैक मा सहित शीर्ष बिजनेस लीडर्स से मुलाकात से चीन की नीतियों में नरमी का संकेत मिल सकता है, जिससे बाजार को और बल मिल रहा है.

क्या भारत की स्थिति सुधरेगी?भारतीय शेयर बाजार का वैल्‍यूएशन महंगा है. भारत का प्रीमियम मूल्यांकन इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे अन्य उभरते बाजारों की तुलना में अधिक रहा है. हालांकि, दीर्घकालिक दृष्टि से भारत की विकास गाथा मजबूत बनी हुई है. मजबूत घरेलू मांग, डिजिटल परिवर्तन और बुनियादी ढांचे के विस्तार से कॉर्पोरेट आय में वृद्धि की उम्मीद है. विश्‍लेषकों का मानना है कि अगले 3-6 महीनों में जैसे ही कमाई में सुधार होगा FII  भारत लौट आएंगे.

चीन के बाजार में उछाल भले ही फिलहाल मजबूत दिख रहा हो, लेकिन उसकी दीर्घकालिक आर्थिक चुनौतियां बरकरार हैं. भू-राजनीतिक तनाव, अप्रत्याशित नियामक नीतियां, और वृद्ध होती जनसंख्या चीन की विकास संभावनाओं पर दबाव बनाए हुए हैं. इससे यह सवाल उठता है कि क्या चीनी शेयर बाजार की यह तेजी लंबे समय तक टिक पाएगी?

लॉन्‍ग टर्म निवेश के लिए अब भी भारत आकर्षकमार्केट एक्सपर्ट संदीप सभरवाल का मानना है कि भारत भी जल्द ही वापसी करेगा. उन्‍होंने कहा, “मुझे लगता है कि अधिकांश उभरते बाजारों के लिए FII प्रवाह में सुधार होगा. जब ऐसा होगा तो भारत, जिसका वैश्विक पोर्टफोलियो में 18-20% हिस्सा है—भी इसका लाभ उठाएगा.” सभरवाल ने हालिया गिरावट को निवेशकों के लिए मजबूत बुनियादी कारकों और आकर्षक मूल्यांकन वाले शेयर खरीदने का सुनहरा अवसर बताया. भारत अब भी सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है और वैश्विक व्यापार झटकों के प्रति इसकी मजबूती इसे दीर्घकालिक निवेश के लिए पसंदीदा गंतव्य बना सकती है.

बाजार जानकारों का कहना है की भारत अब भी ठोस विकास दर प्रदान कर रहा है. फंड मैनेजर्स ने भले ही भारतीय शेयर बेचें हों,  लेकिन उन्होंने भारत को पूरी तरह नकारा नहीं है. 2022 से अब तक भारत केंद्रित फंड्स में $130 बिलियन का प्रवाह हुआ है, इसलिए प्रोफिट बुकिंग और एक सामान्य गिरावट अपेक्षित थी. अगर भारत की बुनियादी स्थिति मजबूत रहती है तो विदेशी निवेशक वापस आएंगे और भारतीय शेयर बाजार अपनी खोई हुई स्थिति पुनः प्राप्त करेगा.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :February 25, 2025, 12:55 ISThomebusiness30 साल में दूसरी बार यूं पिटा है भारत का शेयर बाजार, क्यों इतने खराब हैं हालात

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