Last Updated:July 03, 2025, 19:43 ISTNSE भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, जिसकी कमाई का मुख्य ज़रिया ट्रेडिंग फीस है. लिस्टिंग, डेटा सेवाएं और टेक्नोलॉजी से भी यह मोटी कमाई करता है. खर्चों के बावजूद NSE का मुनाफा मार्जिन मजबूत है और इसके IPO क…और पढ़ेंएनएसई भारत के 2 प्रमुख एक्सचेंजों में से एक है.हाइलाइट्सNSE की कुल कमाई का 60-65% हिस्सा ट्रेडिंग फीस से आता है.लिस्टिंग, डेटा सर्विस और टेक प्लेटफॉर्म से भी होती है ₹1,500 करोड़+ की कमाई.सालाना ₹2,500 करोड़ से ज्यादा खर्च होता है IT और कर्मचारियों पर.
नई दिल्ली. भारत में 2 प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं. बीसएई और एनएसई. इनमें से बीएसई पहले ही एक लिस्टेड कंपनी है. यानी उसके स्टॉक्स की खरीद-बिक्री शेयर बाजार में होती है. इस खरीद-बिक्री को ये एक्सचेंज खुद ही प्रोसेस करते हैं. क्योंकि स्टॉक एक्सचेंज का काम यही होता है. यहीं से इनकी कमाई होती है. जो भी नई कंपनी शेयर बाजार में अपने स्टॉक्स लाना चाहेगी वो इन्हीं 2 एक्सचेंज पर लिस्ट होगी. बीएसई के बाद अब एनएसई, जो खुद एक एक्सचेंज है, लिस्ट होने की तैयारी में है.
अगर आपके मन में सवाल है कि एनएसई की कमाई का जरिया क्या है, ताकि आप इसमें निवेश करने पर कोई फैसला कर सकें तो आप सही जगह हैं. हम आपको बताएंगे कि आखिर किन-किन माध्यमों से एक स्टॉक एक्सचेंज की कमाई होती है.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
1994 में लॉन्च हुआ NSE आज भारत में इक्विटी टर्नओवर के लिहाज से टॉप एक्सचेंज बना हुआ है. लेकिन सवाल ये है कि NSE आखिर कमाई करता कैसे है? इसके रेवेन्यू मॉडल में कई स्त्रोत हैं, जो इसे न केवल फायदे में रखते हैं बल्कि भारत की आर्थिक तरक्की में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं.
ट्रेडिंग फीस
NSE की कुल आय का 70-75% हिस्सा ट्रेडिंग से आता है. हर बार जब कोई इनवेस्टर स्टॉक, डेरिवेटिव्स या अन्य फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स की खरीद-बिक्री करता है, NSE दोनों पक्षों से ट्रेडिंग फीस वसूलता है. बीते कुछ वर्षों में डिमैट अकाउंट्स और ट्रेडिंग वॉल्यूम में तेज़ी आई है, जिससे ये इनकम और बढ़ गई है.
लिस्टिंग, डेटा और टेक्नोलॉजी से भी मोटी कमाई
लिस्टिंग चार्जेस: कंपनियां जब NSE पर अपने शेयर लिस्ट करती हैं तो इसके बदले NSE उनसे शुल्क वसूलता है. यह सालाना ₹200-300 करोड़ के बीच रहता है, जो IPO की संख्या पर निर्भर करता है.
मार्केट डेटा सेवाएं: NSE निवेशकों और संस्थानों को रियल-टाइम डेटा और एनालिटिक्स बेचता है, जिससे उसे हर साल ₹500 करोड़ के करीब आमदनी होती है.
टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म्स: NSE अपने ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और IT इंफ्रास्ट्रक्चर की भी सर्विस देता है, जिससे करीब ₹1,000 करोड़ की कमाई होती है. ये सेवाएं खास तौर पर ब्रोकर्स और इंस्टीट्यूशनल क्लाइंट्स के लिए होती हैं.
सब्सिडियरीज और फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स
NSE की सब्सिडियरी कंपनियां क्लियरिंग और सेटलमेंट का काम संभालती हैं. इसके अलावा ETF, म्युचुअल फंड्स और लाइसेंसिंग से ₹300-400 करोड़ की अतिरिक्त कमाई होती है.
खर्चा भी बड़ा है
इतनी बड़ी व्यवस्था को चलाने के लिए NSE को हर साल ₹2,500-3,000 करोड़ IT, टेलीकॉम और कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च करने पड़ते हैं. क्लियरिंग और सेटलमेंट खर्च ट्रेड वॉल्यूम पर निर्भर करता है और यह ₹800-1,000 करोड़ तक हो सकता है.
मजबूत लीडरशिप, शानदार मार्जिन
हालांकि बाजार में BSE जैसा प्रतिद्वंद्वी है, लेकिन NSE की लीडरशिप और वॉल्यूम डोमिनेंस उसे 30-35% का मुनाफा मार्जिन देने में सक्षम बनाता है. हालांकि ये अब तक लिस्टेड नहीं है, लेकिन इसके IPO की तैयारी चल रही है, जिससे यह आम निवेशकों के लिए भी उपलब्ध हो सकता है.
Jai Thakurजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे…और पढ़ेंजय ठाकुर 2018 से खबरों की दुनिया से जुड़े हुए हैं. 2022 से News18Hindi में सीनियर सब एडिटर के तौर पर कार्यरत हैं और बिजनेस टीम का हिस्सा हैं. बिजनेस, विशेषकर शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में रुचि है. इसके अलावा दे… और पढ़ेंLocation :New Delhi,Delhihomebusinessकहां से आता है NSE के पास पैसा, कैसे बनता है मुनाफा, जल्द लिस्ट होगी कंपनी
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