ये है भारत का सबसे तगड़ा मल्टीबैगर, अब हाथ लगने वाला है और बड़ा सौदा, गूगल से चल रही बातचीत!

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इन दिनों डिक्सन टेक्नोलॉजीज़ (Dixon Technologies Ltd) की डिमांड लगातार बढ़ रही है. कंपनी की डिमांड के साथ-साथ इसके शेयर भी बिना ब्रेक की गाड़ी हो चुके हैं. मल्टीबैगर रिटर्न दे चुके डिक्सन के शेयरों में मंगलवार को 6 फीसदी से अधिक का उछाल आया. इसी के साथ ही कंपनी की मार्केट कैप 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की हो चुकी है. लेकिन पिछले कुछ दिनों में डिक्सन के शेयरों में उछाल क्यों है? उछाल इसलिए है, क्योंकि गूगल की पेरेंट कंपनी ने डिक्सन के साथ टाइअप करने के लिए बातचीत शुरू कर दी है.

दरअसल, एल्फाबेट अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन पिक्सल (Pixel) की प्रोडक्शन यूनिट को वियतनाम से भारत में शिफ्ट करना चाहती है. इसी सिलसिले में दोनों कंपनियों के बीच बातचीत की खबर आने के बाद डिक्सन टेक्नोलॉजीज़ के शेयरों में बढ़िया उछाल देखने को मिला.

बता दें कि भारत में डिक्सन टेक्नोलॉजीज भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एक अहम खिलाड़ी के रूप में उभर रही है और देश को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की महत्वाकांक्षा में योगदान दे रही है. डिक्सन, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज में अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए शाओमी, मोटोरोला और वनप्लस जैसे ब्रांडों के लिए स्मार्टफोन का उत्पादन कर रही है.

कंपनी की योजना 2025 के अंत तक डिस्प्ले मॉड्यूल का उत्पादन शुरू करने की है, ताकि मुनाफे पर दबाव को कम किया जा सके और सप्लाई चेन में अपनी स्थिति को और मजबूत किया जा सके.

मल्टीबैगर रहा है डिक्सन का शेयरडिक्सन के शेयर मंगलवार को लगभग 6 फीसदी उछले. शेयर ने इंट्राडे में 16,828 रुपये का हाई बनाया है. जनवरी 2023 की बात है, जब डिक्सन टेक का शेयर 2,553 रुपये के निचले स्तर पर था. 2019 में यह 312 रुपये पर भी ट्रेड कर रहा था. 2019 से अब तक लगभग 6 साल बीते हैं और शेयर ने 5,000 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया है. हालांकि यह आंकड़ा इसके निम्नतम और उच्चतम प्राइस से बीच का अंतर नहीं है.

डिक्सन टेक्नोलॉजीज़ ने दिसंबर 2024 में 19,149 रुपये का हाई बनाया था. यदि निचले और उच्चतम स्तर के बीच का फासला कैलकुलेट करें तो यह 5,937 फीसदी बनता है. अगर किसी निवेशक ने निचले स्तर पर 1 लाख रुपये का निवेश किया होता तो उच्चतम स्तर पर वही निवेश बढ़कर 60 लाख रुपये से अधिक हो चुका होता. अब भी लगभग 53 लाख रुपये का निवेश दिखा रहा होता, जबकि स्टॉक अपने उच्चतर स्तर से काफी नीचे आ गया है.

अल्फाबेट ने भारत आने का क्यों सोचा?इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला गूगल के विस्तार की योजना का हिस्सा है. गूगल अपने प्रोडक्शन को ज्यादा जगहों पर फैलाना चाहती है. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि अलग-अलग देशों के बीच चल रहे राजनीतिक तनावों से उसके बिजनेस पर खास असर न पड़े. हाल ही में अमेरिका ने वियतनाम से आने वाले सामान पर भारी टैक्स लगाने की बात कही है, जबकि अभी पिक्सल (Pixel) फोन वहीं बन रहे हैं. वियतनाम से सामान लाने पर 46 फीसदी टैक्स लग रहा है, जबकि भारत से लाने पर सिर्फ 26 फीसदी टैक्स देना पड़ रहा है. हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 90 दिन के लिए नए टैक्स लगाने पर रोक लगाई है, लेकिन पहले से लागू 10 फीसदी टैक्स अब भी जारी है.

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