एफपीआई लौट आए भारत, क्‍या बीत गया शेयर बाजार का बुरा दौर?

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Last Updated:May 04, 2025, 13:29 ISTअप्रैल 2025 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार में 4223 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिससे निफ्टी और सेंसेक्स में तेजी आई. भारत-अमेरिका व्यापार करार की उम्मीद से एफपीआई का भरोसा बढ़ा.पिछले महीने एफपीआई भारतीय शेयरों के शुद्ध लिवाल रहे. हाइलाइट्सएफपीआई ने अप्रैल 2025 में 4223 करोड़ रुपये का निवेश किया.निफ्टी 1.28% और सेंसेक्स 1.70% की तेजी के साथ बंद हुए.भारत-अमेरिका व्यापार करार की उम्मीद से एफपीआई का भरोसा बढ़ा.नई दिल्‍ली. भारतीय शेयर बाजार के लिए एक अच्‍छी खबर है. पिछले कुछ महीनों से बिकवाल बने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के रुख में बदलाव आया है. कई महीनों तक लगातार भारतीय इक्विटी की बिकवाली करने के बाद पिछले महीने यानी अप्रैल में एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे. अप्रैल 2025 में उन्‍होंने 4223 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीदारी की. इससे पहले मार्च में एफपीआई ने भारतीय शेयरों से 3,973 करोड़ रुपये निकाले थे. फरवरी में उन्होंने 34,574 करोड़ रुपये के और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे. शेयर बाजार में जहां एफपीआई ने निवेश किया, वहीं समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने बॉन्ड से सामान्य सीमा के तहत 13,314 करोड़ रुपये और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 5,649 करोड़ रुपये निकाले.

एफपीआई का भारतीय बाजार में लौटाना एक शुभ संकेत है. 28 अप्रैल से 2 मई तक के कारोबारी सत्र में निफ्टी 1.28 प्रतिशत की तेजी के साथ 24,346 और सेंसेक्स 1.70 प्रतिशत की बढ़त के साथ 80,501 पर बंद हुआ. इस दौरान सेक्टोरल आधार पर ऑयल एंड गैस इंडेक्स का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा और इसमें करीब 4.38 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई. विदेशी निवेशकों के बाजार में पैसा लगाने को इस तेजी की वजह माना जा रहा है.

निकासी घटकर रह गई 1.12 लाख करोड़ रुपयेडिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पूरे अप्रैल माह में शेयरों में 4,223 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है. इस तरह 2025 में एफपीआई की निकासी अब घटकर 1.12 लाख करोड़ रुपये रह गई है. मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि अनुकूल वैश्विक संकेतों और मजबूत घरेलू कारकों से एफपीआई का भारतीय बाजार में भरोसा बढा है.

उन्होंने कहा कि इस रुख की एक बड़ी वजह भारत-अमेरिका के बीच व्यापार करार की उम्मीद है. इसके अलावा अमेरिकी डॉलर में कमजोरी तथा भारतीय रुपये में मजबूती की वजह से भी एफपीआई भारतीय बाजार में निवेश बढ़ा रहे हैं. साथ ही प्रमुख भारतीय कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजों से भी एफपीआई की धारणा में बदलाव आया है. जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आगे चलकर एफपीआई प्रवाह स्थिर रह सकता है. बीते वित्त वर्ष में कंपनियों की आय में मामूली पांच प्रतिशत की वृद्धि एफपीआई के निवेश में बाधा है.

(भाषा और आईएएनएस इनपुट के साथ)
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