विदेशी संस्थागत निवेशक समय-समय पर यह अहसास दिलाने की कोशिश करते रहते हैं कि वे अभी जिंदा हैं. ऐसा ही अहसास 15 अप्रैल 2025 की शाम को तब हुआ, जब यह आंकड़ा पता चला कि विदेशी निवेशकों ने इस दिन 6,065.78 करोड़ रुपये की खरीदारी की है. खास बात यह है कि साल 2025 की यह तीसरी सबसे बड़ी खरीदारी थी. इसी दिन घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1,951.6 करोड़ रुपये का माल निकाला. आमतौर पर ऐसा ही होता है. जब विदेशी निवेशक खरीद रहे होते हैं तो डीआईआई (DIIs) बेच रहे होते हैं और जब विदेशी निवेशक बेचते हैं तो DIIs खरीदार बन जाते हैं.
खरीदारी तो हुई, लेकिन अब सवाल ये है कि यह खरीदारी कितने समय तक बनी रहेगी. क्या 3 बड़ी खरीदारियों को देखकर मान लेना सही है कि विदेशी निवेशक अब भारतीय शेयर बाजार में लौट रहे हैं और आने वाले दिनों में हरियाली देखने को मिलेगी?
शेयर मार्केट से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं कि इस तरह के एकाध इवेंट पर ज्यादा उत्साहित होना ठीक नहीं है. उन्हें लगता है कि आने वाले दिनों में उतार-चढ़ाव अधिक होगा. वे FIIs द्वारा कभी-कभार की गई खरीदारी को शॉर्ट कवरिंग के तौर पर देख रहे हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार में जो उछाल दिख रहा है, वह अमेरिका द्वारा टैरिफ को 90 दिन टालने की वजह से हो सकता है. पूरी दुनिया में ऐसा ही देखा जा रहा है.
अक्टूबर 2024 से ग्लोबल फंड्स ऊंची वैल्यूएशन और वैश्विक विकास चिंताओं का हवाला देते हुए शुद्ध बिकवाल रहे हैं. चीन की प्रोत्साहन योजना और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ की धमकियों ने भी भारतीय इक्विटी को प्रभावित किया है. आंकड़े दिखाते हैं कि अक्टूबर से अब तक वैश्विक फंड्स ने 3.47 ट्रिलियन रुपयों के भारतीय शेयर बेचे हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ जरूरी खनिजों पर टैरिफ लगाने की संभावनाओं की जांच शुरू कर दी है. साथ ही, उन्होंने चीन से बातचीत कर व्यापार तनाव को कम करने की मांग की है. उधर, चीन भी चाहता है कि दोनों देश बात की मेज पर आएं. लेकिन इसी बीच, अमेरिका ने चीन से आने वाले सामानों पर 245% टैक्स भी लगा दिया है.
भारत की स्थिति अन्य देशों से बेहतर रहीजब ट्रंप ने पहली बार टैरिफ लगाने की नीति अपनाई थी, तब भारत की स्थिति बाकी एशियाई देशों की तुलना में बेहतर थी. भारत पर इस फैसले का ज्यादा असर नहीं पड़ा था. भारत की आर्थिक नींव मजबूत थी, भविष्य की ग्रोथ की उम्मीद अच्छी थी और शेयरों के दाम भी कम थे. इसलिए, यह माना गया कि विदेशी निवेशक भारत के शेयर बाजार में फिर से पैसा लगा सकते हैं.
डॉलर इंडेक्स में गिरावट और उसका असरडॉलर इंडेक्स अब 100 के नीचे आ गया है. यह जुलाई 2023 के बाद पहली बार हुआ है. फिलहाल यह 99.5 पर है, जो अप्रैल 2022 के बाद सबसे निचला स्तर है. जनवरी में यह इंडेक्स 110 तक गया था, लेकिन अब तक इसमें 10.6% की गिरावट आ चुकी है. इसका मतलब है कि अमेरिकी मुद्रा कमजोर हो रही है, जिससे निवेशक भारत जैसे उभरते बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. बता दें कि डॉलर इंडेक्स अमेरिकी डॉलर की ताकत को दूसरी बड़ी करेंसीज़ के मुकाबले में मापता है.
भविष्य में क्या रहेगा?मिराए एसेट शेरेखान के सीनियर वाइस-प्रेसिडेंट और कैपिटल मार्केट्स स्ट्रैटेजी हेड गौरव दुआ ने भविष्य की संभावनाओं के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि आगे चलकर विदेशी और घरेलू निवेशक कहां पैसा लगाएंगे, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कहां अच्छा मुनाफा मिलने की संभावना है. अगर उन्हें किसी और देश में बेहतर मौका मिलेगा, तो वे भारत से पैसा निकालकर वहां निवेश करेंगे. इसलिए बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने की उम्मीद है.
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