नई दिल्ली. आज भी डिफेंस शेयरों में खूब तेजी है. शिपबिल्डिंग कंपनियों गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोचीन शिपयार्ड और मझगांव डॉक के स्टॉक्स का जोश कुछ ज्यादा ही हाई है. इन शेयरों में 17% तक की बढ़त देखने को मिली है. इस तेज़ी की बदौलत निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में इंट्राडे में 4% से अधिक की बढ़ोतरी हुई. भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही डिफेंस शेयर तेजी लिए हुए है.
पिछले एक महीने में मझगांव डॉक के शेयरों में 23% की उछाल आई है, जबकि पारस डिफेंस और डेटा पैटर्न्स जैसे रक्षा कंपनियों के शेयरों ने इसी अवधि में 47% तक की छलांग लगाई है. एक्सिस सिक्योरिटीज के अनुसार, रक्षा क्षेत्र में यह तेजी आने वाले बड़े ऑर्डरों की संभावनाओं की वजह से आई है. हाल के भारत-पाक संघर्ष के बाद भारत की सैन्य क्षमताओं और स्वदेशी हथियारों की शक्ति को देखते हुए निवेशकों में विश्वास बढ़ा है, जिससे शेयरों में तेज़ी आई है.
तीन गुना बढ़ सकता है ऑर्डर इनफ्लो
ब्रोकरेज फर्म एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग ने एक नोट में बताया है कि वित्त वर्ष 2027 (FY27) तक सूचीबद्ध डिफेंस शिपयार्ड्स में ऑर्डर इनफ्लो लगभग तीन गुना बढ़ सकता है. यह वृद्धि डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) द्वारा हाल में ₹8.45 लाख करोड़ के ऑर्डर्स की मंजूरी के बाद संभव हो रही है. ब्रोकरेज ने कहा कि कोचीन शिपयार्ड, गार्डन रीच और मझगांव डॉक जैसे तीन प्रमुख शिपयार्ड्स को मजबूत ऑर्डर बुक, स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने वाली नीति और सरकार के समर्थन के चलते आने वाले वर्षों में लगातार अवसर मिलते रहेंगे.
GRSE की तगड़ी कमाई और उम्मीदें
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स (GRSE) ने वित्त वर्ष 2024-25 में ₹527 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 48% अधिक है. वहीं, चौथी तिमाही में कंपनी ने ₹244 करोड़ का लाभ कमाया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में ₹112 करोड़ था. यानी सालाना आधार पर 118% की वृद्धि हुई है. इसके चलते GRSE के शेयर अब तक वर्ष 2025 में 30% और पिछले एक साल में 118% तक चढ़ चुके हैं.
कंपनी ने यह भी बताया कि वह अगले पांच वर्षों में 20-25% की वार्षिक वृद्धि (CAGR) का लक्ष्य रख रही है. वर्तमान में कंपनी के ऑर्डर बुक में केवल 4% हिस्सा निर्यात का है, जिसे अगले चार वर्षों में चार गुना बढ़ाने की योजना है.
युद्धपोत बना रही है कंपनी
GRSE का प्रमुख P-17 Alpha प्रोजेक्ट भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, जिसके तहत भारतीय नौसेना के लिए तीन उन्नत युद्धपोत बनाए जा रहे हैं. यह प्रोजेक्ट अगस्त 2025 तक पूरा होने की संभावना है और इससे वित्त वर्ष 2027 की आय और मार्जिन में बढ़ोतरी होगी.
कोचीन शिपयार्ड ने की नई साझेदारी
कोचीन शिपयार्ड के शेयरों में भी 13% की तेजी दर्ज की गई. कंपनी ने दुबई स्थित ड्राइडॉक्स वर्ल्ड के साथ साझेदारी की है, जिसके तहत भारत में जहाज मरम्मत के क्लस्टर विकसित किए जाएंगे. कंपनी ने कहा, “यह साझेदारी न केवल घरेलू और अंतरराष्ट्रीय जहाजों के लिए एक वर्ल्ड क्लास रिपेयर इकोसिस्टम विकसित करेगी, बल्कि भारत की ऑफशोर निर्माण क्षमताओं को भी मजबूत करेगी और मरीन इंजीनियरिंग ट्रेनिंग व स्किलिंग को बढ़ावा देगी.” इस समझौते के तहत पहले चरण में कोचीन डॉक पर काम शुरू होगा और फिर इसे देशभर में विस्तारित किया जाएगा.
रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक उछाल
मार्च 2025 में डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल ने आठ बड़े प्रस्तावों को मंजूरी दी थी, जिनकी कुल लागत ₹54,000 करोड़ से अधिक है. इनमें T-90 टैंकों के इंजन, वरुणास्त्र टॉरपीडो और एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट सिस्टम शामिल हैं.
‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत भारत का रक्षा उत्पादन तेज़ी से बढ़ा है. वित्त वर्ष 2025 में भारत का रक्षा निर्यात ₹23,622 करोड़ के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 2014 में ₹686 करोड़ था—यानी लगभग 34 गुना वृद्धि. भारत अब बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर एयरक्राफ्ट, चेतक हेलिकॉप्टर, तेज़ रफ्तार इंटरसेप्टर बोट्स और हल्के टॉरपीडो जैसे उत्पादों का निर्यात कर रहा है.
घर में ही बन रहे हैं 65 फीसदी रक्षा उपकरण
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब 65% से अधिक रक्षा उपकरण भारत में ही बनाए जा रहे हैं. निजी क्षेत्र का योगदान कुल रक्षा उत्पादन में 21% है. सरकार ने 2029 तक ₹3 लाख करोड़ के रक्षा उत्पादन का लक्ष्य रखा है और भारत को एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने की योजना है. FY25 में रक्षा मंत्रालय ने ₹2 लाख करोड़ से अधिक के 193 रक्षा अनुबंधों को मंजूरी दी, जिनमें से 92% यानी ₹1.69 लाख करोड़ के अनुबंध घरेलू उद्योग को दिए गए.
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