नई दिल्ली. केंद्र सरकार Mazagon Dock Shipbuilders Ltd में अपनी 4.83% हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है. यह बिक्री ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए होगी, जिसकी घोषणा कंपनी ने गुरुवार को स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में की. सरकार शुरुआती तौर पर 2.83% हिस्सेदारी (करीब 57.1 लाख शेयर) बेचेगी और ग्रीन शू ऑप्शन के तहत अतिरिक्त 2% (40.3 लाख शेयर) तक बेचने की संभावना है. यह OFS 4 अप्रैल 2025 को नॉन-रिटेल निवेशकों के लिए खुलेगा, जबकि 7 अप्रैल को रिटेल निवेशक इसमें भाग ले सकेंगे. बिक्री के लिए ₹2,525 प्रति शेयर का फ्लोर प्राइस तय किया गया है, जो हालिया क्लोजिंग प्राइस से कम है.
मुंबई स्थित Mazagon Dock Shipbuilders Ltd को भारत के रक्षा क्षेत्र की आधारशिला माना जाता है. इसे “Ship Builder to the Nation” के नाम से भी जाना जाता है. यह कंपनी रक्षा मंत्रालय के अधीन काम करती है और विध्वंसक (Destroyers), फ्रिगेट्स (Frigates) और कॉर्वेट्स (Corvettes) जैसे युद्धपोतों का निर्माण करती है. यह भारत का एकमात्र शिपयार्ड है जो पारंपरिक स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है.
इसके अलावा, यह कॉमर्शियल जहाजों (कार्गो शिप, टग, ड्रेजर) का उत्पादन भी करता है और शिप रिपेयरिंग सर्विस भी प्रदान करता है. 1960 से अब तक यह 800 से अधिक जहाज डिलीवर कर चुका है, जिनमें 25 बैटलशिप और 3 सबमरीन शामिल हैं. कंपनी का ऑर्डर बुक ₹54,000 करोड़ से अधिक है.
सरकार की हिस्सेदारी बिक्री के पीछे क्या वजह है?वर्तमान में सरकार की हिस्सेदारी 84.83% है, जबकि 15.17% हिस्सेदारी पब्लिक इन्वेस्टर्स के पास है. इस बिक्री के बाद सरकारी हिस्सेदारी घटकर 80% हो सकती है. सरकार इस हिस्सेदारी को बेचकर तीन प्रमुख उद्देश्यों को पूरा करना चाहती है:
डिसइन्वेस्टमेंट लक्ष्य – सरकार सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी बेचकर फंड जुटाना चाहती है.
सेबी के नियमों का पालन – सेबी के अनुसार, किसी भी लिस्टेड कंपनी में पब्लिक शेयरहोल्डिंग कम से कम 25% होनी चाहिए, जिसे हासिल करने के लिए आगे और बिक्री की जरूरत हो सकती है.
उच्च वैल्यूएशन का फायदा उठाना – 2020 के IPO के बाद से कंपनी के शेयरों में 3,000% से ज्यादा की बढ़त हुई है. मौजूदा वैल्यूएशन का फायदा उठाकर सरकार अच्छी कीमत पर हिस्सेदारी बेच सकती है.
रक्षा क्षेत्र में निजी निवेश का बढ़ता दायरायह बिक्री भारत सरकार की PSU में हिस्सेदारी घटाने की व्यापक नीति का हिस्सा है, जहां सरकार रणनीतिक नियंत्रण बनाए रखते हुए निजी निवेश को बढ़ावा देना चाहती है. नौसेना के आधुनिकीकरण और रक्षा निर्यात की बढ़ती संभावनाओं के चलते Mazagon Dock भविष्य में और अधिक निजी निवेश आकर्षित कर सकता है.
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