नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार में हमने पिछले 7 महीने से लगातार गिरावट देखी है. मगर अब दिन बहुरने वाले हैं. यह बात हवा-हवाई नहीं है, बल्कि पूरे आंकड़ों के आधार पर कही जा रही है. दरअसल, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने अपने खाली झोलों में दबाकर इंडेक्स फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स भर लिए हैं. DIIs ने भारतीय डेरिवेटिव मार्केट में बड़ी एक्टिविटी दिखाते हुए लॉन्ग पोजिशन्स बढ़ाई हैं. उनकी पोजिशन अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, जो बाजार में एक संभावित बॉटम की तरफ इशारा करती हैं.
बात करें विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की तो उन्होंने 1.09 लाख कॉन्ट्रैक्ट्स में शॉर्ट पोजिशन बनाई है. विदेशी निवेशक अभी भले ही तेजी के मूड में नहीं लग रहे, लेकिन DIIs ने तो मन बना लिया है. वे बाजार को गिरते देखने को मूड में कतई नहीं हैं. DIIs की पोजिशन पर नजर डालें तो बाजार में जल्द ही तेजी आने की उम्मीद है. मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेरिवेटिव एनालिस्टों का कहना है कि अगले हफ्ते केवल 3 दिन ट्रेडिंग होनी है. ऐसे में ये ज्यादा लॉन्ग पोजिशन फंड मैनेजर्स द्वारा अपने कैश होल्डिंग्स को हेज करने की कोशिश हो सकती है. बता दें कि शेयर बाजार में 14 अप्रैल (सोमवार) को डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती और 18 अप्रैल (शुक्रवार) को गुड फ्राइडे की छुट्टी है.
8 अप्रैल 2025 तक, DIIs ने इंडेक्स फ्यूचर्स में 79,153 कॉन्ट्रैक्ट्स की नेट लॉन्ग पोजिशन बनाई है. यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. यह पिछले रिकॉर्ड्स से ज्यादा है. पिछली बार मार्च 2023 में 52,700 कॉन्ट्रैक्ट्स के साथ लॉन्ग पोजिशन बनी थी. उससे पहले 2020 में COVID-19 क्रैश के वक्त 44,035 कॉन्ट्रैक्ट्स, और उससे पहले सितंबर 2019 में 53,996 कॉन्ट्रैक्ट्स की लॉन्ग पोजिशन दिखी थी. सितंबर 2019 में कॉर्पोरेट टैक्स कट किया गया था.
इन सभी मौकों पर, अगले एक महीने में बाजार में खूब तेजी आई थी. पिछले रिकॉर्ड और ताजा आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो DIIs की लॉन्ग पोजिशन बढ़ना बताता है कि बाजार में बॉटम बन गया है और संभवत: यह खरीदारी का मौका हो सकता है.
क्यों बढ़ी DIIs की लॉन्ग पोजिशन?आमतौर पर म्यूचुअल फंड्स सिर्फ आर्बिट्रेज ट्रेड करते हैं, लेकिन कुछ फंड्स के पास अभी ज्यादा कैश है. वे किसी भी संभावित तेजी का लाभ उठाने के लिए डेरिवेटिव्स में लॉन्ग पोजिशन ले रहे हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि अभी किसी भी खबर से बाजार में तेजी आ सकती है या फिर बड़ी गिरावट भी आ सकती है. इसके अलावा, अगले हफ्ते सिर्फ 3 दिन ट्रेडिंग होगी, इसलिए ट्रेडर्स पोजिशन बना रहे हैं.
आर्बिट्रेज ट्रेड का मतलब – जब किसी चीज की कीमत एक बाजार में कम और दूसरे बाजार में ज्यादा हो, तो कोई ट्रेडर उस चीज को सस्ते वाले बाजार से खरीदकर, महंगे वाले बाजार में बेच देता है. इससे उसे बिना किसी रिस्क के निश्चित लाभ मिलता है. इसी प्रक्रिया को आर्बिट्रेज ट्रेडिंग कहा जाता है.
तो एक निवेशक क्या समझे?DIIs का यह लॉन्ग पोजिशन्स तो जरूर बनाई हैं, लेकिन FIIs अभी तक पॉजिटिव संकेत नहीं दे रहे. ऐसे में यह कहना काफी मुश्किल है कि बाजार में बॉटम बन चुका है. लेकिन पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो हर बारा बाजार में तेजी देखी गई है.
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