Last Updated:March 19, 2025, 15:16 ISTशेयर बाजार में पिछले 2 दिनों से तेजी देखी जा रही है, सेंसेक्स 220 अंक बढ़कर 75,521 पर ट्रेड कर रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि निवेशकों को जल्दबाजी से बचना चाहिए और शुरुआती रुझानों के आधार पर बहुत ज्यादा उम्म…और पढ़ेंआशी आनंद ने अभी पैसा लगाने से पहले सावधानी बरतने की सलाह दी है.हाइलाइट्सशेयर बाजार में पिछले 2 दिनों से तेजी देखी जा रही है.सेंसेक्स 220 अंक बढ़कर 75,521 पर ट्रेड कर रहा है.एक्सपर्ट्स ने निवेशकों को जल्दबाजी से बचने की सलाह दी.नई दिल्ली. शेयर मार्केट पिछले 2 दिन से अच्छे रंग में दिख रहा है. खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स 220 अंक बढ़कर 75,521 पर ट्रेड कर रहा है. मंगलवार को सेंसेक्स 1130 पॉइंट चढ़कर बंद हुआ था. तो क्या अब मान लिया जाए कि बाजार में गिरावट का दौर खत्म हो चुका है और सेंसेक्स ने 1 लाख अंकों की ओर छलांग लगा दी है. इस पर एक्सपर्ट्स की राय अलग-अलग है. कुछ का मानना है कि बाजार में अब तेजी आएगी तो वहीं कुछ लोग जल्दबाजी करने के विरोध में दिख रहे हैं. IME कैपिटल के फाउंडर और सीईओ आशी आनंद इन्हीं में से एक हैं.
उनका कहना है कि निवेशकों को शुरुआती तेजी देखकर अंधाधुंध पैसा लगाने से बचना चाहिए. ईटी से बातचीत में उन्होंने कहा कि शुरुआती रुझानों के आधार पर बहुत ज्यादा उम्मीद लगाना फिलहाल सही नहीं होगा. आइए देखते हैं कि उन्होंने निवेशकों को क्या सलाह दी है. आनंद का कहना है-
कैसा दिख रहा है अभी बाजारभारत का शेयर बाजार अभी मजबूत दिख रहा है. पिछले कुछ हफ्तों में देखा गया कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारी गिरावट आई, तब भारत का बाजार उतना प्रभावित नहीं हुआ. यह एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से भारत का बाजार वैश्विक गिरावट के साथ और भी ज्यादा दबाव में आ जाता था.
लेकिन यह मामूली सुधार कोई ठोस ट्रेंड नहीं दर्शाता. भारतीय शेयर बाजार में स्थायी मजबूती के लिए कुछ अहम कारकों पर स्पष्टता जरूरी होगी.
1. ग्रोथ की वापसी: सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है कि भारत में आर्थिक वृद्धि फिर से कैसे मजबूत होगी? मौजूदा समय में, उपभोग (consumption) और पूंजीगत खर्च (capex) दोनों की रफ्तार काफी धीमी हो गई है. जब तक इन दोनों क्षेत्रों में सुधार नहीं आता, तब तक शेयर बाजार में ठोस मजबूती की उम्मीद करना मुश्किल होगा.
2. अमेरिकी अर्थव्यवस्था का असर: भारतीय बाजार पर अमेरिका की नीतियों का भी बड़ा प्रभाव पड़ता है. अमेरिकी व्यापार नीतियां और वहां की ब्याज दरों में बदलाव सीधे भारतीय बाजार को प्रभावित करते हैं. इसलिए, बाजार को स्थिरता पाने के लिए यह देखना होगा कि अमेरिका की नीतियों में क्या बदलाव होते हैं.
3. फेडरल रिजर्व की नीति: अमेरिकी फेडरल रिजर्व (Fed) फिलहाल नीतिगत दरों पर कुछ समय के लिए विराम ले सकता है, क्योंकि वे भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था ट्रंप प्रशासन की नीतियों से कैसे प्रभावित हो रही है. अगर अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बड़ा बदलाव नहीं करता, तो भारतीय बाजार के लिए यह एक स्थिर कारक साबित हो सकता है.
निकट भविष्य में बाजार का रुखफिलहाल ऐसा नहीं लगता कि अगले कुछ हफ्तों में कोई बड़ी स्पष्टता सामने आएगी. जब तक उपरोक्त कारकों को लेकर कुछ ठोस नतीजे नहीं आते, तब तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है. अगले कुछ महीनों तक निवेशकों को सतर्क रहना होगा और किसी भी नई नीति या वैश्विक घटनाक्रम का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करना होगा.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 19, 2025, 15:16 ISThomebusinessक्या हो गई है बाजार में बुल की वापसी, अब निवेशक झोंक दें पैसा?
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