Last Updated:March 06, 2025, 16:55 ISTशेयर बाजार में भारी गिरावट के बावजूद, अर्थशास्त्री जिम वॉकर का मानना है कि भारत चीन से बेहतर निवेश की जगह है. उन्होंने भारत की स्थिर आर्थिक नीतियों की तारीफ की और कहा कि लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान देना चाहिए. …और पढ़ेंमाना जाता है कि जिम ने 2008 के मार्केट क्रैश की चेतावनी दे दी थी. हाइलाइट्सशेयर बाजार में भारी गिरावट, बीएसई का पूंजीकरण 40 लाख करोड़ घटा.लंबी अवधि के निवेश पर जोर, घबराने की जरूरत नहीं.भारत चीन से बेहतर निवेश की जगह, अर्थव्यवस्था मजबूत.नई दिल्ली. शेयर मार्केट में पिछले महीने जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली. हालात इतने बुरे हुए कि लोगों ने पैनिक सेलिंग स्टार्ट कर दी. बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के बाजार पूंजीकरण 40 लाख करोड़ रुपये घट गया. फरवरी में 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 4,000 अंक से ज्यादा टूट गया. ईटी की खबर के अनुसार, निफ्टी 50 ने अपनी शुरुआत के बाद से अब तक की सबसे लंबी गिरावट दर्ज की. इस माहौल में निवेशकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि आगे क्या करना चाहिए और बाजार की स्थिति कब सुधरेगी.
हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाजार में उतार-चढ़ाव आम बात है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है. लंबी अवधि के निवेश पर फोकस करना बेहतर रहेगा और जल्दबाजी में शेयर बेचने के बजाय अच्छी कंपनियों में बने रहना समझदारी होगी. बाजार सुधार के संकेत आने में समय लग सकता है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है.
ये भी पढे़ं- विदेशी निवेशकों ने बहुत बेचा, लेकिन सबसे बड़े FII को भारत में कितना भरोसा? CEO ने कही बड़ी बात
अर्थशास्त्री जिम वॉकर का मानना है- भारत चीन से बेहतर निवेश की जगह है. उन्होंने भारत की स्थिर आर्थिक नीतियों की तारीफ की और कहा कि सरकार उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है. आने वाले समय में कॉर्पोरेट कंपनियों की ग्रोथ अच्छी रहने की उम्मीद है, जिससे निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है. कुछ लोग इस गिरावट की तुलना 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से कर रहे हैं. लेकिन जिम वॉकर की राय इससे अलग है. उनका कहना है कि 2008 का संकट आने से पहले ही उसके संकेत दिखने लगे थे. ऐसा माना जाता है कि जिम वॉकर ने 2008 के मार्केट क्रैश से पहले ही इसकी चेतावनी दे दी थी.
क्या कहा वॉकर ने?वॉकर ने ईटी के साथ बातचीत में कहा, “2006-07 में आर्थिक संकट के संकेत साफ दिखाई दे रहे थे, जब हमने संपत्ति क्षेत्र में अधिक निवेश के कारण बड़ी गिरावट की भविष्यवाणी की थी. लेकिन इस बार स्थिति वैसी नहीं है.” उन्होंने बताया कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से पहले जिस तरह के खतरे उभर रहे थे, वैसे संकेत अब नहीं दिख रहे हैं. इस बार न तो हाउसिंग सेक्टर में ज्यादा जोखिम है और न ही वित्तीय क्षेत्र में कोई बड़ी समस्या है, जो बैंकिंग संकट को जन्म दे सके. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में शेयर बाजार का मूल्यांकन और एसेट प्राइस इंफ्लेशन ऊंचा हो सकता है, लेकिन यह वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा नहीं है. उन्होंने कहा, “हम 2008 जैसी कॉरपोरेट विफलताएं नहीं देख रहे हैं, जिससे बैंकों पर दबाव पड़े. ऐसी कोई आशंका नजर नहीं आ रही है.”
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 06, 2025, 16:55 ISThomebusinessचीन से बढ़िया भारत पर दांव, गिरते बाजार में भी इंडिया का सपोर्ट कर रहा ये शख्स
stock market, share market, market update, trading news, trade news, nifty update,bank nifty, oxbig news, oxbig news network, hindi news, hindi news, business news, oxbig hindi news
English News